आज मन की बात कार्यक्रम के 110वीं एपिसोड को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने बकरी पालन के जरिए मिलने वाली सफलता का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि बकरी पालन के जरिए भी बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सकता है और किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. अगर सही और वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन किया जाए तो यह रोजगार का एक बेहतर विक्लप हो सकता है. यही कारण है कि आज हजारों लोग बकरी पालन से जुड़ रहे हैं. इसे रोजगार के तौर पर अपना रहे हैं और अच्छी कमाई भी कर रहे हैं.
बकरी पालन को लेकर पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में ओडिशा के कालाहांडी में हो रहे बकरी पालन का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि बकरी पालन कालाहांडी के गांव के लोगों की आजीविका का बेहतर साधन बन रहा है साथ ही उनके जीवन स्तर को ऊपर लाने का भी एक बेहतर माध्यम बन रहा है. इसके बाद पीएम मोदी ने कालाहांडी में बकरी पालन कर रहे दपंति जयंती माहापात्रा और बीरेन साहु का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कालाहांडी के गांव में बकरी पालन के जरिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने में इस दंपति का बड़ा योगदान है. जयंती और बीरेन ने यहां पर एक दिलचस्प माणिकास्तप गोट बैंक खोला है. जिससे वे सामुदायिक स्तर पर बकरी पालन को बढ़ावा दे रहे हैं.
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पीएम मोदी ने कहा कि जहां तक पशुधन पालन का सवाल है, हम केवल इसे गाय और भैंस तक ही बात सीमित रखते हैं. लेकिन बकरियां भी एक महत्वपूर्ण पशुधन हैं. देश के अलग-अलग इलाकों में भी कई लोग बकरी पालन से जुड़े हुए हैं. ओडिशा के कालाहांडी में बकरी पालन ग्रामीणों की आजीविका का प्रमुख स्रोत बन रहा है. यहां के सालेभाटा गांव में इसकी शुरुआत जयंती महापात्रा और बीरेन साहु के प्रयास से हुई है. इन दोनों से बैंगलोर में अच्छी खासी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़कर गांव आकर बकरी पालन करने का फैसला किया था.गांव लौटने के बाद उन्होंने एक बकरी बैंक खोला.
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आज, वे अपने स्टार्ट-अप मानिकस्टु एग्रो के तहत बकरी पालन के माध्यम से आजीविका प्रदान करके न केवल सालेभाटा बल्कि आसपास के 40 से अधिक गांवों के लोगों को सशक्त बना रहे हैं . मानिकस्टु एग्रो वर्तमान में महाराष्ट्र के फाल्टन में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान के बकरी पालन के शोधकर्ताओं के साथ जुड़ा हुआ है. मणिकस्तु का अर्थ है 'देवी मणिकेश्वरी की गोद में आशीर्वाद. 2015 में पंजीकृत किया गया था. आज 40 गांवों के करीब 1,000 किसान मणिकस्तु से जुड़े हुए हैं. इस दंपति के प्रयास से आज इलाके में काफी हद तक पलायन रुक गया है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार जयंती बतातीं हैं कि बकरी पालन का सबसे अधिक फायदा गांव की महिलाओ मिला है. क्योंकि बकरी पालन के किसान परिवार की महिलाएं आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रही हैं.