विधानसभा चुनाव में भाजपा को वैतरणी पार कराने वाले किसान ही लोकसभा चुनाव में भी भगवा ब्रिगेड के केंद्र में होंगे. एमपी के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद भाजपा अब अगले पड़ाव के रूप में लोकसभा चुनाव की तैयारियों का रोडमैप तय करने की तरफ आगे बढ़ गई है. इसके मद्देनजर भाजपा ने अब लोकसभा चुनाव में भी इसी तरह का प्रदर्शन करने के लिए किसानों सहित ग्रामीण मतदाताओं में अपनी पैठ बढ़ाने की मुहिम शुरू कर दी है. चुनाव परिणाम के विश्लेषण से स्पष्ट है कि कम से कम एमपी में भाजपा की सफलता में गांव, गरीब और किसानों ने निर्णायक भूमिका निभाई है. ग्रामीण इलाके की बहुलता वाले एमपी में शिवराज सरकार की लाड़ली बहना और लाड़ली लक्ष्मी योजनाओं ने गांव की गरीब महिलाओं का चुनाव में भरपूर समर्थन हासिल किया. वहीं गेहूं और धान की एमएसपी पर खरीद की गारंटी के साथ किसानों को बोनस देने और कर्ज का ब्याज माफ करने के अलावा तेंदूपत्ता की खरीद पर ज्यादा कीमत देने के वादे ने किसानों की नाराजगी भी दूर करने के दावे किए जा रहे हैं.
चुनाव में मतदाताओं को जोड़ने के लिए धर्म का बखूबी सहारा लेती रही भाजपा अब एमपी से एक नया प्रयोग करेगी. लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई रणनीति के तहत किसानों को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए भी धर्म काे मजबूत आधार बनाया जाएगा. इसके लिए हिंदू आस्था के प्रतीक 'राम' के साथ अब खेती की व्यवस्थित पद्धति को विकसित करने वाले 'हलधर' बलराम काे भी जोड़ा गया है.
धूत ने बताया कि 'राम बलराम यात्रा' के पहले चरण में पूरे प्रदेश से 15 लाख किसानों को संगठन का सदस्य बनाने का लक्ष्य है. इसके लिए हर किसान परिवार से 10 रुपये सदस्यता शुल्क भी लिया जाएगा. यह अभियान 15 दिसंबर से शुरू होगा.
गौरतलब है कि इस मुहिम के राजनीतिक निहितार्थ भी हैं. इसका सबसे प्रमुख पहलू राम बलराम यात्रा को लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए 'Game Changer' साबित करना है. चुनाव से पहले अगले साल मार्च तक विभिन्न चरणों में इस यात्रा के माध्यम से एमपी के 1 करोड़ किसानों को एकजुट करने का लक्ष्य है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एमपी में पंजीकृत किसानों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा है. इसलिए राजनीति में भी किसानों की आवाज को मजबूती से उठाया जाता है. उन्होंने बताया कि किसानों को एकजुट करने के लिए आरएसएस का यह देशव्यापी अभियान है, इसकी शुरुआत एमपी से हो रही है. एमपी के बाद इसे अन्य राज्यों में भी चलाया जाएगा.
पूरे देश में तमाम किसान संगठन लगातार यह मांग उठा रहे हैं कि किसानों को कम से कम उपज का लागत मूल्य मिलना सुनिश्चित हो. धूत ने कहा कि किसान संघ द्वारा इससे आगे जाकर इस यात्रा के दौरान किसानों को बताया जाएगा कि उन्हें उपज का लागत मूल्य नहीं बल्कि लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए. यह किसानों का जायज हक है.
उन्होंने कहा कि किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य न मिल पाने के कारण किसानों की नाराजगी को किसान संघ भाजपा सरकारों के सामने अपनी नाराजगी के रूप में पेश करता रहा है. अब एक बार फिर एमपी में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद किसान संघ किसानों को एकजुट कर लोकसभा चुनाव से पहले उनकी नाराजगी दूर करेगा. इस काम में भाजपा की भावी सरकार पर भरपूर दबाव बनाया जाएगा. जिससे नाराज किसानों को किसी अन्य दल या संगठन की ओर रुख करने की जरूरत न पड़े.
धूत ने बताया कि राम बलराम यात्रा के तहत पहले चरण में जिन 15 लाख किसानों को लक्षित किया गया है, उनमें वे किसान शामिल हैं जिनके हाल ही में शिवराज सरकार ने कर्ज पर ब्याज को माफ किया है.
गौरतलब है कि एमपी सरकार 11 लाख कर्जदार किसानों का 15 हजार करोड़ रुपये का ब्याज माफ कर चुकी है. जबकि इन किसानों के ऊपर मूलधन के रूप में महज 5 हजार करोड़ रुपये ही बकाया है. इन आंकड़ों के हवाले से किसानों को बताया जाएगा कि भाजपा सरकार उनके बड़े बोझ को हल्का कर चुकी है, इसलिए वे कांग्रेस की कर्ज माफी के झांसे में न आएं.
ये भी पढ़ें, MP Election 2023 : बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद क्या एमपी में बना रहेगा शिवराज का राज ?
पौराणिक मान्यताओं में ऐसा माना जाता है कि खेती की व्यवस्थित शुरुआत भारत में ही हुई थी. भारत में प्राचीन काल से ही खेती की समृद्ध परंपरा रही है. महाभारत काल में ही खेती को व्यवस्थित रूप दिया गया था. इसके प्रतीक कृष्ण के भाई बलराम हैं, जिन्हें 'हलधर' भी कहा जाता है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हल का आविष्कार महाभारत काल में ही हुआ था. स्पष्ट है कि हल ही खेती का परिष्कृत यंत्र है, इसलिए जाहिर तौर पर हल से पहले हंसिया, खुरपी, फावड़ा और कुदाल जैसे कृषि यंत्रों का आविष्कार भी महाभारत काल में ही हो चुका था.
इतना ही नहीं 'किसान' शब्द की उत्पत्ति को भी 'कृष्ण' के अपभ्रंश 'किशन' से माना जाता है. आज भी गांव में कृषि के जनक बलराम के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए 'हरछठ का पर्व मनाया जाता है, जिसमें किसान हल की पूजा करते हैं. इस प्रकार किसानों के बलराम से कनेक्शन को जोड़कर भाजपा अब लोकसभा चुनाव से पहले आरएसएस के बलबूते ग्रामीण इलाकों में अपनी पैठ को मजबूत बनाएगी.