
सोयाबीन के दाम में गिरावट जारी है. मौसम में अनिश्चितता का सीधा असर अब सोयाबीन की खरीद पर दिख रहा है. महाराष्ट्र के धाराशिव जिले के अलग-अलग एमएसपी सेंटरों पर सोयाबीन की खरीद तो बड़ी मात्रा में हो रही है, लेकिन कई जगहों पर किसानों की सोयाबीन नमी और रंग बदलने की वजह से वेयरहाउस से रिजेक्ट हो रही है. सेंटर पर दिखाई जा रही नमी अगले दिन बढ़ जा रही है, जिसका सीधा असर सरकारी खरीद पर पड़ रहा है.
सरकारी खरीद सेंटरों पर जांच के दौरान सोयाबीन में नमी 11.3% पाई जाती है. लेकिन अगले दिन नापने पर यह बढ़कर 12.7 प्रतिशत हो जाती है. चूंकि यह स्तर 12 परसेंट से अधिक है, इसलिए किसानों की उपज सरकारी खरीद से इनकार कर दी जाती है.
सरकारी खरीद केंद्रों का नियम है कि उपज में 12% से ज्यादा नमी नहीं होनी चाहिए. इस स्तर से अधिक नमी वाला सोयाबीन स्वीकार नहीं किया जाएगा. उसे खरीद के लिए उपयुक्त नहीं माना जाएगा और किसान को अपनी उपज वापस लेनी होगी.
इससे सेंटर संचालकों और किसानों की मुश्किल बढ़ गई है. पता चला है कि कुछ सेंटरों ने दस क्विंटल से ज्यादा खरीदा हुआ सोयाबीन वापस कर दिया है क्योंकि नमी की मात्रा अधिक पाई गई. 'लोकमत' ने एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी.
इस साल खरीफ सीजन में भारी बारिश की वजह से सोयाबीन के दानों का रंग बदलने की मात्रा काफी बढ़ गई है. इस बारे में किसानों की स्पष्ट राय है और वे कारण भी बताते हैं कि दाने का रंग काला क्यों पड़ जाता है.
वेयरहाउस से रिजेक्ट होने के बाद किसानों को परेशानी हो रही है, और मांग है कि किसानों की स्थिति के हिसाब से नियमों में ढील दी जाए या कोई टेपररी विकल्प दिया जाए ताकि किसान राहत पा सकें.
धाराशिव जिले के 31 सेंटर्स में से कुछ पर भारी खरीद हो रही है. पिछले आठ दिनों में धाराशिव, सोननेवाड़ी, चिखली, चोरखली, भूम, गुंजोटी समेत कई सेंटर्स पर करीब 10,000 क्विंटल की खरीद हुई है.
लेकिन किसान परेशानी में हैं क्योंकि नलदुर्ग, वाशी, शिरधों, ढोकी, तुलजापुर, टाकली बेंबली जैसे कुछ महत्वपूर्ण केंद्र अभी भी बंद हैं.