हम सभी जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां 70 प्रतिशत लोगों की आजीविका आज भी कृषि पर आधारित है. भारत दुनिया में कृषि उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. पूरे विश्व में भारत से लगभग सभी प्रकार के कृषि उत्पादों का निर्यात किया जा रहा है. भारत दुनिया में मसाला उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है. देश में मसालों का वार्षिक उत्पादन 4.14 मिलियन टन है. भारत दुनिया में कई प्रकार के मसाले उगाता है जैसे इलायची, लौंग, काली मिर्च, लाल मिर्च और कई अन्य मसाले. अगर हम सभी मसालों को एक साथ उगाने वाले सबसे बड़े राज्य को देखें, तो वह आंध्र प्रदेश है, उसके बाद केरल है.
भारत में काली मिर्च, मिर्च, अदरक, इलायची, हल्दी आदि मसालों की प्रचुर मात्रा में पैदावार होती है. भारतीय मसालों में कुछ मसाले ऐसे भी हैं, जिनकी खेती सिर्फ खास इलाकों में ही की जा सकती है, लेकिन वैज्ञानिकों की मेहनत और शोध का नतीजा है कि आज ऐसी किस्में विकसित हो गई हैं, जिनकी खेती अब देश के अलग-अलग हिस्सों में की जा रही है. ऐसी ही एक मसाला फसल है काली मिर्च. काली मिर्च भारतीय मसालों में प्रमुख स्थान रखने वाली मसाला फसल है. काली मिर्च की ज्यादातर खेती दक्षिणी राज्यों में होती है, लेकिन अब इसका रकबा बढ़ गया है. ऐसे में अगर आप भी काली मिर्च की खेती कर मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इन बातों का जानना आपके लिए बेहद जरूरी है. तो आइए जानते हैं काली मिर्च की खेती के लिए कौन सी किस्म सबसे अच्छी है.
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भारत में काली मिर्च की कई उन्नत किस्में इस्तेमाल में हैं. भारत में काली मिर्च की 75 से ज़्यादा किस्में उगाई जा रही हैं. इनमें दक्षिण केरल की कोट्टानदन, मध्य केरल की नाराइकोडी, केरल की करिमुंडा सबसे अच्छी किस्में हैं. इनके अलावा नीलमुंडी, बालनकोट्टा और कुथिरवल्ली किस्में भी बड़ी मात्रा में उगाई जाती हैं. ये सभी किस्में पुरानी पारंपरिक किस्मों के तौर पर जानी जाती हैं. गुणवत्ता के आधार पर दक्षिण केरल की कोट्टानदन सबसे अच्छी किस्म है. काली मिर्च की इस किस्म में पाए जाने वाले आवश्यक तेल की मात्रा 17.8 प्रतिशत तक होती है.
इसे वर्ष 1990 में जारी किया गया था. इस किस्म की उपज 2677 किलोग्राम सूखी मिर्च है. वहीं संभावित उपज 4200 किलोग्राम मिर्च/हेक्टेयर है. यह किस्म मिर्च उगाने वाले सभी क्षेत्रों में विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल है. यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाली मिर्च देता है. इस किस्म की बुवाई के लिए केवल क्लोनल रोपण सामग्री का उपयोग करें. IISR द्वारा अनुशंसित पौध संरक्षण उपायों और प्रथाओं के पैकेज का पालन किया जाना चाहिए.
इसे वर्ष 1990 में जारी किया गया था. इस किस्म की उपज 2352 किलोग्राम सूखी मिर्च/हेक्टेयर है. वहीं संभावित उपज 4487 किलोग्राम सूखी मिर्च/हेक्टेयर है.
इसे साल 1991 में जारी किया गया था. इस किस्म की उपज 2828 किलोग्राम सूखी मिर्च/हेक्टेयर है. वहीं संभावित उपज 6528 किलोग्राम सूखी मिर्च/हेक्टेयर है.
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इसे साल 1991 में जारी किया गया था. इस किस्म की उपज 2333 किलोग्राम सूखी मिर्च/हेक्टेयर है. वहीं संभावित उपज की बात करें तो 5356 किलोग्राम सूखी मिर्च/हेक्टेयर है.
इसे साल 1996 में किसानों के लिए जारी किया गया था. इस किस्म की उपज 2475 किलोग्राम सूखी मिर्च/हेक्टेयर है. वहीं संभावित उपज 4731 किलोग्राम सूखी मिर्च/हेक्टेयर है. यह देर से पकने वाली किस्मों की सूची में शामिल है.
इसे वर्ष 2004 में जारी किया गया था. इसे पकने में मध्यम समय लगता है.
इसे वर्ष 2004 में जारी किया गया था. इसे पकने में मध्यम समय लगता है.
इसे वर्ष 2004 में जारी किया गया था. इसे पकने में मध्यम समय लगता है.
इसे वर्ष 2004 में जारी किया गया था. इसे पकने में मध्यम समय लगता है.
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