सात अगस्त को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 15 साल बाद कृषि भूमि के सर्किल रेट बढ़ाने का फैसला लिया था. इस फैसले के तहत कृषि भूमि के दाम को 10 गुना तक बढ़ाया गया था. वहीं अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कृषि भूमि के सर्किल रेट बढ़ाने की फाइल पर दो आपत्ति लगाकर दिल्ली सरकार को लौटा दी है. मालूम हो कि 2013 व 2015 में सरकार बनने के बाद से ही केजरीवाल सरकार कृषि भूमि के सर्किल रेट बढ़ाने को लेकर लगातार प्रयासरत है. बीच में कोविड-19 आ जाने की वजह से सर्किल रेट बढाने की प्रक्रिया बाधित हुई. वही अब केजरीवाल सरकार ने कृषि भूमि के रेट नए सिरे से तय करने का फैसला किया था.
दरअसल, पहले पूरी दिल्ली में कृषि भूमि का सर्किल रेट एक सामान होता था, लेकिन अब जिलावार तय किया गया था. साथ ही, इसे ग्रीन बेल्ट विलेज, अर्बनाइज्ड विलेज और रूरल विलेज कटेगरी में बांटा गया था. साउथ और नई दिल्ली जिले में कृषि भूमि का सर्किल रेट सबसे अधिक 5 करोड़ रुपए प्रति एकड़ तय किया गया था. हालांकि, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सरकार की उस फाइल को मंजूरी देने से इंकार कर दिया है.
बता दें कि दिल्ली में क्षेत्र के आधार पर तय किए गए अलग-अलग सर्किल रेट को लेकर किसान यूनियन सहित अन्य लोगों ने आपत्ति जाहिर की थी. इन सभी के तरफ से उपराज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया था कि पहले की तरह पूरी दिल्ली में सर्किल रेट एक सामान होना चाहिए. दिल्ली सरकार ने नई दिल्ली में सर्किल रेट को बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये तक किया है. यह दर पूरी दिल्ली में एक सामान लागू होनी चाहिए.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सर्किल रेट से जुड़े फाइल को लौटाते हुए दो आपत्ति लगाई गई है. इसमें दक्षिण-पश्चिम जिले में ग्रामीण और शहरी गांवों के लिए दरों के अंतर पर ध्यान देने को कहा गया है. साथ ही एक ही गांव जिसका कुछ हिस्सा ग्रामीण है और कुछ हिस्सा शहरी, ऐसे गांव को लेकर अस्तित्वहीन सीमांकन से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. यहां पर अधिकारी अपनी विवेक से कुछ भी कर सकते हैं. उपराज्यपाल कार्यालय के तरफ से फाइल में कहा गया कि प्रस्तावित दरें कार्य समूह की 15.04.2017 की रिपोर्ट पर आधारित हैं.
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वहीं, दिल्ली में कृषि भूमि के सर्किल रेट बढ़ाने को लेकर राजस्व मंत्री आतिशी ने सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सात अगस्त को कहा था कि केजरीवाल सरकार द्वारा किसानों के हक़ में बहुत बड़ा फैसला लिया गया है. सरकार के इस फैसले के तहत दिल्ली में 2008 के बाद पहली बार किसानों की कृषि भूमि के सर्किल रेट में बदलाव किया जाएगा और इससे किसानों को बहुत फायदा होगा.