जलगांव के खानदेश में कपास का दाम गारंटीशुदा कीमत से नीचे हैं. मतलब एमएसपी से कम दाम पर कॉटन की बिक्री हो रही है. सरकारी खरीद तेजी से शुरू होने की उम्मीद है. लेकिन खानदेश में केवल तीन ही सरकारी कपास खरीद केंद्र हैं. इसके कारण कपास उत्पादकों को गारंटी मूल्य से कम कीमत पर कपास बेचना पड़ रहा है. कपास की खरीद गांवों से या सीधे खानदेश में की जाती है. कपास बाजार समितियों में नहीं आता. ग्रामीण खरीद में कपास की कीमत वर्तमान में 6,500 से 68,00 रुपये प्रति क्विंटल है.
सरकार ने सीज़न की शुरुआत में गारंटीकृत मूल्य की घोषणा की. केंद्र सरकार ने 2023-24 के लिए मध्यम रेशेवाली कपास की एमएसपी 6080 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6620 रुपए प्रति क्विंटल कर दी है. जबकि लंबे रेशेवाली वैराइटी का एमएसपी 6380 रुपए से बढ़ाकर 7020 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है. लेकिन अधिकांश जगहों पर इतना दाम नहीं मिल रहा है.
कॉटन कॉरपोरेशन (सीसीआई) की ओर से कपास की खरीदी सिर्फ तीन केंद्रों पर ही चल रही है. जटिल शर्तों, लाइसेंसिंग प्रक्रिया के कारण कई शॉपिंग सेंटर शुरू नहीं हो सके. हालांकि, किसानों को नुकसान हो रहा है. धुले और नंदुरबार में सरकारी कपास खरीद केंद्र अभी तक शुरू नहीं हुआ है. सीसीआई ने केवल जलगांव शहर, शेंदूरनी (टी. जामनेर) और पचोरा में कपास खरीद केंद्र शुरू किए हैं. अन्य क्षेत्रों में सीसीआई की ओर से खरीद केंद्र शुरू नहीं किए गए हैं.
सीसीआई द्वारा खानदेश में 11 सरकारी कपास खरीद केंद्र प्रस्तावित किए गए थे. लेकिन इनमें से सिर्फ तीन केंद्र ही शुरू हो सके हैं. इसके अलावा, जलगांव में केंद्र इसी सप्ताह शुरू हो गया है. दूसरी ओर व्यापारी, खरीदार गारंटी से कम कीमत देकर किसानों को लूट रहे हैं. जलगांव शहर में एक खरीद केंद्र शिवाजीनगर के महावीर जिनिंग में शुरू किया गया है. मार्केट कमेटी और सीसीआई का कहना है कि अगर खरीद केंद्रों की मांग होगी तो और भी केंद्र खोले जाएंगे. खानदेश को कपास बेल्ट के रूप में जाना जाता है. लेकिन पणन महासंघ ने खानदेश में कोई खरीद केंद्र शुरू नहीं किया है. इसके कारण संबंधित क्षेत्रों के किसानों को गारंटी मूल्य से कम कीमत पर कपास बेचना पड़ रहा है.
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