
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी कस्बे में इथेनॉल फैक्ट्री को लेकर भड़की हिंसा के बाद हालात काबू से बाहर होते दिख रहे हैं. इलाके में तनाव बरकरार है, इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं और धारा 144 लागू है. फैक्ट्री के आसपास रहने वाले करीब 30 परिवार घर छोड़कर पलायन कर चुके हैं. हालांकि टिब्बी और आसपास के गांवों में स्कूल–कॉलेज, बाजार, दुकानें सभी खुले हैं और सुरक्षा के लिए भारी पुलिसबल तैनात कर दिया गया है.
एक दिन पहले किसानों ने राठीखेड़ा गांव में निर्माणाधीन ड्यून इथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री की दीवार तोड़ दी. गुस्साए प्रदर्शनकारी ऑफिस में भी घुस गए और आग लगा दी. इसके बाद पुलिस और किसानों के बीच जमकर पथराव हुआ. हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे. इसी दौरान भीड़ ने 14 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया के सिर में भी चोट लगी है. हिंसा में 50 से ज्यादा लोग घायल होने की जानकारी है.
किसानों और कांग्रेस नेताओं ने साफ चेतावनी दी है कि जब तक मांगें नहीं मानी जातीं, आंदोलन जारी रहेगा. सुबह से ही बड़ी संख्या में किसान प्रदर्शन स्थल के पास बने गुरुद्वारे में जुट रहे हैं. हालात को संभालने के लिए टिब्बी और राठीखेड़ा में 1500 से अधिक पुलिसकर्मी, RAC और होमगार्ड तैनात हैं. अशोक गहलोत ने 2022 में राईजिंग राजस्थान के तहत हरियाणा के ड्यून्स इथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड से कंपनी लगाने का एमओयू किया था. और तब फैक्ट्री खोलने की इजाजत दी थी.
हनुमानगढ़ के पुलिस सुपरिटेंडेंट हरिशंकर यादव ने कहा, "अभी हालात काबू में हैं. सात लोगों को हिरासत में लिया गया है. पांच पुलिसवाले भी घायल हुए हैं जिनका इलाज चल रहा है. हंगामा करने वालों की तलाश की जा रही है."
हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र के राठीखेड़ा गांव में प्रस्तावित इथेनॉल फैक्ट्री को लेकर विरोध लगातार तेज होता जा रहा है. किसानों ने करीब 15 महीने तक धरना दिया था, लेकिन प्रशासन ने इसे जबरन हटवा दिया. इस कार्रवाई के बाद ग्रामीणों और किसानों में गहरा आक्रोश फैल गया. इसी विरोध की कड़ी में बुधवार को टिब्बी स्थित एसडीएम कार्यालय के बाहर एक महापंचायत आयोजित की गई, जिसमें पंजाब, हरियाणा और आसपास के क्षेत्रों से आए सैकड़ों किसान नेता और ग्रामीण शामिल हुए.
महापंचायत में किसानों ने एकमत होकर कहा कि वे किसी भी हाल में इथेनॉल फैक्ट्री नहीं लगने देंगे, क्योंकि इससे क्षेत्र का पर्यावरण खराब होगा, जमीन बंजर हो जाएगी और किसानों की रोजी-रोटी पर संकट आ खड़ा होगा. उनका कहना है कि यदि सरकार फैक्ट्री लगाना चाहती है, तो इसे किसी अन्य जगह पर ले जाया जाए.
वहीं दूसरी ओर, फैक्ट्री संचालक दावा कर रहे हैं कि परियोजना से क्षेत्र में विकास और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. लेकिन किसानों ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें ऐसा कोई रोजगार स्वीकार नहीं जो उनकी हरी-भरी जमीन को नुकसान पहुंचाए और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य खतरे में डाल दे. इसलिए उनकी मांग है कि फैक्ट्री को तुरंत यहां से हटाया जाए, अन्यथा उनका आंदोलन और अधिक उग्र रूप ले सकता है.
महापंचायत के दौरान टिब्बी और आसपास के इलाकों में बाजार बंद रहे. व्यापारियों ने भी स्वेच्छा से दुकानों के शटर गिराकर किसानों के आंदोलन का समर्थन किया. कार्यक्रम में कांग्रेस, सीपीएम, सीटू और कई किसान यूनियनें शामिल हुईं और प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि जल्द ही फैक्ट्री हटाने का निर्णय नहीं लिया गया, तो किसी भी स्थिति के लिए सरकार और प्रशासन स्वयं जिम्मेदार होंगे.
“इथेनॉल फैक्ट्री सभी नियमों और कानूनों के अनुसार मंजूर की गई है. 2022 में एमओयू हुआ था और 2023 में सभी जांचों और सर्टिफिकेट पूरे होने के बाद अनुमति दी गई. यह फैक्ट्री क्षेत्र की खुशहाली के लिए है, पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा. किसानों को लाभ–हानि समझाने के लिए कार्यशाला भी आयोजित की गई थी, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया.”
“किसानों को महापंचायत के लिए अलग स्थान दिया गया था, लेकिन वे निर्माण स्थल पर पहुंचकर दीवार तोड़ने और आगजनी पर उतर आए. 5 वाहनों को आग लगाई गई. हालात काबू में लाने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा.”
“कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा. सभी समस्याएं बातचीत से सुलझाई जा सकती हैं.”
“हिंसा और आगजनी की घटना निंदनीय है. अब तक 7 लोगों को डिटेन किया गया है, बाकी की तलाश की जा रही है. उपद्रव में शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.”
“चार निजी और एक सरकारी वाहन में आग लगाई गई. पांच पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनका इलाज जारी है.”
“तोड़फोड़ और हिंसा करने वालों की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर दी गई है. बातचीत से हल निकले तो बेहतर है, लेकिन कानून व्यवस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होगा.”
(शरत कुमार की रिपोर्ट)