ऑर्गेनिक दाल के मुद्दे पर कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों के दो बड़े संगठन और अमूल आमने-सामने आ गए हैं. दोनों संगठनों ने अमूल को पत्र लिखकर कई सवाल दागे हैं जिससे कृषि क्षेत्र में एक नई बहस शुरू हो सकती है. हाल ही में अमूल ने विज्ञापन जारी किया था, जो अमूल की ऑर्गेनिक तुअर दाल से संबंधित था. इसी विज्ञापन को लेकर पेस्टिसाइड मैन्युफैक्चरिंग एंड फॉर्म्युलेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (PMFAI) और क्रॉप केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने अमूल को एक पत्र लिखा है. पत्र में ऑर्गेनिक तुअर दाल के विज्ञापन पर कड़ी आपत्ति जाहिर की गई है. दोनों ने ऑर्गेनिक दाल के दावे को भ्रामक बताया है. साथ ही कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि "रसायनों" और "कीटनाशकों" की परिभाषा के बारे में आपकी समझ संदिग्ध है.
इस पत्र के जरिए कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों के संगठनों की खीझ भी साफ दिखाई दे रही है. क्योंकि जैसे-जैसे ऑर्गेनिक कृषि उत्पादों का कारोबार बढ़ेगा वैसे-वैसे इन कंपनियों के कारोबार पर बुरा असर पड़ेगा. अब लोग जागरूक हो रहे हैं और कीटनाशक या रासायनिक खादों वाली कृषि उपज को खाने से परहेज कर रहे हैं. सरकार ऑर्गेनिक को प्रमोट कर रही है और इसके लिए बाकायदा 'नेशनल को-ऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड' नाम से एक सहकारी कंपनी बनाई गई है जो भारत ऑर्गेनिक के नाम से कृषि उत्पाद बेचेगी. बहरहाल, कृषि क्षेत्र में काम करने वाले दो बड़े खिलाड़ी ऑर्गेनिक दाल के मुद्दे पर उलझे हुए हैं. देखना यह है कि इसका परिणाम क्या होगा.
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एसोसिएशन ने अमूल पर सवाल उठाते हुए अमूल के एमडी को लिखे गए पत्र में दावा किया है कि ‘आपकी कंपनी यह साबित नहीं कर पाएगी कि पारंपरिक तुअर दाल की तुलना में आपकी अमूल ऑर्गेनिक तुअर दाल पोषण मूल्यों के मामले में बेहतर है.’ पीएमएफएआई ने अमूल को भेजे गए पत्र में अपने बारे में लिखते हुए बताया है कि वो एक राष्ट्रीय ऐसोसिएशन है जो एग्रोकेमिकल्स और कीटनाशक उद्योग का प्रतिनिधित्व करता है. जिसमें 221 बड़े, मीडियम और छोटे भारतीय एग्रोकेमिकल कंपनी सदस्य हैं.
संगठन ने कहा है कि हम साल 1967 से भारतीय एग्रोकेमिकल उद्योग और भारतीय कृषि समुदाय की सेवा कर रहे हैं. भारतीय एग्रोकेमिकल उद्योग 140 से अधिक देशों के बाजारों में 45 हजार करोड़ रुपये के कीटनाशक एक्सपोर्ट करता है. भारत दुनिया में कीटनाशकों का दूसरा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है.
पीएमएफएआई का कहना है कि अमूल का कीटनाशकों से मुक्त होने का दावा प्रमाणित नहीं है. ध्यान देने वाली बात ये है कि भोजन में कीटनाशकों की मौजूदगी का ये मतलब नहीं है कि भोजन उपभोग के लिए असुरक्षित है. यही वजह है कि अमूल कंपनी यह साबित नहीं कर पाएगी कि पारंपरिक तुअर दाल की तुलना में आपकी अमूल ऑर्गेनिक तुअर दाल पोषण मूल्यों के मामले में बेहतर है. अगर कंपनी इसे साबित करने की स्थिति में है तो अपने दावे का विवरण हमें उपलब्ध कराए. अमूल भारत में विश्वसनीय ब्रांडों में से एक है, इसलिए उसे ऐसे संदिग्ध प्रोडक्ट के दावे नहीं करने चाहिए.
पीएमएफएआई ने पत्र में ये भी कहा है कि प्रमाण पत्र देने वाली संस्था एनपीओपी (नेशनल प्रोग्राम फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्शन) की अपनी सीमाएं हैं और एनपीओपी यह प्रमाण नहीं करता है कि जैविक उत्पाद किसी भी तरह से सुरक्षित हैं. जबकि अमूल के विज्ञापन में यह भी दावा किया गया है कि अमूल तुअर दाल रसायनिक पदार्थ और कीटनाशकों से पूरी तरह मुक्त है. जबकि ध्यान देने वाली बात ये है कि उर्वरकों के इस्तेमाल में भी रसायनों का उपयोग शामिल होता है. जबकि 31 मार्च को मुंबई के एक अंग्रेजी अखबार में छपे आपके विज्ञापन में दी गई जानकारी भ्रामक है जो अमूल ऑर्गेनिक दाल को सुरक्षित बताती है. साथ ही ये भी लिखा है कि ‘आपके परिवार के लिए विकल्प- कोई रसायन नहीं, कोई कीटनाशक नहीं’.
पीएमएफएआई के सभी दावे और आरोपों के बारे में किसान तक ने जब अमूल के एमडी जयेन मेहता से इस बारे में बात करनी चाही तो उन्होंने ना तो फोन ही उठाया और ना ही व्हाट्सअप पर इस बारे में कोई जवाब दिया.
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