Paddy Nursery: धान नर्सरी में पीलापन और कमजोर पौध की है समस्या, तो तुरंत करें ये उपाय

Paddy Nursery: धान नर्सरी में पीलापन और कमजोर पौध की है समस्या, तो तुरंत करें ये उपाय

देशभर में धान की खेती करने वाले किसानों ने अपनी नर्सरी डाल दी है. अच्छी पैदावार के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि धान की पौध स्वस्थ और मजबूत हो. हालांकि इन दिनों कई जगहों पर धान की नर्सरी के सूखने या पीला पड़ने की समस्या देखी जा रही है, जिससे किसान रोपाई के लिए स्वस्थ पौधे तैयार नहीं कर पा रहे हैं. यह स्थिति सीधे तौर पर धान की पैदावार को प्रभावित कर सकती है. इस समस्या को दूर करने के लिए उपाय जानें.

Paddy Sowing DSR techniquePaddy Sowing DSR technique
क‍िसान तक
  • नई दिल्ली,
  • Jun 18, 2025,
  • Updated Jun 18, 2025, 6:05 PM IST

देशभर में धान की खेती करने वाले किसानों ने अपनी नर्सरी डाल दी है, और अच्छी पैदावार के लिए यह बेहद जरूरी है कि धान की पौध स्वस्थ और मजबूत हो. हालांकि इन दिनों कई जगहों पर धान की नर्सरी के सूखने या पीला पड़ने की समस्या देखी जा रही है, जिससे किसान रोपाई के लिए स्वस्थ पौधे तैयार नहीं कर पा रहे हैं. यह स्थिति सीधे तौर पर धान की पैदावार को प्रभावित कर सकती है. इसलिए, किसानों को धान की नर्सरी में आने वाली इन समस्याओं के प्रति सचेत रहना चाहिए और समय रहते इनके समाधान के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए ताकि वे एक सफल रोपाई और अच्छी फसल सुनिश्चित कर सकें.

धान की नर्सरी में पौधों का पीला पड़ना या उनका विकास रुक जाना किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है. यह सीधे तौर पर पैदावार पर असर डालता है. इस परेशानी के पीछे कई वजहें होती हैं, जैसे पोषक तत्वों की कमी, पानी का गलत प्रबंधन, या रोग और कीटों का हमला. कुछ नर्सरियां तो अच्छी बढ़ती हैं, लेकिन कई में पौधे पीले पड़ जाते हैं या उनका विकास थम जाता है.

धान नर्सरी में पीलापन का कारण और समाधान

धान की नर्सरी में पौधों के पीले पड़ने और विकास रुकने के पीछे के कारणों को सही समय पर पहचानना और उनका इलाज करना बहुत ज़रूरी है. धान में पीलापन का एक बड़ा कारण जिंक, नाइट्रोजन, और फास्फोरस जैसे ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी है. ये तत्व पौधों के स्वस्थ विकास और पत्तियों को हरा रखने वाले क्लोरोफिल के लिए बेहद अहम हैं. इनकी कमी से पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं.

समाधान: इस समस्या से निपटने के लिए 2 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. साथ ही, 1 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ को भी 200 लीटर पानी में घोलकर अलग से छिड़काव करें. इन दोनों को कभी भी एक साथ न मिलाएं, क्योंकि इससे उनकी असरदारता कम हो सकती है.

धान की नर्सरी में न पानी कम हो, न ज्यादा

पानी की कमी या अधिकता, दोनों ही धान की नर्सरी के लिए हानिकारक हैं. अगर नर्सरी में पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है या सूखे जैसे हालात हैं, तो पत्तियां पीली पड़कर सूख सकती हैं. इसलिए, नर्सरी में हमेशा पर्याप्त नमी बनाए रखना बहुत ज़रूरी है. धान की नर्सरी में 'आर्द्र गलन' (Damping Off) की समस्या भी आती है, जिसमें पौधा जमीन के पास से ही सड़कर सूखने और गिरने लगता है. यह ज्यादा नमी और फंगल इन्फेक्शन की वजह से होता है. इसके बचाव के लिए फफूंदीनाशक (Fungicide) का एक बार छिड़काव जरूर करें.

खैरा और बीएलबी रोग से करें बचाव

नर्सरी में एक और जरूरी बीमारी जिंक की कमी से होती है, जिसे खैरा रोग कहते हैं. यह रोग धान की रोपाई के बाद भी लग सकता है. अगर धान की नर्सरी में पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे झुंड में बन रहे हैं, तो यह खैरा रोग का संकेत हो सकता है. इस स्थिति में एक बार 0.5% जिंक सल्फेट का इस्तेमाल जरूर करें. कुछ रोग भी पत्तियों को पीला कर सकते हैं और पौधे का विकास रोक सकते हैं.

बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट (BLB) एक जीवाणु जनित रोग है जो पत्तियों को पीला कर देता है और बाद में उन्हें सुखा देता है. 

समाधान: अगर बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट (BLB) का पता चलता है, तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (Copper Oxychloride) का उपयोग करें. यह केमिकल रोग को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है.

हेल्दी नर्सरी के लिए ये काम जरूर करें

  • पौधों को स्वस्थ रखने और नर्सरी को बीमारियों और कीटों से बचाने के लिए कुछ और उपाय भी किए जा सकते हैं:
  • समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें ताकि खरपतवार नियंत्रित रहें और पौधों को भरपूर पोषक तत्व मिल सके.
  • ज़्यादा गर्मी और सीधी धूप से बचाने के लिए, नर्सरी में छाया की व्यवस्था करें, खासकर जब पौधे बहुत छोटे हों.
  • बीमारियों और कीटों के शुरुआती लक्षणों को पहचानें और तुरंत उनका इलाज करें, ताकि समस्या बड़े पैमाने पर न फैले.
  • धान की नर्सरी के बेहतर विकास के लिए, इन बातों का ध्यान रखना आपकी फसल के लिए बहुत फायदेमंद होगा.

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