गर्मियों में होने वाली दूध की कमी को सर्दी के मौसम में होने वाली दूध की अधिकता से पूरा किया जाता है. लेकिन आप सोच रहे होंगे ये कैसे संभव है. सर्दी में मिलने वाला दूध गर्मियों तक कैसे चल जाता है. आपके इसी सवाल का जवाब है फ्लश स्टॉक. सर्दियों में होने वाला फ्लश स्टॉक ही गर्मियों में दूध की डिमांड को पूरा करता है. फ्लश स्टॉक को ही इमरजैंसी सिस्टयम भी कहा जाता है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो छोटी-बड़ी ज्यादातर डेयरी कंपनी फ्लश स्टॉक पर काम जरूर करती हैं.
गौरतलब रहे कि आजकल दूध के दाम बढ़ने के पीछे एक बड़ी वजह फ्लश स्टॉक को ही बताया जा रहा है. क्योंकि बाजार में दूध की डिमांड तो बढ़ी है, लेकिन उत्पादन उस लेवल पर नहीं बढ़ा है. जिसके चलते दूध की किल्ल त हो रही है और दाम बढ़ रहे हैं.
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वीटा डेयरी, हरियाणा के जीएम चरन सिंह ने किसान तक को बताया कि फ्लश स्टॉक हर डेयरी में काम करता है. इस सिस्टम के तहत डेयरी में डिमांड से ज्यादा आने वाले दूध को जमा किया जाता है. जमा किए गए दूध का मक्खन और मिल्क पाउडर बनाया जाता है. डेयरियों में स्टोरेज क्वालिटी और कैपेसिटी अच्छी होने के चलते मक्खन और मिल्क पाउडर 18 महीने तक चल जाता है. अब तो इतने अच्छे-अच्छे चिलर प्लांट आ रहे हैं कि मक्खन पर एक मक्खी बराबर भी दाग नहीं आता है.
चरन सिंह बताते हैं कि जब बाजार में दूध की डिमांड ज्यादा हो जाती है या किसान-पशु पालकों की ओर से दूध कम आने लगता है तो ऐसे वक्त में फ्लश स्टॉक से शहरों को दूध की सप्लाई की जाती है. जैसे गर्मियों में अक्सर होता है कि पशु दूध कम देते हैं, लेकिन डिमांड बराबर बनी रहती है. इस डिमांड को भी फ्लश स्टॉक से ही पूरा किया जाता है.
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चरन सिंह का कहना है जब भी ज्यादा दूध की जरूरत पड़ती है तो फ्लश स्टॉक में से मक्खन और मिल्क पाउडर लेकर उन्हें मिला दिया जाता है. यह मिक्चर पहले की तरह से ही दूध बन जाता है. जब बड़े-बड़े आंदोलन के दौरान या फिर शहरों में कर्फ्यू लगा होने के चलते दूध की सप्लाई नहीं हो पाती है तो ऐसे में दूध को जमा कर फ्लश स्टॉंक में मक्खन और मिल्क पाउडर बना लिया जाता है. और कई बार ऐसा भी होता है कि ऐसे हालात में हमारे पास तक दूध ही नहीं पहुंचता है तो हम फ्लश स्टॉक से शहरों को दूध की सप्लाई करते हैं.