DHAD सचिव अलका बोलीं- भारत के पशुधन क्षेत्र के विकास में बैंकों का अहम योगदान

DHAD सचिव अलका बोलीं- भारत के पशुधन क्षेत्र के विकास में बैंकों का अहम योगदान

अलका उपाध्याय ने कहा कि भारत दूध उत्पादन में अग्रणी देश, अंडा और मछली उत्पादन में तीसरा सबसे बड़ा देश और मांस और मुर्गी उत्पादन में पांचवां सबसे बड़ा देश है, ऐसे में आहार में इन उत्पादों को शामिल करने से प्रोटीन की कमी को दूर किया जा सकता है.

सेंट्रल बैंकर्स कमेटी मीटिंगसेंट्रल बैंकर्स कमेटी मीटिंग
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 07, 2024,
  • Updated Aug 07, 2024, 6:16 PM IST

पशुपालन और डेयरी को क्षेत्र में देश को आगे ले जाने के लिए लहतार प्रयास किये जा रहे हैं. पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) के लिए केंद्रीय स्तरीय बैंकर समन्वय समिति की पहली बैठक विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित हुई. इस बैठक भारत को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के लिए में निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने और संगठित प्रसंस्करण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए बैंक लोन-लिंक्ड योजनाओं को देश में लागू करने पर चर्चा की गयी. पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) की सचिव अलका उपाध्याय की अध्यक्षता में हुई बैठक में डीएएचडी, नाबार्ड, सिडबी, एनडीडीबी, एनसीडीसी के वरिष्ठ अधिकारी और संबंधित ऋणदाता बैंकों के प्रतिनिधि शामिल हुए.

अलका उपाध्याय ने अपने उद्घाटन भाषण में भारत के पशुधन क्षेत्र के विकास में बैंकों के योगदान की सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत दूध उत्पादन में अग्रणी देश, अंडा और मछली उत्पादन में तीसरा सबसे बड़ा देश और मांस और मुर्गी उत्पादन में पांचवां सबसे बड़ा देश है, ऐसे में आहार में इन उत्पादों को शामिल करने से प्रोटीन की कमी को दूर किया जा सकता है.  उन्होंने आगे कहा कि भारत को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने, निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने और संगठित प्रसंस्करण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए बैंक लोन-लिंक्ड योजनाओं को लागू करके महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. 

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पशुपालन में बैंक की भूमिका अहम

वहीं, अतिरिक्त सचिव (मवेशी और डेयरी) वर्षा जोशी ने सभा को संबोधित करते हुए भारत के पशुपालन क्षेत्र को बदलने में ऋण देने वाली एजेंसियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपने विचार रखे. संयुक्त सचिव (एनएलएम) डॉ. ओ.पी. चौधरी ने बैठक की शुरुआत की. अतिरिक्त संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्य पालन और प्रशासन) सागर मेहरा ने मत्स्य विभाग के तहत विभिन्न योजनाओं का समर्थन करने में बैंकों और ऋण देने वाली संस्थाओं की भूमिका पर जानकारी साझा की.

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चुनौतियों पर हुई चर्चा

पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ), राष्ट्रीय पशुधन मिशन-उद्यमिता विकास कार्यक्रम (एनएलएम-ईडीपी) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सहित डीएएचडी योजनाओं के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई. चर्चा में उपलब्धियां, दिशा-निर्देशों में संशोधन, पोर्टल का उपयोग, लंबित मुद्दे और लोन देने वाली संस्थाओं की भूमिका और अपेक्षित सहायता शामिल थी. कोलेटरल सेक्यूररिटी की कमी के कारण छोटे उद्यमियों के लिए वित्त तक सीमित पहुंच, पात्र परियोजनाओं को मंजूरी देने में देरी, ब्याज छूट दावों और सहायक दस्तावेजों को समय पर जमा न करना और उपस्थित ऋणदाताओं से फीडबैक जैसी चुनौतियों पर विशेष जोर दिया गया.

 

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