किसान ने स्कूल को 'दान' किया पुश्तैनी घर, परिवार संग खुद झोपड़ी में हुए शिफ्ट

किसान ने स्कूल को 'दान' किया पुश्तैनी घर, परिवार संग खुद झोपड़ी में हुए शिफ्ट

लोग अपना घर बनाने के लिए दिन-रात की मेहनत एक कर देते हैं. पाई-पाई जोड़कर घर बनाते हैं. ऐसे में एक किसान मोर सिंह हैं जिन्होंने अपना पुश्तैनी मकान इसलिए स्कूल को दे दिया क्योंकि उसका भवन जर्जर हो गया था. यह घटना राजस्थान के झालावाड़ जिले की है.

farmer mor singhfarmer mor singh
क‍िसान तक
  • Jhalawar,
  • Sep 06, 2025,
  • Updated Sep 06, 2025, 6:05 AM IST

ये कहानी बहुत मार्मिक और दिल को छू लेने वाली है. लोग जिंदगी भर की कमाई लगाकर घर बनाते हैं. उसके लिए पाई-पाई जोड़ते हैं, दिन रात मेहनत करते हैं. वहीं राजस्थान के झालावाड़ से एक ऐसी खबर आई है कि घर को लेकर आपकी सोच को बदल देगी. खेतों में मजदूरी करके परिवार का जीवन यापन करने वाले एक शख्स ने अपना घर स्कूल को दे दिया क्योंकि वह स्कूल जर्जर होने के बाद गिरने की चपेट में आ गया था. 

उस स्कूल का निर्माण काम शुरू होने वाला है. स्कूल को बंद होता देख इस शख्स ने अपना घर दान में दे दिया और खुद झोपड़ी में रहने लगे. वे बताते हैं कि जितने दिन में स्कूल बन जाए, उसे बनाया जाए, वे अपना घर नहीं मांगेंगे. इस शख्स का नाम है मोर सिंह.

जर्जर स्कूल के लिए दान में दिया घर

खबर कुछ यूं है कि राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी स्कूल बिल्डिंग ध्वस्त होने पर गांव के गरीब किसान मजदूर मोर सिंह ने खुद का पक्का मकान स्कूल चलाने के लिए दे दिया ओर खुद परिवार सहित झोपड़ी में रहने लगे. झालावाड़ जिले के पिपलोदी स्कूल की जर्जर बिल्डिंग को ध्वस्त करने के बाद बच्चों के सामने पढ़ाई करने के लिए स्कूल भवन की समस्या खड़ी हो गई थी. 

ऐसे में  पिपलोदी गांव के एक गरीब किसान मोर सिंह नामक किसान ने खुद का पक्का मकान दे दिया जिसमें वे रह रहे थे. मोर सिंह ने देखा कि स्कूल के बच्चे कहां पढ़ेंगे. इस पर उन्होंने अपने पुश्तैनी मकान को स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए समर्पित कर दिया. वहीं खुद परिवार सहित झोपड़ी में रहने लगे.

बिना किराये के स्कूल को दिया मकान

गरीब किसान मोर सिंह का कहना है कि गांव में पढ़ें-लिखे लोगों की संख्या कम है. ऐसे में शिक्षा विभाग नया स्कूल भवन कब बनाएगा, कब बनेगा, इसको देखते हुए उन्होंने गांव के बच्चों की पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा न आए. इसलिए उन्होंने अपना मकान स्कूल चलाने के लिए दे दिया है. 

वे बताते हैं कि स्कूल से उन्होंने किसी किराये की बात नहीं की है. स्कूल का भवन जब पूरी तरह से बन जाए तो उन्हें वापस किया जा सकता है. स्कूल भवन जल्दी वापस लेने का उन्हें कोई इरादा नहीं है.

चारों ओर है मोर सिंह की चर्चा

झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में रहने वाले आदिवासी भील समुदाय के मोर सिंह खुद निरक्षर हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि गांव के बच्चे उनकी तरह अशिक्षित नहीं रहें. इसलिए उन्होंने गत 25 जुलाई को गांव में हुए हादसे के बाद अस्थाई स्कूल संचालन के लिए खुद का पुश्तैनी पक्का मकान शिक्षा विभाग को निशुल्क दे दिया और वह खुद परिवार के आठ सदस्यों के साथ खेत के पास लकड़ी और बरसाती तिरपाल की टापरी बनाकर रह रहे हैं. 

जिला प्रशासन से मिला सम्मान

वही उनके इस सराहनीय काम पर बीते 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस को जिला प्रशासन ने मुख्य समारोह में उनको सम्मानित भी किया है. स्कूल अच्छे भवन में शिफ्ट होने से बच्चे भी बहुत खुश हैं. भवन में पढ़ाई शुरू होने के पहले दिन बच्चों को माला पहना कर स्वागत किया गया. मोर सिंह ने बताया कि स्कूल में सभी टीचर रोज आते हैं और उनके काम में कोई कोताही नहीं है. मोर सिंह के इस काम की चर्चा चारों ओर हो रही है.(फिरोज अहमद खान का इनपुट)

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