केंद्र सरकार हर साल 6.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक खेती और किसानों पर खर्च कर रही है: PM Modi

केंद्र सरकार हर साल 6.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक खेती और किसानों पर खर्च कर रही है: PM Modi

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सहकारी कांग्रेस को संबोधित करते हुए कहा, हिसाब लगाएं तो आज हर वर्ष केंद्र सरकार साढ़े 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक खेती और किसानों पर खर्च कर रही है. इसका मतलब है कि प्रतिवर्ष हर किसान तक सरकार औसतन 50 हजार रुपये किसी न किसी रूप में पहुंचा रही है.

भारतीय सहकारी कांग्रेस को संबोधित करते हुए पीएम मोदीभारतीय सहकारी कांग्रेस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Jul 01, 2023,
  • Updated Jul 01, 2023, 12:27 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली के प्रगति मैदान में 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार और सहकार मिलकर एक साथ विकसित भारत को मजबूत करेंगे. दिल्ली में 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस का आयोजन एक और दो जुलाई को किया जा रहा है. देश में सहकारिता के मॉडल को मजबूत बनाने के लिए इस कांग्रेस का आयोजन किया जाता है. अपने प्रयास को और अधिक मजबूती देने के लिए मौजूदा सरकार ने एक अलग से सहकारिता मंत्रालय बनाया है. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज को-ऑपरेटिव को वैसी ही सुविधाएं, वैसे ही प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जैसे कार्पोरेट सेक्टर को मिलते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, सहकारी समितियों की ताकत बढ़ाने के लिए उनके लिए टैक्स की दरों को भी कम किया गया है. प्रधानमंत्री ने कहा, जब विकसित भारत के लिए बड़े लक्ष्यों की बात आई, तो हमनें सहकारिता को एक बड़ी ताकत देने का फैसला किया. हमनें पहली बार सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय बनाया, अलग बजट का प्रावधान किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार और सहकार मिलकर एकसाथ विकसित भारत को मजबूती देंगे.

क्या कहा पीएम मोदी ने

प्रधानमंत्री ने कहा, सहकारिता क्षेत्र से जुड़े जो मुद्दे वर्षों से लंबित थे, उन्हें तेज गति से सुलझाया जा रहा है. हमारी सरकार ने सहकारी बैंकों को भी मजबूती दी है. लेकिन पिछले 9 वर्षों में ये स्थिति बिल्कुल बदल गई है. आज करोड़ों छोटे किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि मिल रही है. कोई बिचौलिया नहीं, कोई फर्जी लाभार्थी नहीं.

प्रधानमंत्री ने कहा, 2014 से पहले अक्सर किसान कहते थे कि उन्हें सरकार की मदद बहुत कम मिलती है और जो थोड़ी बहुत मिलती भी थी वो बिचौलियों के खातों में जाती थी. सरकारी योजनाओं के लाभ से देश के छोटे और मध्यम किसान वंचित ही रहते थे. यानी तब पूरे देश की कृषि व्यवस्था पर जितना खर्च तब हुआ, उसका लगभग तीन गुना हम केवल किसान सम्मान निधि पर खर्च कर चुके हैं. 

प्रधानमंत्री ने कहा, बीते चार वर्षों में इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख करोड़ रुपये सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजे गए हैं. ये रकम कितनी बड़ी है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि 2014 से पहले के पांच वर्षों का कुल कृषि बजट ही मिलाकर 90 हजार करोड़ रुपये से कम था.

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सहकारी कांग्रेस को संबोधित करते हुए कहा, हिसाब लगाएं तो आज हर वर्ष केंद्र सरकार साढ़े 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक खेती और किसानों पर खर्च कर रही है. इसका मतलब है कि प्रतिवर्ष हर किसान तक सरकार औसतन 50 हजार रुपये किसी न किसी रूप में पहुंचा रही है. यानी भाजपा सरकार में किसानों को अलग अलग तरह से हर साल 50 हजार रुपये मिलने की गारंटी है. ये मोदी की गारंटी है.

गन्ना किसानों को फायदा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, गन्ना किसानों के लिए भी उचित और लाभकारी मूल्य अब रिकॉर्ड 315 रुपये क्विंटल कर दिया गया है. किसान हितैषी अप्रोच को जारी रखते हुए, कुछ दिन पहले एक और बड़ा निर्णय लिया गया है. केंद्र सरकार ने किसानों के लिए तीन लाख 70 हजार करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया है. अमृतकाल में देश के गांव, देश के किसान के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए अब देश के कॉपरेटिव सेक्टर की भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है. 
सरकार और सहकार मिलकर विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को डबल मजबूती देंगे.

क्या है सहकारी कांग्रेस

17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस का आयोजन 1-2 जुलाई, 2023 को किया जा रहा है. इसका उद्देश्य सहकारी आंदोलन में विभिन्न रुझानों पर चर्चा करना, अपनाए जा रहे सर्वोत्तम तौर-तरीकों को प्रदर्शित करना, उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना और भारत के सहकारी आंदोलन के विकास के लिए भविष्य की नीतिगत दिशा तैयार करना है. 

"अमृत काल: जीवंत भारत के लिए सहयोग के माध्यम से समृद्धि" के मुख्य विषय पर सात तकनीकी सत्र आयोजित हो रहे हैं. इसमें प्राथमिक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की सहकारी समितियों, अंतरराष्ट्रीय सहकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के प्रतिनिधियों और मंत्रालयों, विश्वविद्यालयों और प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियों समेत 3600 से अधिक हितधारकों की भागीदारी होगी.

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