केंद्र ने पराली जलाने का जुर्माना दोगुना किया, 5 एकड़ से अधिक खेत वालों को देने होंगे 30,000 रुपये

केंद्र ने पराली जलाने का जुर्माना दोगुना किया, 5 एकड़ से अधिक खेत वालों को देने होंगे 30,000 रुपये

केंद्र सरकार ने एक आदेश में पराली जलाने पर जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी है. नए नियम के मुताबिक, दो एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को 5,000 रुपये, 2-5 एकड़ वाले किसानों को 10,000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों को पराली जलाने पर 30,000 रुपये का जुर्माना देना होगा.

पंजाब हर साल लगभग 180 से 200 लाख टन धान की पराली पैदा करता है. पंजाब हर साल लगभग 180 से 200 लाख टन धान की पराली पैदा करता है.
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Nov 07, 2024,
  • Updated Nov 07, 2024, 2:13 PM IST

केंद्र सरकार ने पराली की आग और जहरीली हवा से छुटकारा दिलाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने इसके लिए किसानों पर लगने वाली जुर्माना राशि को दोगुनी कर दी है. नए नियम के मुताबिक जो भी किसान पराली जलाते पकड़ा जाएगा, उसे पहले से दोगुना जुर्माना देना होगा. एक आदेश में केंद्र ने पराली जलाने पर जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी है. नए नियम के मुताबिक, दो एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को 5,000 रुपये, 2-5 एकड़ वाले किसानों को 10,000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों को पराली जलाने पर 30,000 रुपये का जुर्माना देना होगा.

एक गजट सूचना में केंद्र सरकार ने कहा है, आयोग अधिनियम के उपबंधों के अनुसार निम्नलिखित दरों पर पराली जलाने वाले कृषकों पर पर्यावरणीय प्रतिकर अधिरोपित और संगृहीत कर सकता है, अर्थात- क) दो एकड़ से कम भूमि वाले कृषक, प्रति घटना के लिए पांच हजार रुपये के पर्यावरणीय प्रतिकर का संदाय करेंगे. ख) दो एकड़ या उससे अधिक किंतु पांच एकड़ से कम भूमि वाले कृषक, प्रति घठना के लिए दस हजार रुपये के पर्यावरणीय प्रतिकर का संदाय करेंगे. ग) पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले कृषक, प्रति घटना के लिए तीस हजार रुपये के पर्यावरणीय प्रतिकर का संदाय करेंगे. गजट प्रकाशित होने की तारीख से नया नियम लागू हो जाएगा.

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केंद्र ने जारी किए नए नियम

नए उपायों के तहत, प्रदूषण से जुड़ी शिकायतों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और CAQM द्वारा निपटाया जाएगा, जिसमें जांच करने और शिकायतों को दूर करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश होंगे. जुर्माने में बढ़ोतरी सुप्रीम कोर्ट की तीखी आलोचना के बाद की गई है, जिसने पहले कहा था कि पहले के जुर्माने पराली में आग लगाने को रोकने में नाकाम थे. सुप्रीम कोर्ट में कुछ दिन पहले पराली को लेकर एक सुनवाई हुई थी जिसमें अदालत ने कहा था कि जुर्माने की राशि बढ़ाने पर विचार किया जाना चाहिए.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पंजाब सरकार से जुर्माने पर जवाब तलब किया था. इस पर पंजाब सरकार ने जवाब दिया कि 417 लोगों से 11 लाख रुपये वसूले गए हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए निर्देश दिया कि पराली जलाने वालों के खिलाफ जुर्माने की राशि बढ़ाई जानी चाहिए ताकि वे इस काम को करने से बचें. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जरूरी निर्देश भी जारी किए.

प्रदूषण में पराली का रोल

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली में 1 से 15 नवंबर के बीच प्रदूषण का चरम होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है. पराली जलाने के पीछे मुख्य कारणों में धान-गेहूं का फसल चक्र, लंबी अवधि की धान की किस्मों की खेती, मशीनों से कटाई, जिसके कारण पराली खेतों में ही रह जाती है, मजदूरों की कमी और पराली के लिए बाजार की कमी शामिल है. 

ऐसा अनुमान है कि जब पराली जलाने की घटना चरम पर होती है तो उस दौरान, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र और आसपास के इलाकों में पीएम स्तर में 30 प्रतिशत तक का योगदान पराली का होता है. हालांकि, जानी मानी पर्यावरणविद् सुनीता नारायण के अनुसार, सर्दियों में किसानों द्वारा पराली जलाना दिल्ली-एनसीआर में खराब एयर क्वालिटी के लिए असली चिंता का विषय नहीं है. इसके बजाय, शहर के भीतर परिवहन और उद्योगों सहित प्रदूषण के प्रमुख स्रोत अधिक चिंताजनक हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर दिल्ली सरकार की आलोचना की थी. अदालत ने पाया कि प्रतिबंध को "शायद ही लागू किया गया" और दिल्ली के आला पुलिस अधिकारी को राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिबंध को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताते हुए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया.(मिलन शर्मा का इनपुट)

 

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