Pakistan Farmers: भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को रद्द करने के भारत के फैसले ने पाकिस्तान में चिंता पैदा कर दी है. दरअसल, पाकिस्तान के किसान सहित लाखों लोग चेनाब जैसी नदियों पर निर्भर हैं, जो दोनों देशों से होकर गुजरती है. पिछले छह दशकों से, चेनाब नदी एक संधि के तहत पाकिस्तान में बहती रही है, जिसने युद्ध, राजनीतिक उथल-पुथल और सैन्य गतिरोध को झेला है. हालांकि, भारत की ओर से सिंधु जल संधि को रद्द करने की घोषणा के बाद, पाकिस्तान एक ऐसे भविष्य के लिए तैयार हो रहा है, जहां पानी भी हथियार बन सकता है.
भारत के इस कदम ने विशेष रूप से पाकिस्तान के किसानों को चिंतित कर दिया है, क्योंकि वहां जल स्तर पहले से ही कम है. वहीं, भारत के इस फैसले से पाकिस्तान में पानी का संकट और गहरा सकता है, जिन पर लाखों लोग निर्भर हैं.
भारत का कहना है कि जब तक पाकिस्तान "सीमा पार आतंकवाद को नहीं छोड़ देता, तब तक पानी बंद रहेगा." हालांकि, पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस कदम को 1960 में विश्व बैंक द्वारा किए गए एक समझौते का गंभीर उल्लंघन बताया है, जो सिंधु बेसिन की छह नदियों को दोनों देशों के बीच विभाजित करता है और सिंधु, झेलम और चिनाब सहित पश्चिमी नदियों तक पाकिस्तान की पहुंच है.
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पंजाब सिंचाई विभाग के उप-इंजीनियर मुहम्मद बिलाल ने कहा कि अगर पानी छोड़ने के समय में थोड़ी भी गड़बड़ी होती है, तो यह हमारे पूरे सिंचाई के काम को बिगाड़ देता है. धान की बुवाई का मौसम शुरू होने वाला है और धान की खेती में पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है. अगर पानी का बहाव रुकता है, तो पूरी खेती खतरे में पड़ जाती है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था, भारत से जाने वाली पानी की स्थिरता पर निर्भर करती है. वहां उगाए जाने वाले गेहूं, धान और गन्ने से लाखों लोगों को भोजन मिलता है. कोई भी व्यवधान, चाहे वह अस्थायी ही क्यों न हो, पैदावार को कम कर सकता है. साथ ही महंगाई से जूझ रहे देश में खाद्य कीमतों को बढ़ा सकता है.
पचास वर्षीय किसान मुहम्मद यूनिस ने कहा कि यदि भारत पानी रोक देता है या देरी करता है, तो हम अपनी फसल नहीं बो सकते हैं और जब पानी आखिरकार आता है, तो यह बाढ़ बन जाती है. हमारे खेत डूब जाते हैं और जो भी उपज की हम उम्मीद करते हैं, वह नष्ट हो जाती है. हम रोपाई करने में असमर्थ हो जाते हैं, फसल काटने में असमर्थ हो जाते हैं. बता दें कि चिनाब लंबे समय से दो परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच जीवन और सहयोग का प्रतीक रहा है. आज, यह एक नए गतिरोध के केंद्र में है, जिसके सीमा के दोनों ओर के लोगों के लिए संभावित रूप से विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं.(रॉयटर्स)