बुंदेलखंड के झांसी जिले के ग्राम रक्सा पुनावली में एक पोखर में अत्यंत दुर्लभ प्रजाति के पीले (सुनहरे) मेंढकों को देखा गया, जो क्षेत्र में चर्चा के विषय बने हुए हैं. आमतौर पर चटकीले पीले रंग के मेंढक बहुत कम देखे जाते हैं. जिसके चलते अधिकतर लोगों को इन मेंढकों के बारे में पता नहीं है. लेकिन पोखर से निकलने वाले ये मेंढक अब तक सैकड़ों की तादाद में देखे गए हैं, जो लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है.
वहीं जब से इन मेंढकों को देखा गया है, तब से लोग इनको लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं. कोई इन मेंढकों को जहरीला बता रहा है तो कोई इनको शुभ और समृद्धि का प्रतीक बता रहा है.
झांसी के रक्सा पुनावली में बने पोखर में जब से दुर्लभ प्रजाति के मेंढकों को देखा गया है, तब से लगातार इनके वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे हैं. जिसके बाद लोग इनको लेकर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं. कोई कह रहा है कि यह जहरीले होते हैं, तो कोई इन्हें अच्छी बारिश और सुख समृद्धि का प्रतीक भी बता रहा है. हालांकि, पर्यावरणविदों की मानें तो इन मेंढकों के जहरीले होने की आशंका में कोई सच्चाई नहीं है. पर्यावरणविद का कहना है कि मेंढकों की ये दुर्लभ प्रजाति खासतौर पर भारत में ही पाई जाती है. इन्हें इंडियन बुल फ़्रॉग नाम से जाना जाता है, जो प्रजनन काल में अपना रंग बदल कर गहरा पीला कर लेते हैं. ये एक सामान्य घटना है.
वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना है कि इस प्रकार के मेंढकों का दिखाई देना किसानों के लिए लाभदायक है. यह किसानों के लिए अच्छी बारिश का प्रतीक माना जाता है. यदि बारिश अच्छी होगी तो किसानों को लाभ भी अच्छा होगा. ये मेंढक क्षेत्र में अच्छी फसल के संकेत माने जा रहे हैं. यह मेंढक इस बात का संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र के साथ पूरे जिले में अच्छी बारिश की संभावना है. यह राय यहां के स्थानीय निवासी आकाश दुबे, रवि साहू और फूल सिंह ने रखी.
वही लल्लन महाराज मंडलाचार्य का कहना है कि इस प्रकार के मेंढकों को ज्ञान और विज्ञान दोनों का प्रतीक माना जाता है. यह विकास और समृद्धि की ओर इशारा करते हैं. इस प्रकार के मेंढकों के दिखाई देने से कल्पना से अधिक बारिश की संभावना होती है और क्षेत्र के साथ जिले के आसपास में भी धन और समृद्धि और विकास होने की संभावना रहती है.
वही जब इन दुर्लभ प्रजाति के मेंढकों के बारे में विपिन बिहारी डिग्री कॉलेज के जीव जंतु विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर मानवेंद्र सिंह सेंगर से बात की तो उन्होंने बताया कि जो बारिश के समय पीले मेंढक देखें जाते है, ये किसी भी प्रकार से जहरीले नहीं होते हैं. ये सामान्य बात है जो हम लोगों के आसपास टेकरिणा नाम का मेंढक होता है, ये वही है जिसे बुलफ्रॉग भी कहते हैं. बारिश के समय इनमें इनमें एक अनुकूलन पाया जाता है जिस कारण इनका रंग पीला हो जाता है, जिससे ये अपनी मादाओं को आकर्षित करते हैं.
मानवेंद्र सिंह ने कहा, ये किसी प्रकार से हानिकारक नहीं हैं. ये खेतों में पाए जाने वाले जीवों और मौसम में बीमारी फैलाने वाले कीटों को खाते हैं. खास तौर से मच्छरों के लार्वा को खत्म करने का काम करते हैं. अगर किसान इसे बारिश का अच्छा संकेत मानते हैं तो अच्छी बात है.(अजय झा की रिपोर्ट)