धान और मक्के में हो सकता है कीट का प्रकोप, बचाव के लिए यह उपाय अपनाएं किसान

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धान और मक्के में हो सकता है कीट का प्रकोप, बचाव के लिए यह उपाय अपनाएं किसान

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खरीफ सीजन में मक्के की खेती काफी अधिक मात्रा में की जाती है. इसकी खेती फायदेमंद होती है क्योंकि हाल के दिनों में पॉल्ट्री क्षेत्र में चारे के तौर मक्के की मांग बहुत बढ़ी है. इसलिए घरेलू स्तर पर इसकी खपत बढ़ी है.  मक्के की खेती में इस दिनों उत्पादन तो बढ़ा है पर इसके साथ ही खेतों में कीट का भी खतरा बढ़ गया है. मक्के की खेती में इन दिनों सबसे अधिक फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप देखा जाता है. इस कीट पर नियंत्रण करने के लिए खेत पर हमेशा निगरानी करते रहना चाहिए और शुरुआती दौर में ही प्रबंधन के उपाय करने चाहिए. 
 

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फॉल आर्मी वर्म का नियंत्रण करने के लिए शुरुआत दौर में भी कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए. जल्दी छिड़काव करने से कई फायदे होते हैं. ध्यान रहे कि इस कीट का नियंत्रण करने के लिए सुबह या शाम के समय ही कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए. कीट के बेहतर प्रबंधन के लिए खेत से खरपतवार हटा देना चाहिए और जड़ के पास साफ रखना चाहिए. खेत से जल निकासी के लिए बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए और खेत से अतिरिक्त पानी की निकासी कर देनी चाहिए. 
 

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फॉल आर्मी वर्म के हमले को नियंत्रित करने के लिए, इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत एसजी का 4 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. टर्सिकम लीफ ब्लाइट रोग के प्रकोप से भी मक्के की खेती को काफी नुकसान होता है. इसे झुलसा रोग भी कहा जाता है. इस रोग से बचाव करने के लिए  प्रोपीकोनाज़ोल 25 प्रतिशत ईसी का 1 मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. 
 

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मक्के के अलावा धान की खेती में भी इस दौरान कीट और रोगों का प्रकोप होता है.रोपाई के दौरान या इसके बाद में पौधों में कई तरह के रोग और कीट का प्रकोप होने की संभावना होती है. इसके उचित प्रबंधन के लिए उचित दवाओं और कीटनाशक का इस्तेमाल करें. लगातार बारिश और अधिक नमी वाले क्षेत्रों में इस समय खेतों में ब्लास्ट रोग का प्रकोप हो सकता है. इस रोग में पत्तों में भूरे रंग के धब्बे हो जाते हैं. 
 

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इस रोग से बचाव के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5 प्रतिशत ईसी का 30 मिलीलीटर प्रति 15 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. ब्लास्ट रोग के अलावा फसलों में तना सड़ना का भी रोग होने की संभावना बनी रहता ही. इस रोग से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. पौधों में रोपाई के बाद तना छेदक कीट का भी हमला होता है. 
 

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देर से रोपाई करने के कारण तना छेदक कीट के हमले के लिए अनुकूल स्थिति बनती है. इससे बचाव के लिए खेत में अधिक नाइट्रोजनयुक्त खाद डालना चाहिए. तना छेदक कीट के प्रकोप के कारण पोधों का ऊपरी हिस्सा सूखने लगता है. तना छेदक कीट के हमले को पौधों से बचाने के लिए रोपाई से पहले से ही सावधानी बरतनी चाहिए. कीट के अंडों को खत्म करने के लिए रोपाई से पहले ही पौधों के ऊपरी हिस्से को काट देना चाहिए. 
 

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इसके अलावा अंडों को एक जगह जमा करके उन्हें नष्ट कर देना चाहिए. इस रोग से बचाव के लिए पोधों की रोपाई के वक्त उचित दूरी बनाए रखें. इसके साथ ही खेत का लगातार निरीक्षण करते रहे. अगर खेत में तना छेदक कीट का प्रकोप दिखाई देता है तो यूरिया का प्रयोग बंद कर दें. इसके साथ ही नीम तेल 1500 पीपीएम का 1.5 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें. 
 

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