नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया (NCUI) के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने कहा है कि भारत में दुनिया भर के सहकारिता क्षेत्र का मार्गदर्शन करने की क्षमता है. भारत का जो सहकारिता मॉडल है उससे न सिर्फ वैश्विक असमानता दूर हो सकती है बल्कि क्लाइमेट चेंज से उपजी समस्याओं का समाधान भी हो सकता है. वर्ल्ड कोऑपरेटिव इकोनॉमिक फोरम भारत के सहकारिता मॉडल को वैश्विक पटल पर अगले वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ में नए तरीके से पेश करेगा. हम ऐसा आर्थिक विकास चाहते हैं जिसमें सभी देशवासी विकास करें. किसानों, ग्रामीणों और महिलाओं सबकी तरक्की हो. इसीलिए सरकार पैक्स को मजबूत कर रही है. संघानी बृहस्पतिवार को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में इंटरनेशनल कोऑपरेटिव अलायंस के ग्लोबल कॉन्फ्रेंस के दौरान फोरम की ओर से आयोजित साइड इवेंट को संबोधित कर रहे थे.
फोरम के कार्यकारी अध्यक्ष बिनोद आनंद ने कहा कि 2021 में सहकारिता मंत्रालय बनने के बाद इससे जुड़े कार्यों में तेजी आई है. पैक्स को तकनीक से लैस किया जा रहा है. उनकी आर्थिक सेहत सुधारने के लिए परंपरागत कार्यशैली में बदलाव करने की कोशिश जारी है. इसके तहत उन्हें कई नए कामकाज से जोड़ा जा रहा है. भारत में सहकारिता का काम सही रास्ते पर है, लेकिन अब समय कोऑपरेटिव इकोमिक जोन भी बनाने का है. साथ ही वैश्विक स्तर पर कमोडिटी का व्यापार भी सहकारिता के सिद्धान्तों पर स्थापित करने का सही समय आ गया है. उन्होंने कहा कि सहकार भाव के किसी भी बड़ी वैश्विक समस्या का समाधान संभव नहीं है. कॉन्फ्रेंस में सहकारी क्षेत्र के दिग्गजों ने इस बात पर मंथन किया कि कैसे ग्लोबल समस्याओं को सहकारी भाव यानी एक साथ मिलकर हल किया जा सकता है.
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नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के चेयरमैन मीनीश शाह ने कहा कि नेट जीरो इमीशन के लिए बायो एनर्जी का इस्तेमाल बढ़ाने की जरूरत है. इस पर एक प्रजेंटेशन देते हुए शाह ने कहा कि किसान अपने पशु और खेती बाड़ी के अवशिष्ट पदार्थो के ऊर्जा का समुचित तौर पर मैनेजमेंट कर भारत को नई दिशा में ले जा सकते हैं.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सेंट्रल बोर्ड डायरेक्टर सतीश मराठे ने सहकारी सदस्यों के वित्तीय साक्षरता की जरूरत पर जोर देते हुए जनधन अकाउंट, मोबाइल और आधार कार्ड के सदुपयोग के बारे में बताया. उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए नियामकों में जो सुधार होने चाहिए, उस पर एक संकलन करके अगले वर्ष संयुक्त राष्ट्र में रखने की बात कही.
वर्ल्ड कोऑपरेटिव इकोनॉमिक फोरम के युवा विंग के अध्यक्ष हर्ष संघानी ने कोऑपरेटिव को एग्रीकल्चर और बैंकिंग से आगे ले जाने की वकालत की. उन्होंने कार्बन क्रेडिट लेने के लिए सहकारिता मॉडल रोडमैप बनाने की बात कही. उन्होंने कहा कि सहकारी आंदोलन के जरिए न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है बल्कि जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान भी किया जा सकता है.
पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट विनीता हरिहरन ने कहा कि भारत में कॉऑपरेटिव मूवमेंट बहुत पुराना है. इसका एक गौरवशाली इतिहास है. लेकिन, जब से केंद्र में सहकारिता मंत्रालय बना है तब से इस सेक्टर में नई जान आ गई है. खासतौर पर पैक्स का जो मॉर्डनाइजेंशन हो रहा है उसका परिणाम आने वाले कुछ दिनों में दिखाई देने लगेगा. उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन में महिलाओं की अहम भूमिका है. अब मल्टीस्टेट कॉपरेटिव में वुमेन डायरेक्टर बनाना अनिवार्य हो गया है. लेकिन, अब समय की जरूरत यह है कि सारे ग्राम पंचायतों में एक-एक पैक्स ऐसा हो जिसे महिलाएं लीड करें. महिला कॉपरेटिव की सफलता का टर्की बड़ा उदाहरण है.
इस मौके पर राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड (नेफ्सकॉब) के अध्यक्ष केके राव, इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट के प्रोफेसर डॉ. राकेश अरावतिया, धनुका ग्रुप के आरजी अग्रवाल, डॉ. मल्लिका कुमार, वैकुंठ मेहता नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कोऑपेरेटिव मैनेजमेंट की निदेशक डॉ. हेमा यादव, इंडियन इकोनॉमिक सर्विसेज के अधिकारी डॉ. केके त्रिपाठी, किसान नेता कृष्णवीर चौधरी और सहकारी नेता जीतेंद्र शर्मा सहित कई लोगों ने अपनी बात रखी.
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