VKSA 2025: 'लैब टू लैंड' पहल से बढ़ेगी किसानों की आय, जानिए ICAR के DDG राघवेंद्र भट्टा ने क्‍या कहा

VKSA 2025: 'लैब टू लैंड' पहल से बढ़ेगी किसानों की आय, जानिए ICAR के DDG राघवेंद्र भट्टा ने क्‍या कहा

VKSA 2025: केंद्र सरकार का विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA 2025) 29 मई से 12 जून तक चल रहा है, जिसमें वैज्ञानिक खेतों तक जाकर किसानों को तकनीकी समाधान दे रहे हैं. इसी क्रम में आईसीएआर के डीडीजी राघवेंद्र भट्टा ने बताया कि कैसे लैब टू लैंड पहल से किसानों की आय बढ़ेगी.

VKSA 2025 ICAR DDG Raghavendra BhattaVKSA 2025 ICAR DDG Raghavendra Bhatta
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 05, 2025,
  • Updated Jun 05, 2025, 1:41 PM IST

केंद्रीय कृषि मंत्रालय किसानों की लैंड लू लैब तक पहुंच आसान बनाने के लिए विकसित कृषि संकल्‍प अभियान (VKSA 2025) चला रहा है. यह अभियान 29 मई से शुरू हुआ था, जो 12 जून तक चलेगा. इस दौरान देशभर के कृषि वै‍ज्ञानिक और अधिकारी भारत के हजारों-लाखों गांवाें में डेढ़ करोड़ से ज्‍यादा किसानों के खेत पहुंचेंगे और उनसे बात करेंगे. इस क्रम में आईसीएआर के उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) राघवेंद्र भट्टा ने बुधवार को आईसीएआर- केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) में विकसित कृषि संकल्प अभियान के एक विशेष सत्र में अपनी बात रखी. 

फसल, पशुपालन मत्स्यपालन में उत्पादन बढ़ेगा!

इस अभियान के फायदे बताते हुए राघवेंद्र भट्टा ने कहा‍ कि ‘लैब टू लैंड’ पहल से खरीफ सीजन में उत्पादकता में देखने लायक बढ़ोतरी होगी. उन्‍होंने कहा कि केंद्र सरकार कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा देते हुए किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. फसलों, पशुपालन और मत्स्य पालन में उत्पादन में पर्याप्त बढ़ोतरी होने का अनुमान है. 

राघवेंद्र भट्टा विकसित कृषि संकल्‍प अभियान को लेकर केरल, कर्नाटक और लक्षद्वीप के लिए बतौर समन्वयक अपनी भू‍मिका निभा रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि अभियान के तहत देश के 700 जिलों में किसानों को तकनीकी नवाचार और वैज्ञानिक समाधानों के बारे में जानकारी दी जा रही है, इसकी देश के कृषि परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका देखने को मिलेगी. 

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किसानों को खेत में मिल रहा समाधान

उन्‍होंने कहा कि VKSA के तहत अनुसंधान संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ सीधे किसानों के खेत जाकर उनसे जुड़ रहे हैं और बातचीत कर समस्याओं को समझने और मौके पर ही उनका समाधान करने का काम कर रहे हैं. वैज्ञानिक नवाचारों को स्वदेशी कृषि ज्ञान के साथ जोड़ने से फसल की पैदावार बढ़ाने, पशुधन और डेयरी उत्पादकता बढ़ाने और जलीय कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने में देश के कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर गहरा असर पड़ेगा.

CMFRI इन क्षेत्रों में बढ़ा रहा जागरूकता

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों की ओर से  किसान समुदायों के साथ मिलकर काम करने से सरकार को आय के स्तर और समग्र ग्रामीण समृद्धि में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है. बता दें कि वि‍कस‍ित कृषि संकल्‍प अभियान में 113 आईसीएआर संस्थान और 731 केवीके के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ, कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन के राज्य स्तरीय विभागों के अधिकारी और नवोन्मेषी किसान जुड़े हुए हैं. वहीं, सीएमएफआरआई के वैज्ञानिक अभियान के जरिए पिंजरा मछली पालन, समुद्री सजावटी मछली पालन, समुद्री शैवाल की खेती और कटाई तकनीकों को लोकप्रिय बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

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