Ganesh Chaturthi Special: मिट्टी के गणेश विसर्जन के बाद उगेंगे पौधे, यहां जानें डिटेल्स

Ganesh Chaturthi Special: मिट्टी के गणेश विसर्जन के बाद उगेंगे पौधे, यहां जानें डिटेल्स

गणेश चतुर्थी के मौके पर संस्थान के कार्यकर्ताओं ने इको फ्रेंडली गणेश मूर्तियां बनाई हैं. मिट्टी की मूर्तियों में कई प्रजाति के पौधों के बीज रखे गए हैं. विसर्जन के बाद यह बीज पौधों में बदल जाएंगे.

Ganesh Chaturthi Special: मिट्टी के गणेश विसर्जन के बाद उगेंगे पौधेGanesh Chaturthi Special: मिट्टी के गणेश विसर्जन के बाद उगेंगे पौधे
माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Sep 19, 2023,
  • Updated Sep 19, 2023, 2:34 PM IST

गणेश चतुर्थी पर कई जगहों पर इको फ्रेंडली गणेश मूर्तियां बनाई गई हैं. ऐसा ही एक नवाचार राजस्थान की कल्पतरु संस्थान ने भी किया है. गणेश चतुर्थी के मौके पर संस्थान के कार्यकर्ताओं ने इको फ्रेंडली गणेश मूर्तियां बनाई हैं. मिट्टी की मूर्तियों में कई प्रजाति के पौधों के बीज रखे गए हैं. विसर्जन के बाद यह बीज पौधों में बदल जाएंगे. संस्थान के उमा व्यास ने किसान तक को बताया कि आजकल ज्यादातर मूर्तियां पीओपी की बनती हैं. इसीलिए हमने मिट्टी की मूर्ति बनाई हैं. इन प्रतिमाओं के बीच में कई प्रजातियों के पौधों के बीज रखे गए हैं. जो विसर्जन के कुछ दिनों बाद ही पौधों में बदल जाएंगे. उमा व्यास बताती हैं कि कुछ दिनों से संस्थान के अनेक वॉलिंटियर्स को बीज रखकर गणेश प्रतिमा बनाने की विशेष ट्रेनिंग भी दी गई थी. गांवों के तालाबों से पवित्र मिट्टी लाकर 1008 गणेश प्रतिमाएं तैयार की गई हैं.

इन मूर्तियों को शहरवासियों को निशुल्क दिया जा रहा है. साथ ही लोगों को गमलों में इन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किस तरह किया जाए, इसकी भी जानकारी दी गई है. 

पीओपी से होता है पर्यावरण को नुकसान

व्यास कहती हैं कि मूर्तियां पीओपी (प्लास्टर ऑफ़ पेरिस) से और पंडाल सजावट की चीजें थर्मोकोल, प्लास्टिक और अन्य हानिकारक पदार्थों से बनी होती है.  जो कि प्रकृति के लिए बहुत नुकसानदायक हैं. ऐसे में क्यों न हम कोई ऐसा तरीका अपनाए जिससे त्यौहार भी अच्छे मन जाए और प्रकृति की भी रक्षा हो जाए? इसलिए ज़रूरी है कि हम प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझें और अपने त्यौहारों को पारम्परिक तरीकों से मनाएं.

हम ऐसे कदम उठाए जिससे कि हमारी श्रद्धा और आस्था का भी मान रहे और साथ ही, हमारी प्रकृति भी संरक्षित हो. बाज़ारों में भले ही आज इस गणपति उत्सव को मनाने के लिए हज़ारों तरीके उपलब्ध हैं, लेकिन इस त्यौहार को आप आसानी से घर में मौजूद पारम्परिक चीज़ों से भी मना सकते हैं. यह पर्यावरण के लिए हानिकारक भी नहीं है. 

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तुलसी, कमल और फूलों के इस्तेमाल से बनी हैं मूर्तियां

व्यास ने किसान तक को बताया कि शहरी लोगों को देने वाली मूर्तियां तुलसी और फूलों के बीजों से बनाई गई हैं. जिन्हें गमलों या पार्कों में विसर्जित किया जा सकेगा. साथ ही जलाशय में विसर्जित करने वालों के लिए कमल के बीजों का उपयोग किया गया है. उत्सव खत्म होने के बाद इस मूर्ति को आप गमले या गद्दे में लगा दें, मूर्ति के बीज पौधा बनकर आपके घर की हरियाली बढ़ाएंगे. मिट्टी के स्थान पर गाय के गोबर से भी प्रतिमा बनाकर विसर्जित की जा सकती है. 

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त्योहारों के ऐसे बना सकते हैं इको फ्रेंडली

वे बताती हैं कि गणेश प्रतिमा के अलावा उत्सव में पंडाल और फिर पूजा-विधि के लिए भी ख़ास इंतजाम किए जा सकते हैं. लेकिन आप अपने गणपति उत्सव को पूरी तरह से इको-फ्रेंडली भी बना सकते हैं. रेग्युलर अगरबत्ती इस्तेमाल करने की बजाय आप फूलों को प्रोसेस करके बनाई गई ऑर्गेनिक अगरबत्ती इस्तेमाल करें. साथ ही, प्लास्टिक की सजावट की जगह बायोडिग्रेडेबल चीज़ों से सजावट करें. पूजा में चढ़ाए गए फूलों को यूं ही कहीं फेंकने की बजाय आप उन्हें खाद बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.
 

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