खरीफ फसलों का सीजन चल रहा है. प्रमुख खरीफ फसल जैसे धान, मक्के, सोयाबीन और दलहनी फसलों की बुवाई और रोपाई का काम पूरा हो चुका है. रोपाई और बुवाई होने के बाद किसानों को अपने खेतों में पौधों की खास देखभाल करनी पड़ती है. क्योंकि यह शुरुआती समय होता है. पौधे नाजुक होते हैं और आसानी से कीट का रोग के शिकार हो सकते हैं. इसलिए लगातार इनकी निगरानी करनी चाहिए. किसान सही तरीके से निगरानी कर सके इसके लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से एडवाइजरी जारी की जाती है. इसका पालन करके किसान फसलों में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं और अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं.
मध्य प्रदेश के किसानों के लिए आईएमडी की तरफ से सलाह जारी की गई. धान की खेती को लेकर जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि जिन किसानों ने धान की रोपाई की और इसका समय दो से तीन सप्ताह पार हो चुका है वह किसान अपने खेतों में यूरिया का पहला भुरकाव कर सकते हैं. इससे पोधों को नाइट्रोजन मिलता है और हरापन आता है. पौधे मजबूत बनते हैं. साथ ही कहा गया है कि शुरुआती दौर में धान के खेतों में 2 से तीन सेंटीमीटर तक जलस्तर बनाए रखें.
जब किसान खेत में टिलरिंग का कार्य कर रहे हो उस समय धान के खेतों में 3 से 5 सेंटीमीटर का जलस्तर बनाए रखें. किसान फिर 30-40 दिनों के अंतराल पर फिर से खेत में यूरिया डालें. धान की रोपाई के बाद खेतों में खरपतवार का भी बढ़ने लगते हैं. अच्छी उपज पाने के लिए खरपतवार का उचित प्रबंधन भी जरूरी होता है. खरपतवार नियंत्रण के लिए 18 से 21 दिनों पर विस्पिरिबैक सोडियम 10 प्रतिशत एसी का खेत में छिड़काव करें.
खरीफ के सीजन में दलहनी फसल अरहर की भी खूब खेती की जाती है. अरहर की अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए खरपतवार नियंत्रण के साथ कीट और रोग का प्रबंधन करना भी जरूरी होता है. इस समय अरहर में बांझपन मोजेक रोग के फैलने की संभावना रहती है. इस रोक से बचाव के लिए सल्फर 50 प्रतिशत डब्ल्यू पी का 30 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इसके अलावा नीम का तेल 40 मिली को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं. मौसम साफ होने पर ही छिड़काव करें.
कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि वो खेत की परिस्थिति को देखते हुए खेत में खाद या कीटनाशक का छिड़काव करें. इस वक्त किसान खेत में एनपीके खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं. वर्तमान के मौसम परिस्थिति खास कर बादल और आर्द्र मौसम के कारण रस चूसने वाले कीट का संक्रमण हो सकता है. इससे बचाव के लिए वर्टिसिलियम लैकेन 50 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें.
सोयाबीन किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि फिलहाल खेतों में सही समय पर निराई गुड़ाई करें. खेतों से खरपतवार को अच्छे से साफ करें. किसानों को सलाह दी जाती है कि यदि पौधों में फूल आने लगें तो किसी भी प्रकार के शाकनाशी का छिड़काव न करें. सोयाबीन में खरपतवार प्रबंधन के लिए पोस्ट के अनुसार इमेजेथापायर 10 प्रतिशत एसएल का 250-300 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.
राज्य के कई क्षेत्रों में अधिक नमी के कारण मक्के में तना सड़न रोग के होने की जानकारी मिल रही है. इसकी रोकथाम के लिए खेतों में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था करें. खेत में नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग अधिक मात्रा में न करें. इसके साथ ही कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (COC) 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. यह छिड़काव 12-15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए. मक्के की फसल में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए मक्के के लिए टेम्बोट्रायोन 42 प्रतिशत एससी 115 मिलीलीटर का छिड़काव करें.