
किसान महापंचायत ने सीएसीपी और न्यूनतम समर्थन मूल्य के मापदंडों को परस्पर विरोधी बताते हुए एमएसपी के मापदंडों को खत्म करने की मांग की है. किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने भारत सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को पत्र लिखकर यह मांग उठाई है. रामपाल जाट ने कहा है कि मंगलवार को इस संबंध में आयोग के चेयरमैन के साथ एक मीटिंग भी है.
इस मांग के साथ किसानों की अन्य समस्याओं का एक ज्ञापन मीटिंग में आयोग को दिया जाएगा.
रामपाल जाट बताते हैं कि साल 2015-16 में सरकार ने किसानों की आय अगले पांच वर्षों में दोगुना करने के लिए बजट में घोषणा की थी. किसानों को उनकी उपजों का लागत से कम से कम 50 प्रतिशत या लागत से डेढ़ गुना दाम दिलाने का बजट 2018-19 में संकल्प लिया गया था.
2023 तक संसद में कई प्रश्नों के उत्तर में सरकार ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण के लिए कई मापदंड हैं. इनमें उत्पादन की लागत, घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार मूल्यों की प्रवृतियां, मांग एवं आपूर्ति की स्थिति, सामान्य मूल्य स्तर पर प्रभाव, जीवन लागत पर प्रभाव, औद्योगिक लागत संरचना पर प्रभाव शामिल हैं.
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जाट कहते हैं कि यह दोनों विरोधाभासी हैं. यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण के लिए इन मापदंडों को आधार बनाया जाता है तो औसत लागत का डेढ़ गुना दामों का निर्धारण असंभव है. इन मापदंडों के होते हुए बजटीय प्रावधानों की पालना संभव नहीं है. जाट जोड़ते हैं कि इस प्रकार के मापदंड कृषि उपजों के मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में ही है. औद्योगिक जगत के लिए इन मापदंडों की चर्चा तक नहीं है.
रामपाल जाट ने किसान तक को बताया कि आज हम कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के चेयरमैन को ज्ञापन देंगे. साथ ही उनके साथ होने वाली मीटिंग में इस मुद्दे को उठाएंगे. साथ ही देश के बजटीय घोषणाओं की पालना के लिए निर्धारित मापदंडों को खत्म करने की मांग की जाएगी.
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इसके अलावा खरीद की नीति- गेहूं एवं धान की तरह एक समान करने, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण के अंतर्गत मात्रात्मक प्रतिबंधों को हटाने, पाम आयल को खाद्य तेलों की श्रेणी से बाहर करने एवं खाद्य तेलों के आयात पर कम से कम 100% आयात शुल्क आरोपित करने के लिए सार्थक एवं प्रभावी कार्यवाही के लिए अनुशंसा की जाए. इससे किसानों को उनकी उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित हो सके.