सरकार बहुत कोशिश कर रही है कि किसान पराली न जलाएं. इसके लिए हरियाणा कृषि विभाग की तरफ से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है और किसानों को सरकार की तरफ से पराली न जलाने के लिए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है. बावजूद इसके हरियाणा के अंबाला जिले में पराली जलाने की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. धान की फसल लगभग कट चुकी है, लेकिन फिर भी जो धान के बची हुई पराली है उनको अभी किसान जला रहे हैं, जिसकी वजह से अंबाला की हवा भी जहरीली हो गई है.
अंबाला के एग्रीकल्चर डिप्टी डायरेक्टर जसविंदर सिंह ने बताया कि पिछले 04 वर्षों में जितने चालान कटे उतने इस एक सीजन में काटे गए हैं. जो चालान काटे गए हैं उनसे लगभग तीन लाख से ज्यादा रुपये वसूले गए हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि पूरा प्रयास किया जा रहा है कि लोग पराली न जलाएं. इसके लिए कृषि विभाग की टीम लगातार फील्ड में घूम रही है.
पूरे हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में अबकी बार फिर बढ़ोतरी हुई है. इसी कड़ी में अंबाला में भी पराली जलाने की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है. लगातार सरकार कोशिश कर रही है कि किसान पराली न जलाएं. इसके लिए कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है. इस बारे में जानकारी देते हुए अंबाला एग्रीकल्चर डिप्टी डायरेक्टर जसविंदर ने बताया कि अंबाला में लगभग पराली को लेकर 95 फीसदी एरिया एडजेक्ट हो चुका है. उन्होंने कहा कि जो 5 फीसदी एरिया बचा है वो बासमती का है जिसकी हाथ से कटाई की जाती है.
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उन्होंने बताया कि अभी तक हमारे पास 165 लोकेशन आई है, जिसको हमने वेरीफाई किया है. वहीं उन्होंने बताया कि 03 लाख 15 हजार रुपये का फाइन किया गया है. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि आगे आगजनी न हो. वहीं पराली जलाने को रोकने के लिए कृषि विभाग की टीम पिछले 15 दिनों से फील्ड में है और प्रशासन का इसमें पूरा सहयोग मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि त्योहारों के सीजन में भी कर्मचारियों की छुट्टी रद्द की गई है. उसी का परिणाम है कि अबकी बार पिछले साल के मुकाबले आगजनी की घटनाएं कम हुई हैं. पिछले साल 272 केस थे और अबकी बार कोशिश करेंगे कि 200 से कम हों. वहीं उन्होंने कहा कि पिछले सालों में आगजनी की घटनाएं ज्यादा हुई थीं लेकिन चालान कम हुए थे.