सोयाबीन खरीद में संकट: नमी और रंग बदलने से सेंटरों में बड़े पैमाने पर रिजेक्शन, किसान परेशान

सोयाबीन खरीद में संकट: नमी और रंग बदलने से सेंटरों में बड़े पैमाने पर रिजेक्शन, किसान परेशान

महाराष्ट्र के धाराशिव जिले में सोयाबीन की सरकारी खरीद भारी मात्रा में चल रही है, लेकिन नमी बढ़ने और दानों का रंग बदलने के कारण हजारों क्विंटल सोयाबीन वेयरहाउस से रिजेक्ट हो रहा है. सरकारी नियमों के चलते 12% से अधिक नमी वाली उपज स्वीकार नहीं की जा रही, जिससे किसानों में नाराजगी और नुकसान बढ़ रहा है. कई प्रमुख खरीद केंद्र अब भी बंद हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 25, 2025,
  • Updated Nov 25, 2025, 5:45 PM IST

सोयाबीन के दाम में गिरावट जारी है. मौसम में अनिश्चितता का सीधा असर अब सोयाबीन की खरीद पर दिख रहा है. महाराष्ट्र के धाराशिव जिले के अलग-अलग एमएसपी सेंटरों पर सोयाबीन की खरीद तो बड़ी मात्रा में हो रही है, लेकिन कई जगहों पर किसानों की सोयाबीन नमी और रंग बदलने की वजह से वेयरहाउस से रिजेक्ट हो रही है. सेंटर पर दिखाई जा रही नमी अगले दिन बढ़ जा रही है, जिसका सीधा असर सरकारी खरीद पर पड़ रहा है.

नमी का झटका 11.3 से 12.7 पर

सरकारी खरीद सेंटरों पर जांच के दौरान सोयाबीन में नमी 11.3% पाई जाती है. लेकिन अगले दिन नापने पर यह बढ़कर 12.7 प्रतिशत हो जाती है. चूंकि यह स्तर 12 परसेंट से अधिक है, इसलिए किसानों की उपज सरकारी खरीद से इनकार कर दी जाती है.

वेयरहाउस के क्या हैं नियम?

सरकारी खरीद केंद्रों का नियम है कि उपज में 12% से ज्यादा नमी नहीं होनी चाहिए. इस स्तर से अधिक नमी वाला सोयाबीन स्वीकार नहीं किया जाएगा. उसे खरीद के लिए उपयुक्त नहीं माना जाएगा और किसान को अपनी उपज वापस लेनी होगी.

इससे सेंटर संचालकों और किसानों की मुश्किल बढ़ गई है. पता चला है कि कुछ सेंटरों ने दस क्विंटल से ज्यादा खरीदा हुआ सोयाबीन वापस कर दिया है क्योंकि नमी की मात्रा अधिक पाई गई. 'लोकमत' ने एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी.

सोयाबीन का रंग बदलना भी एक बड़ी समस्या

इस साल खरीफ सीजन में भारी बारिश की वजह से सोयाबीन के दानों का रंग बदलने की मात्रा काफी बढ़ गई है. इस बारे में किसानों की स्पष्ट राय है और वे कारण भी बताते हैं कि दाने का रंग काला क्यों पड़ जाता है.

किसान क्या कहते हैं?

  • कुछ किस्मों में पॉलिनेशन बढ़ने की वजह से दाने भूरे/काले हो जाते हैं
  • फेडरेशन की तरफ से साफ गाइडलाइंस न होने की वजह से सेंटर्स पर कन्फ्यूजन है
  • क्वालिटी इंस्पेक्शन में इन अनाजों के रिजेक्ट होने से नुकसान हो रहा है

फेडरेशन को तुरंत कदम उठाने की मांग

वेयरहाउस से रिजेक्ट होने के बाद किसानों को परेशानी हो रही है, और मांग है कि किसानों की स्थिति के हिसाब से नियमों में ढील दी जाए या कोई टेपररी विकल्प दिया जाए ताकि किसान राहत पा सकें.

धाराशिव जिले के 31 सेंटर्स में से कुछ पर भारी खरीद हो रही है. पिछले आठ दिनों में धाराशिव, सोननेवाड़ी, चिखली, चोरखली, भूम, गुंजोटी समेत कई सेंटर्स पर करीब 10,000 क्विंटल की खरीद हुई है.

लेकिन किसान परेशानी में हैं क्योंकि नलदुर्ग, वाशी, शिरधों, ढोकी, तुलजापुर, टाकली बेंबली जैसे कुछ महत्वपूर्ण केंद्र अभी भी बंद हैं.

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