Dairy: एमपी की सांची डेयरी के लिए सिरदर्द बना दूध और मक्खन, जानें वजह 

Dairy: एमपी की सांची डेयरी के लिए सिरदर्द बना दूध और मक्खन, जानें वजह 

सांची से जुड़े जानकारों की मानें तो सांची के पास हर रोज बच रहे तीन लाख लीटर दूध की सप्लाई दिल्ली में की जा सकती है. दिल्लीस मिल्के स्कीलम को सांची दूध की सप्लाआई कर सकती है. उम्मीद जताई जा रही है कि गर्मियों में दूध की कमी को देखते हुए सांची के इस प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है.  

दूध उत्पादन में नबंर वन देश है भारत. (सांकेतिक फोटो)
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Apr 01, 2024,
  • Updated Apr 01, 2024, 2:08 PM IST

मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन (सांची) इस वक्तह एक अजीब तरह की परेशानी से जूझ रही है. अपनी परेशानी को लेकर वो राज्य सरकार से भी गुहार लगा रही है. सांची की ये परेशानी है लाखों लीटर दूध और हजारों टन दूध पाउडर और मक्खन. सांची का कहना है कि उसके पास हर रोज तीन लाख लीटर दूध बच रहा है. वहीं दूध बचने के चलते दूध पाउडर और मक्खन का स्टॉक भी लगातार बढ़ता जा रहा है. अब गर्मी आने के चलते इसे बाजार में बेचना बहुत जरूरी है. 

लेकिन सांची की परेशानी ये भी है कि उसे दूध, दूध पाउडर और मक्खन के ठीक-ठीक खरीदार नहीं मिल रहे हैं. जो खरीदार अभी तक खरीद रहे थे वो भी पीछे हट गए हैं. दाम भी सही नहीं मिल पा रहे हैं. सांची खुद भी सस्ता बेचना की कोशिश कर रही है. 

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हर रोज बच रहा है तीन लाख लीटर दूध 

सांची के अधिकारियों ने राज्या सरकार को पत्र लिखते हुए कहा है कि हमारे मिल्क कलेक्शन में हर रोज 10 लाख लीटर दूध आ रहा है. जबकि हमारी बिक्री सात लाख लीटर दूध की रोजाना है. इस हिसाब से हर रोज तीन लाख लीटर दूध बचता है. जिसके चलते दूध पाउडर और मक्खन का स्टॉक बढ़ता ही जा रही है. आज की तारीख में सांची के प्लांट में चार हजार टन से भी ज्याीदा दूध पाउडर और मक्खन है. लेकिन सबसे बड़ी परेशानी ये है कि अब गर्मी का मौसम आ गया है. गर्मी में मक्खन खराब होने का डर बना रहता है. 

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मिड-डे-मील और आंगनबाड़ी में दूध शामिल करने की डिमांड 

सांची ने राज्यी सरकार को लिखे अपने पत्र में ये भी मांग की है कि राज्य में मिड-डे मील और आंगनबाड़ी में दूध को शामिल किया जाए. इससे होगा ये कि मिड-डे-मील में तो दूध और आंगनबाड़ी में दूध पाउडर की खपत हो जाएगी. अभी राज्य सरकार ने सांची की इस मांग पर कोई जवाब नहीं दिया है. वहीं सांची का कहना है कि उनकी इस समस्या का जल्द‍ ही हल निकलना जरूरी है. इससे पहले कोल्हापुर, महाराष्ट्र में दूध देना शुरु किया था, लेकिन अब उन्होंने भी लेना बंद कर दिया है.  
 

 

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