
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में प्रशासनिक संवेदनहीनता का एक ऐसा चेहरा सामने आया है, जिसे सुनकर न सिर्फ किसान बल्कि पूरा समाज सन्न रह गया है. दरअसल, चरखारी तहसील के चंदौली गांव से जुड़ा एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें हल्का लेखपाल रामकुमार एक पीड़ित किसान को मुआवजा पाने का ऐसा रास्ता बता रहा है, जो इंसानियत को शर्मसार कर देगा.
चरखारी तहसील के चंदौली गांव निवासी किसान राघवेंद्र का करीब 23 दिन पहले पूरा घर आग की भेंट चढ़ गया था, अनाज, गृहस्थी का सामान, लकड़ी, शादी के लिए रखा सामान सब कुछ जलकर राख हो गया था. तब प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर मदद और मुआवजे का भरोसा दिलाया था. इस बीच राजस्व कर्मचारी और लेखपाल ने भी निरीक्षण किया था, लेकिन इसके बाद किसान के हिस्से आया सिर्फ तहसील के चक्कर और आश्वासनों का बोझ.
किसान का दर्द तब छलका जब कई दिनों तक मुआवज़ा नहीं मिला. फोन पर लेखपाल से बात हुई तो जवाब मिला कि 4000 रुपये से ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा. हताश किसान ने जब अपनी तबाही का जिक्र करते हुए अधिक मुआवज़े का रास्ता पूछा, तो लेखपाल ने किसान की मजबूरी का ही मजाक बना डाला. उसने किसान से कहा कि अगर ज्यादा मुआवजा चाहिए तो किसी ट्रक के नीचे आ जाओ, मर जाओगे तो पांच लाख मिल जाएगा. यह शब्द नहीं, व्यवस्था का तमाचा है जिसे सुनकर किसान दंग रह गया. यह ऑडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल है और प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर रहा है.
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की मदद और योजनाओं के लाभ की बात करती है, लेकिन जमीनी हकीकत में बैठे नुमाइंदे अगर दुख को मजाक और पीड़ा को मजाक समझने लगें, तो योजनाएं सिर्फ फाइलों तक सिमट जाती हैं. इस मामले को लेकर चरखारी तहसीलदार आर एन मिश्रा ने बताया कि आग लगने की घटना चंद्रपाल के घर पर हुई थी, जिसका आंशिक मकान जलने का 4000 की क्षतिपूर्ति बनी है. इसी सम्बन्ध में पीड़ित के परिजन ने लेखपाल रामकुमार से बात की थी जिसका ऑडियो वायरल बताया जा रहा है. इस ऑडियो की जांच कराई जा रही है नियमानुसार जो भी होगा कार्रवाई की जाएगी.
यह मामला सिर्फ एक ऑडियो का नहीं, बल्कि उस सोच का है जहां किसान की आग में जली जीवन भर की पूंजी की कीमत 4000 रुपये और मरने की सलाह है. अब देखना यह है कि वायरल ऑडियो पर कार्रवाई होती है या यह भी फाइलों की राख में दबकर रह जाएगा.