मछली ही नहीं भारत में होने वाले वेनामी झींगा को भी विदेशों में बहुत पसंद किया जाता है. सीफूड एक्सपोर्ट में एक बड़ी मात्रा झींगा की होती है. झींगा और मछली पालन को कैसे लाभदायक बनाया जाए. कैसे एक्सपोर्ट और घरेलू बाजार में इन्हें रफ्तार मिले, मछली और झींगा पालन करने वालों की इनकम कैसे बढ़े, इसी को ध्यान में रखते हुए ग्लोबल फिशरीज कांफ्रेंस-2023 का आयोजन किया जा रहा है. देश में ये पहला मौका होगा जब फिशरीज से जुड़े किसी कार्यक्रम को इंटरनेशनल लेवल पर कराया जा रहा है.
गौरतलब रहे 21 नवंबर को दुनियाभर में वर्ल्ड फिशरीज डे मनाया जाता है. इसीलिए कांफ्रेंस का दिन 21 नवंबर को चुना गया है. अहमदाबाद, गुजरात में इसका आयोजन किया जा रहा है. ये दो दिन चलेगी. इसमे फिशरीज से जुड़ी प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया है. दुनियाभर के 50 से ज्यादा देशों से फिश एक्सपर्ट इस कांफ्रेंस में हिस्सा लेंगे. मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला इसका उद्घाटन करेंगे.
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केन्द्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला का कहना है कि फिशरीज सेक्टर एक उभरता हुआ क्षेत्र है. विश्व मछली उत्पादन में आठ फीसद की हिस्सेदारी के साथ भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक देश है. इतना ही नहीं झींगा उत्पादन में दूसरा और सीफूड एक्सपोर्ट में चौथे नंबर पर है. लेकिन अब हमारा लक्ष्य पीएम नरेन्द्र मोदी की पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत 22 मिलियन मीट्रिक टन मछली उत्पादन का है.
वहीं साल 2024-25 में सीफूड एक्सपोर्ट एक लाख करोड़ तक पहुंचाने के लिए भी लगातार काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि ये वो सेक्टर है जो समाज के कमजोर वर्ग के आर्थिक सशक्तिकरण में मददगार साबित होगा और विकास की असीम संभावनाएं हैं. और इसे हासिल करने के लिए हमारी नजर लक्ष्य पर है.
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केन्द्रीय मत्य्ैिक, पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री डॉ. एल मुरुगन ने कहा कि ये कांफ्रेंस मछुआरों, किसानों, इंडस्ट्री , तटीय समुदायों, एक्सपोर्टर, अनुसंधान संस्थान, निवेशकों आदि को एक मंच प्रदान करेगा. ये एक मंच पर सभी को साथ जोड़ने का काम करेगी. उन्होंने ये भी कहा कि सम्मेलन में मछली पालन क्षेत्र से जुड़ी सागर परिक्रमा, पीएमएमएसवाई, मछली पालन बुनियादी ढांचे आदि में किए गए विकास और सरकारी पहलों का भी प्रदर्शन किया जाएगा.