Krishi Sakhi Yojana : खेती में अब महिलाओं का बढ़ेगा दखल ! क्या है कृषि सखी योजना ?

Krishi Sakhi Yojana : खेती में अब महिलाओं का बढ़ेगा दखल ! क्या है कृषि सखी योजना ?

कृषि सखी योजना का मूल विचार किसानों को गांव स्‍तर पर ही कृषि विशेषज्ञता उपलब्‍ध कराना है, जिसके लिए ग्रामीण महिलाओं को ट्रेंड किया जा रहा है. इससे एक तरफ तो खेती में महिलाओं का विशेषज्ञ दखल बढ़ेगा तो वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण रोजगार में महिलाओं को रोजगार भी उपलब्‍ध होगा

कृषि सखी योजना क्‍या है, कैसे इससे खेती में बढ़ेगा महिलाओं का दखलकृषि सखी योजना क्‍या है, कैसे इससे खेती में बढ़ेगा महिलाओं का दखल
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Jun 18, 2024,
  • Updated Jun 18, 2024, 8:09 PM IST

PM Modi ने मंगलवार को वाराणसी में धन्‍यवाद रैली को संंबोधित किया. इस दौरान पीएम किसान सम्‍मान निधि योजना की 17वीं किस्‍त भी जारी की गई ताे वहीं कृषि सखियों को सर्टिफिकेट का वितरण भी किया गया. अभी तक आपने ड्रोन दीदी के बारे में तो सुना था, लेकिन मोदी सरकार 3.0 में कृषि सखी योजना की जानकारी नई लग रही है. वहीं अब ये भी कहा जा रहा है कि ये कृषि सखियां खेती में महिलाओं का दखल बढ़ाएंगी. तो वहीं ये भी कहा जा रहा है कि ये कृषि सखियां किसानों की मददगार बनेंगी. आइए इसी कड़ी में जानते हैं कि कृषि सखी योजना क्‍या है. इससे किसानों को क्‍या फायदा होगा. ग्रामीण महिलाओं को इससे क्‍या लाभ मिलेगा.

कृषि व ग्रामीण विकास मंत्रालय की पहल- कृषि सखी

कृषि सखी योजना क्‍या है. इस सवाल का जवाब खोजें तो कहा जा सकता है कि कृषि व ग्रामीण विकास मंंत्रालय की संयुक्‍त पहल का नाम कृषि सखी है, जो ग्रामीण महिलाओं के कौशल विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है. असल में मोदी सरकार 2.0 में 30 अगस्‍त 2023 को कृषि व किसान कल्‍याण मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंंत्रालय ने एक MOU पर साइन किए थे. इस MOU के तहत ग्रामीण महिलाओं का कौशल विकास कर उन्‍हें कृषि सखी सर्टिफिकेट दिया जा रहा है. 

कृषि सखी और लखपति दीदी

मोदी सरकार 2.0 में देश के अंदर 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने की घोषणा हुई थी, इस बीच कृषि सखी की घोषणा नई सी लगती है, लेकिन सच ये है कि लखपति दीदी के अधीन ही कृषि सखी शामिल हैं. असल में कृषि सखी सर्टिफिकेशन के साथ ही महिलाओं को कृषि पैरा एक्‍सटेंशन (प्रशिक्षित व्यक्ति जो किसानों को उनकी आजीविका में सुधार करने में सहायता करने के लिए सलाहकार सेवाएं, एडवाइजरी और अन्य सेवाएं प्रदान करते हैं) सहायक बनाना है. ये कार्यक्रम लखपति दीदी कार्यक्रम के उद्देश्‍यों की पूर्ति करता है.

खेती में बढ़ेगा महिलाओं का दखल

कृषि सखी खेती में महिलाओं का दखल बढ़ाएंगी क्‍या, ये सवाल इस वक्‍त मौजूं है. जिसका जवाब हां में हैं. असल में कृषि पैरा एक्‍सटेंशन के लिए उन्‍हीं ग्रामीण महिलाओं को चुना गया है, जिनके पास खेती का अनुभव है, लेकिन कृषि पैरा एक्‍सटेंशन में शामिल होने के बाद उन्‍हें 56 दिनों की ट्रैनिंंग दी जाएगी. जिसके तहत उन्‍हें भूमि की तैयारी से लेकर फसल काटने तक एग्री इकोलॉजिकल प्रैक्‍टिस कराई जाएगी. इसके साथ ही किसान फील्ड स्कूलों का आयोजन, बीज बैंक की स्थापना और मैनेजमेंट, मृदा स्वास्थ्य, एकीकृत कृषि प्रणाली, पशुधन प्रबंधन की मूल बातें, बायो इनपुट की तैयारी, उपयोग एवं बायो इनपुट दुकानों की स्थापना और बुनियादी संचार कौशल के बारे में बताया जाएगा. मौजूदा वक्‍त में MANAGE और DAY-NRLM इन कृषि सखियों को ट्रैनिंंग दे रहा है.

किसानों की मददगार के साथ ही कमाई भी 

कृषि सखी योजना का मूल विचार किसानों को गांव स्‍तर पर ही कृषि विशेषज्ञता उपलब्‍ध कराना है, जिसके लिए ग्रामीण महिलाओं को ट्रेंड किया जा रहा है. इससे एक तरफ तो खेती में महिलाओं का विशेषज्ञ दखल बढ़ेगा तो वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण रोजगार में महिलाओं को रोजगार भी उपलब्‍ध होगा, जिससे किसान परिवारों की आय में बढ़ोतरी होगी. क्‍योंकि कृषि सखी के लिए उन्‍हीं महिलाओं का चयन किया जाना है, जिन्‍हें खेती की जानकारी है. कृषि मंंत्रालय की तरफ से साझा की गई जानकारी के अनुसार कृषि सखियां एक वर्ष में 60 हजार से 80 हजार रुपये तक कमा सकती हैं. 

वहीं जानकारी के मुताबिक अभी तक 70 हजार में से 34 हजार कृषि सखियों को पैरा एक्‍सटेंशन एक्‍टिविस्‍ट के तौर पर सर्टिफिकेट दिया जा चुका है. मौजूदा वक्‍त में गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मेघालय में कृषि सखी याेजना लागू है.

अभी ऐसे काम कर रही हैं कृषि सखियां

कृषि व किसान कल्‍याण मंंत्रालय की तरफ से साझा की गई एक जानकारी के अनुसार मौजूदा वक्‍त एक कार्यक्रम के तहत 30 कृषि सखियां पूर्वोत्तर में काम कर रही हैं. वह लोकल रिसोर्स पर्सन के तौर पर काम करती हैं, उनकी जिम्‍मेदारी प्रत्‍येक महीने एक बार खेल में जाकर कृषि गतिविधियों की निगरानी करते हुए किसानों की चुनौतियों को समझना है, जिसके बाद वह किसानों को ट्रैनिंंग देने के साथ ही कई तरह की गतिविधियां करती हैं, उन्‍हें प्रति माह 4500 रुपये का संसाधन शुल्क मिल रहा है.

 

 

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