झारखंड में मछली पालन के साथ-साथ एक्वाटूरिज्म की भी आपार संभावनाएं हैं. रांची में इसकी शुरुआत काफी पहले हो चुकी थी, जो अब सामने आ रहा है. राजधानी रांची के रातू में स्थित किंगफिशरीज फिश फार्म से इसकी शुरुआत हुई थी. आज यहां मछली पालन के साथ-साथ एक्वा टूरिज्म की सुविधा मिल रही है. फार्म के संचालक निशांत कुमार के मुताबिक यह एशिया का इकलौता ऐसा फार्म हैं जहां पर मछली पालन के लिए एक साथ पांच तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. यहां आकर आप पांरपरिक मछली पालन से लेकर बिल्कुल आधुनिक तकनीक वाला आरएएस देख सकते हैं जो पूरी तरह ऑटोमेटिक है.
रातू के फन कैसल पार्क में स्थित किंग फिशरीज की शुरुआत 2018 में की गई थी. उनके पास मछली पालन करने का किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं था, इसलिए शुरुआती दौर में उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा, पर उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने एक 25X12 के छोटे तालाब से मछली पालन की शुरुआत की. आज उनके पास एक बड़ी आधारभूत संरचना है. जो मछलीपालन के शौकीन और इसकी जानकारी रखने वालों को यहां घूमने आने के लिए प्रेरित करती है. यहां पर मछली पालन की जानकारी के साथ-साथ लोग परिवार और बच्चों के साथ एम्यूजमेंट पार्क का भी आनंद ले सकते हैं.
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आज किगंफिशरीज फार्म में एक साथ पांच तकनीक से मछली पालन किया जाता है. यहां पर तालाब है जहां पर सघन मछली पालन किया जाता है. इसके अलावा बॉयोफ्लॉक तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाता है. यहां कुल 74 बॉयोफ्लॉक टैंक हैं. इसके साध ही 96 एकड़ का एक बड़ा तालाब भी है, जिसमें केज कल्चर के जरिए मछली पालन किया जाता है. साथ ही इस तालाब में बोटिंग का लोग आनंद ले सकते हैं. तालाब के बीच में दो छोटे टापू भी बने हुए जो इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं.
इसके अलावा यहां पर मछली पालन की बेहद आधुनिक तकनीक आरएएस का इस्तेमाल किया जाता है. एक लाख लीटर क्षमता वाले आठ आरएएस टैंक लगे हुए हैं. जिनमें मछली पालन किया जाता है. यह पूरी तरह से ऑटोमेटिक है. टैंक के अंदर लोग मछलियों को खेलते हुए देख सकते हैं. निशांत बताते हैं कि किंगफिशरीज में एक्वाटूरिज्म को प्रमोट करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. यहां पर उसके लिए बुनियादी सुविधाएं भी विकसित की गई हैं. एक एम्यूजमेंट पार्क है इसके साथ ही यहां पर वाटर पार्क भी है. पार्क के अंदर बच्चों के खेलने के लिए कई प्रकार के झूले भी और अगर आप यह ठहरना चाहते हैं और रुकने के लिए सभी सुविधाओं लैस कॉटेज बनाए गए हैं.
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निशांत ने कहा कि यहां पर मछली पालन के साथ-साथ एक्वाटूरिज्म को प्रमोट किया जा रहा है. ताकि यहां वाले लोगों को अलग-अलग प्रकार के मछली पालन की तकनीकों की जानकारी मिल सके. साथ ही वो विभिन्न प्रकार की मछलियों के बारे में उनके सेवन के फायदे के बारे में जान सके. इसके साथ ही उन्होंने बताया की यहां पर पर लोग आकर जानकारी भी हासिल कर सकते हैं और मस्ती भी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यहां पर खूबसूरत दृश्य के साथ रिसॉर्ट के कॉटेज बनाए गए हैं. साथ ही झारखंड का सबसे बड़ा वाटर पार्क है.