ये पहला मौका होगा जब देश में सौर ऊर्जा से चलने वाला पहला डेयरी प्लांट तैयार हो रहा है. नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह के मुताबिक प्लांट का 90 फीसद हिस्सा सौर ऊर्जा पर काम करेगा. ये प्लांट केरल सहकारी दूध विपणन महासंघ (मिल्मा) तैयार कर रही है. नया प्लांट एर्नाकुलम में तैयार हो रहा है. हाल ही में मीनेश शाह ने केरल सहकारी दूध विपणन महासंघ (मिल्मा) के एमडी आसिफ के. यूसुफ के साथ एर्नाकुलम संघ की त्रिपुनिथुरा डेयरी का दौरा भी किया था.
जहां प्लांट को लेकर चल रहीं तैयारियों का जायजा भी लिया. खास बात ये है कि इस प्लांट के लिए एनडीडीबी की ओर से भारत सरकार की डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (DIDF) योजना के तहत वित्तीय मदद दी गई है. एनडीडीबी के "रिवाइटलाइजिंग प्रॉमिसिंग प्रोड्यूसर्स ओन्ड इंस्टीट्यूशन" प्लान के तहत इसे चुना गया था.
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वाराणसी में अमूल और बनास डेयरी के सहयोग से ये मिल्क प्लांट शुरू होने जा रहा है. 23 फरवरी 2024 को पीएम नरेन्द्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे. इस प्लांट को हर रोज करीब 10 लाख लीटर दूध की जरूरत पड़ेगी. साल 2021 में इस प्लांट का काम शुरू हुआ था. अमूल और बनास डेयरी के सहयोग से वाराणसी में बने इस प्लांट को बनास काशी संकुल नाम दिया गया है. ये पूरी तरह से हाईटेक है. बनास काशी संकुल 30 एकड़ एरिया में फैला हुआ है. इस प्लांट की क्षमता 10 लाख लीटर प्रति दिन दूध प्रोसेसिंग की है. इस पूरी परियोजना पर 622 करोड रुपये का खर्च आया है.
अब वाराणसी जिसे काशी भी कहा जाता है में आने वालों को नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) द्वारा तैयार लस्सी, छाछ और मिस्टी दोई भी खाने को मिलेगा. जल्द ही एनडीडीबी वाराणसी में मिल्क प्लांट तैयार करने जा रही है. 20 फरवरी को खुद बोर्ड के चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह ने प्लांट का भूमि पूजन किया. जानकारों की मानें तो इस प्लांट की क्षमता 50 मीट्रिक टन प्रतिदिन होगी. इस प्लांट को वाराणसी दुग्ध संघ की दूसरी यूनिट के रूप में शुरू किया जा रहा है.
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लद्दाख क्षेत्र में मौजूद सेना के तमाम प्रतिष्ठानों पर अब फ्रेश मिल्क की कोई कमी नहीं पड़ेगी. दरअसल, एनडीडीबी के प्रबंधन के तहत लद्दाख यूटी डेयरी कोऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड ने लेह में सेना प्रतिष्ठानों को ताजा दूध की आपूर्ति शुरू कर दी है. इसलिए अब इसी डेयरी पर सेना के जवानों को ताजा दूध उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी होगी. एनडीडीबी की मंशा है कि लद्दाख में एक डेरी मूल्य श्रंखला विकसित हो जाए. जो दुग्ध उत्पादकों के लिए काफी लाभप्रद हो. इसके साथ ही उपभोक्ताओं को भी गुणवत्तापूर्ण दूध एवं उससे बने उत्पाद भी सही दाम पर मिलें.