कश्मीर में बढ़ रहा सरसों का रकबा, इस साल 1.5 लाख हेक्टेयर में हुई खेती

कश्मीर में बढ़ रहा सरसों का रकबा, इस साल 1.5 लाख हेक्टेयर में हुई खेती

कश्मीर में, तिलहन लगभग सभी क्षेत्रों में उगाए जाते हैं, लेकिन प्रमुख तौर पर अनंतनाग, श्रीनगर, कुपवाड़ा, बडगाम, बारामूला में इसकी खेती की जाती है. तेल की लगातार बढ़ती कीमतों में बाद इसकी खेती के प्रति किसानों का रूझान बढ़ रहा है.

झारखंड में सरसों की खेती को मिलेगा बढ़ावा (सांकेतिक तस्वीर)झारखंड में सरसों की खेती को मिलेगा बढ़ावा (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 21, 2024,
  • Updated Apr 21, 2024, 1:58 PM IST

सरसों की खेती के क्षेत्र में अब कश्मीर भी आगे आ रहा है. तिलहनी फसलों की खेती को लेकर यहां के किसानों में रूझान काफी बढ़ा है. इसके कारण यहां पर सरसों की  खेती का रकबा और उत्पादन दोनों ही बढ़ रहा है. कृषि विभाग की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022-23 के दौरान डेड़ लाख हेक्टेयर जमीन में तिलहनी फसलों की खेती की गई थी, जो अब तक का एक रिकॉर्ड है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2021-22 में, तिलहन की खेती के लिए कुल 100,000 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी. जबकि 2022-23 में इसकी खेती के क्षेत्रफल में 30,000 हेक्टेयर की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

कश्मीर में, तिलहन लगभग सभी क्षेत्रों में उगाए जाते हैं, लेकिन प्रमुख तौर पर अनंतनाग, श्रीनगर, कुपवाड़ा, बडगाम, बारामूला में इसकी खेती की जाती है. तेल की लगातार बढ़ती कीमतों में बाद इसकी खेती के प्रति किसानों का रूझान बढ़ रहा है. कश्मीर के स्थानीय मीडिया से बात करते हुए वहा के किसान मोहम्मद शफी बताते हैं कि एक वक्त था जब किसान इसकी खेती करना  छोड़ चुके थे पर अब वो फिर से वापस सरसों की खेती की तरफ लौट रहे हैं. पिछले कई वर्षों से कृषि विभाग भी सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है इसका परिणाम है कि अब इस वर्ष किसानों की सरसों की खेती में अधिक रुचि बढ़ी है. 

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किसानों को मिल रही अच्छी कीमत

कश्मीर के एक अन्य सरसों की खेती करने वाले किसान बताते है कि किसान अपनी जमीन पर हर साल सरसों का उत्पादन कर सकते हैं और सरसों की कटाई के बाद दूसरी फसल की बुवाई भी कर सकते हैं.फिलहाल तेल के दाम बढ़ गए हैं इससे अच्छी कीमतें मिल रही है. किसानों ने कहा कि पिछले साल मौसम सही था इससे उत्पादन दोगुना हो गया. पट्टन के एक किसान बताते हैं कि पहले बीज को लेकर एक समस्या थी पर अब उच्च गुणवत्ता वाले हाइब्रीड बीज मिल रहे हैं इससे उत्पादन क्षमता बढ़ गई है. कृषि निदेशक कश्मीर चौधरी मुहम्मद इकबाल के अनुसार, 2022-23 रबी सीजन के दौरान 1.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को तिलहन की खेती के तहत लाया गया था. 

उत्पादन दोगुना करने पर जोर

कृषि निदेशक ने कहा कि सरसों का उत्पादन बढने के बाद तेल की कीमतें कम होमे में मदद मिलेगी. इससे आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी.बता दें की सरसों की खेती के लिए 31-40 सेमी पानी की आवश्यकता होती है. निदेशक ने कहा कि सूखा सहिष्णु किस्मों को अपनाकर किसान कम सिंचाई में भी अच्छा उत्पादन हासिल कर सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन कश्मीर में सरसों का का उत्पादन दोगुणा करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है. 
अधिकारियों ने कहा कि मिशन सफल रहा है और सरसों की खेती बढ़ने से बागवानी फसलों के परागण और फूल आने में भी मदद मिलेगी. 

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सरसों की खेती का रकबा बढ़ाने का लक्ष्य

निदेशक कृषि ने कहा कि तिलहन मिशन का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक भूमि को सरसों की खेती के अंतर्गत लाना है.इकबाल ने कृषि क्षेत्र में तिलहन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जहां तक ​​इसकी उत्पादकता का सवाल है तो घाटी में इस फसल के लिए काफी संभावनाएं हैं, जो देश के कई अन्य हिस्सों की तुलना में तुलनात्मक रूप से बेहतर है.दूसरी ओर, कुपवाड़ा जिले में सरसों तिलहन की खेती ने भी एक मील का पत्थर हासिल किया है .और कृषि विभाग को इस साल बंपर फसल उत्पादन की उम्मीद है.कुपवाड़ा में कृषि अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल कृषि विभाग ने 2022-23 (रबी सीजन) के दौरान 6,700 हेक्टेयर भूमि को तिलहन की खेती के तहत लाया, जो सीमांत जिले से अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
 

 

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