देश में नैनो यूरिया के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे होने वाले फायदे को देखते हुए सभी किसानों को इसके इस्तेमाल के प्रति जागरूक किया जा रहा है. खरीफ सीजन की शुरुआत होने वाली है और इस समय खरीफ फसलों की बुवाई और रोपाई के लिए यूरिया का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है. इसलिए अभी किसानों को इसके प्रति अधिक जागरूक करने की जरूरत है. नैनो यूरिया का इस्तेमाल इसलिए भी लाभदायक होता है क्योंकि इससे उर्वरक में आने वाली लागत में कमी आती है. जिस खेत में इसका इस्तेमाल किया जाता है, उस खेत में उपज अच्छी होती है और इसका विपरीत प्रभाव भी कम होता है.
नैनौ यूरिया का दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसका इस्तेमाल करना और छिड़काव करना आसान होता है. 50 किलोग्राम के बोरे को छिड़काव करने के लिए खेत में ले जाना आसान नहीं होता है. खास कर ऐसे समय में जब बारिश होती है और खेत की मेड़ पूरी तरह गीली होती है और इस पर चलना आसान नहीं होता है. पर नैनो यूरिया के आने से किसानों के लिए इस समस्या का समाधान हो गया है. वो आराम से एक बोतल को अपने हाथ में पकड़ कर खेत ले जा सकते हैं. इससे परिवहन शुल्क की लागत और परेशानी कम होती है. नैनो यूरिया के प्रयोग से उर्वरकों की उपयोगिता और उपज क्षमता बढ़ती है. साथ ही फसलों की क्वालिटी में सुधार आता है.
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इफको नैनो यूरिया किसानों के लिए नया है, इसलिए इसके इस्तेमाल की विधि भी किसानों को जाननी चाहिए. किसान इसे इस्तेमाल करने के लिए अपने घर में भी घोल तैयार कर सकते हैं और खेत में जाकर छिड़काव कर सकते हैं. आइए घर में इसका घोल बनाने का तरीका जान लेते हैं-
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नैनो यूरिया का छिड़काव हमेशा पौधों में पत्ती आने के बाद किया जाता है. इसलिए खेत में इसका पहला छिड़काव 30-35 दिन पर करना चाहिए और दूसरा छिड़काव फूल आने पर करना चाहिए. दाने वाली यूरिया का छिड़काव करने से सिर्फ 30 फीसदी खाद ही पोधों को मिल पाती है. जबकि नैनौ यूरिया का छिड़काव करने से 85 फीसदी खाद पौधों को मिल जाती है. इसलिए नैनो यूरिया का इस्तेमाल अधिक लाभदायक है. नैनो यूरिया इस्तेमाल करना किसानों के लिए सस्ता भी पड़ता है क्योंकि 500 एमएल नैनो यूरिया की कीमत 225 रुपये है जबकि 45 किलो ग्राम वाले यूरिया की बोरी 350 रुपये से अधिक में मिलती है. नैनो यूरिया के इस्तेमाल से 25 प्रतिशत यरिया की बचत होती है.