केंद्र सरकार ने देश में दाल की कीमतों को नियंतित्र करने की अपनी पहल के तहत उड़द दाल के शुल्क मुक्त आयात की मियाद को बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक कर दिया. इससे पहले यह मियाद 31 मार्च 2025 तक लागू थी. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने सोमवार को नोटिफिकेश जारी कर यह जानकारी दी. भारत दुनिया का सबसे बड़ा उड़द उत्पादक और उपभोक्ता है. यहां मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र उड़द के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. सरकार के इस कदम के बाद घरेलू बाजार इसकी कीमतें स्थिर रखने में मदद मिलेगी. भारत मुख्य रूप से अपने पड़ोसी देश म्यांमार से उड़द का आयात करता है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान आयात 601.12 मिलियन अमरीकी डॉलर रहा. जिसमें से अकेले म्यांमार से 549 मिलियन अमरीकी डॉलर का अनाज आयात किया गया. 2023-24 में आयात 663.21 मिलियन अमरीकी डॉलर था इसमें से म्यांमार से 646.6 मिलियन अमरीकी डॉलर का था. म्यांमार के अलावा, भारत सिंगापुर, थाईलैंड और ब्राजील से उड़द का आयात करता है.
पिछले वित्त वर्ष में भारत और म्यांमार के बीच द्विपक्षीय व्यापार 1.74 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि 2022-23 में यह 1.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. व्यापार घाटा म्यांमार के पक्ष में है. इससे पहले केंद्र सरकार ने पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की मियाद भी बढ़ा दी, ताकि आम उपभोक्ता को सस्ती दाल उपलब्ध कराई जा सके. सरकार ने पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की मियाद को 31 मई 2025 तक बढ़ाया है. यानी अभी ढाई महीने तक इसकी आवक होती रहेगी.
मालूम हो कि पीली मटर दाल अन्य दालों की तुलना में एक बहुत ही सस्ती दाल है, जो ज्यादा से 40 रुपये प्रति किलोग्राम या इससे थोड़ा ऊपर नीचे के भाव पर आम उपभोक्ता के लिए उपलब्ध रहती है. देश के अधिकांश उपभोक्ता चना और तूर (अरहर) जैसे महंगी दालों न खरीद पाने के कारण खाने में इस दाल का इस्तेमाल करते हैं.
वहीं, केंद्र सरकार ने मसूर दाल के आयात पर 10 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है, जिससे अब इंपोर्टर्स को आयात करना महंगा पड़ेगा. ड्यूटी लगाए जाने से देश में इस दाल की कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी होगी, जिससे किसानों को घरेलू बाजार में थोड़ी बेहतर कीमतें मिलने की संभावना है. हालांकि, असर कितना होगा यह कहना मुश्किल है. दरअसल, पिछले दो सालों से लगातार दालों का उत्पादन कम हो रहा है और लंबे समय से ज्यादातर दालों की कीमतें आसमान छू रही हैं. दाल की आपूर्ति के लिए सरकार को निर्यात को बढ़ावा देना पड़ रहा है.
वहीं, कम उत्पादन के चलते घरेलू बाजार में किसान ज्यादा कीमत पर दाल बेच रहे हैं, जिसके कारण केंद्र सरकार की खाद्यान एजेंसियां इन दालों की खरीद कम कर रही हैं, क्योंकि महंगी खरीद के चलते यह आम उपभोक्ता को भी महंगे दाम पर मिलेंगी. यही वजह है कि सरकार बेहत कम आयात शुल्क या शुल्क मुक्त आयात के जरिए विदेशों से दाल की आपूर्ति कर कीमतें स्थिर करने की कोशिश कर रही है.