केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने देश में पहली बार जल निकाय गणना यानी वाटर बॉडीज सेंसस किया है, जिसकी रिपोर्ट बीते दिनों मंत्रालय की तरफ से सार्वजनिक की है. रिपोर्ट के निष्कर्ष कई मायनों में खास हैं. मसलन, रिपोर्ट कहती है कि देश में इस समय मौजूद कुल जलाशयों में से 97.1 प्रतिशत जलाशय ग्रामीण इलाकों में है, जबकि शहरों की झोली में महज 2.1 फीसदी जलाशय ही बचे हैं. रिपोर्ट में सामने आए ये निष्कर्ष स्पष्ट करते हैं कि देश की ग्रामीण आबादी वाटर बॉडीज को संरक्षित करने के लिए संजीदा है. इस तर्ज पर किसान तक ने उत्तर भारत और दक्षिण भारत के राज्यों में वाटर बॉडीज की पड़ताल की है, जिसके निष्कर्षों में वाटर बॉडीज को बचाने में उत्तर भारत के राज्यों पर दक्षिण भारत के राज्यों पर भारी बढ़ते हुए दिखाई देते हैं.
असल में भारत विविधताओं का देश है. भारत की ये विविधताएं उसके राज्यों में निहित हैं. मसलन, भारत के विभिन्न राज्यों में रहने वाले निवासियों की परंपराएं, सांस्कृतिक विरासतें, विचार, व्यवहार ही विविधताओं को पोषित करती हैं, जिसे आधार बना कर अगर जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से कराए गए फर्स्ट वाटर बॉडीज सेंसस की रिपोर्ट को समझा जाए तो पानी की विरासत को संभालने में उत्तर भारत के राज्यों की तुलना में दक्षिण भारत के राज्य अव्वल नजर आते हैं.
जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से कराए गए फर्स्ट वाटर बॉडीज सेंसस की रिपोर्ट कहती है कि उत्तर भारत के राज्यों में वाटर बॉडीज के संरक्षण में राजस्थान अव्वल है. तो वहीं दिल्ली फिसड्डी है. रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में कुल 16939 वाटर बॉडीज हैं, जिसमें से 13416 वाटर बॉडीज प्रयोग में हैं, जिनका कुल फीसद 79 है. वहीं यमुना किनारे बसे दिल्ली में 893 वाटर बॉडीज हैं, जिसमें सिर्फ 237 ही प्रयोग हैं, जिनका कुल फीसद 26 है. रिपोर्ट कहती है कि उत्तर भारत के राज्यों में यूपी में सबसे अधिक 245087 वाटर बॉडीज हैं, जिसमें से 179586 (73 फीसदी) वाटर बॉडीज उपयोग में हैं. इसी तरह हरियाणा में 55 फीसदी, पंजाब में 49 फीसदी वाटर बॉडीज ही उपयोग में हैं.
जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से कराए गए फर्स्ट वाटर बॉडीज सेंसस की रिपोर्ट के अनुसार वाटर बॉडीज के सरंक्षण में दक्षिण भारत के राज्यों में केरल अव्वल है. तो वहीं कर्नाटक फिसड्डी है. रिपोर्ट के अनुसार केरल में 55734 वाटर बॉडीज हैं, जिसमें से 46550 (83 फीसदी) वाटर बॉडीज उपयोग में नहीं है. वहीं कर्नाटक में 27013 वाटर बॉडीज हैं, लेकिन मौजूदा समय में वहां पर 5874 (21 फीसदी) वाटर बॉडीज ही उपयोग में हैं. इसी तरह दक्षिण भारत के सभी राज्यों में आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक 190777 वाटर बॉडीज हैं, जिसमें से 149279 (78 फीसदी) वाटर बॉडीज उपयोग में हैं. रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण भारत का तमिलनाडु वाटर बॉडीज के सरंक्षण में फिसड्डी हैं, जहां सिर्फ 46 फीसदी ही वाटर बॉडीज उपयोग में हैं. वहीं तेलंगाना में 80 फीसदी वाटर बॉडीज उपयोग में हैं.
पंजाब का नाम बेशक यहां बहने वाली पांच नदियों की वजह से ये पड़ा हो, लेकिन पंजाब असल में सूख रहा है. पंजाब के 23 जिलों मे से 20 जिलों का भूजल स्तर बेहद ही नीचे जा चुका है. जो चिंता का कारण बन कर उभरा है.इस बीच फर्स्ट वाटर बॉडीज सेंसस की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें उत्तर भारत में पंजाब, दिल्ली के बाद दूसरा ऐसा राज्य है, जहां पर वाटर बॉडीज का हाल बुरा है. हालांकि कुछ ऐसा ही हाल हरियाणा का भी है. वहीं दक्षिण भारत में कुछ ऐसा ही हाल तमिलनाडु का भी है. तमिलनाडु में 46 फीसदी वाटर बॉडीज ही उपयाेग में हैं, जबकि चेन्नई के जल संकट और तमिलनाडु के कई जिलों के गिरते भूजल स्तर के मामले कई सालों से रिपोर्ट हो रहे हैं.