एक रिपोर्ट में बताया गया है कि फरवरी महीने में वेज थाली सस्ती हुई तो नॉन वेज थाली महंगी. घर में बनाए जाने वाले खाने को लेकर यह रिपोर्ट जारी की गई है. क्रिसिल की रिपोर्ट बताती है कि घर में बनी वेज थाली की कीमतें एक साल में (फरवरी से फरवरी) एक फीसद तक गिरी हैं जबकि नॉन वेज थाली का रेट तकरीबन 6 परसेंट तक बढ़ गया है.
वेज थाली के गिरे दाम के पीछे दो बड़ी वजह है. एक, टमाटर के गिरे दाम और दूसरी, एलपीजी सिलेंडर के दाम में हुई कटौती. इन दोनों कारणों से आम लोगों को महंगाई के मोर्चे पर राहत मिली है. दरअसल, पिछले कुछ महीनों में टमाटर और एलपीजी के दाम ने लोगों को बजट बिगाड़ दिया था. लेकिन साल के अंत में और नए साल की शुरुआत में इन दोनों के दाम कम हुए जिसका बड़ा असर थाली की घटी कीमतों के रूप में देखी गई.
क्रिसिल की रिपोर्ट बताती है कि नॉन वेज थाली 6 परसेंट इसलिए महंगी हुई क्योंकि ब्रॉयलर चिकन के दाम में बढ़ोतरी देखी गई. इस चिकन को खाने वाले बहुत लोग हैं जिनकी जेब पर महंगाई का बोझ बढ़ा है. रिपोर्ट कहती है, टमाटर की कम कीमत के कारण फरवरी में शाकाहारी थाली की कीमत में गिरावट आई, जबकि ब्रॉयलर की कीमत में वृद्धि बने रहने के कारण मांसाहारी थाली की कीमत में मामूली वृद्धि हुई.
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रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि टमाटर के भाव में एक साल में 28 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. पिछले साल फरवरी महीने में इसकी कीमत 32 रुपये किलो थी, वहीं इस साल फरवरी में यह 23 रुपये किलो पर आ गई. टमाटर के भाव में गिरावट की बड़ी वजह मंडियों और खुदरा बाजारों में टमाटर की बंपर आवक रही. इस दौरान टमाटर की आवक में 20 फीसद की वृद्धि देखी गई.
इसके अलावा, एलपीजी की कीमतों में भी साल दर साल 11 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे और राहत मिली है. दिल्ली में 14.2 किलो के एलपीजी सिलेंडर की कीमत पिछले साल के 903 रुपये से घटकर 803 रुपये हो गई है.
हालांकि, वेज यानी शाकाहारी थाली की कीमत में कुल गिरावट अन्य प्रमुख सामग्रियों की बढ़ती कीमतों के कारण सीमित रही. पिछले साल की तुलना में प्याज की कीमतों में 11 प्रतिशत, आलू की कीमतों में 16 प्रतिशत और खाने वाले तेल की कीमतों में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इन कीमतों में बढ़ोतरी ने वेज खाने की कीमत में तेज गिरावट को रोक दिया.
दूसरी ओर, ब्रॉयलर चिकन की कीमतों में सालाना आधार पर 15 फीसद की वृद्धि के कारण नॉन वेज यानी मांसाहारी थाली और भी महंगी हो गई. मांसाहारी थाली की लागत में ब्रॉयलर का हिस्सा लगभग 50 प्रतिशत होता है. इस साल ब्रॉयलर मुर्गियों के लिए फ़ीड की लागत बढ़ गई, मक्के की कीमतों में सालाना आधार पर 6 परसेंट की वृद्धि हुई, जिससे कुल लागत और बढ़ गई.
इसके अलावा, ब्रॉयलर मुर्गियों के लिए चारे की लागत में भी वृद्धि हुई, मक्का की कीमतों में सालाना आधार पर 6 परसेंट की वृद्धि हुई, जिससे कुल लागत में और वृद्धि हुई.
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हालांकि, महीने-दर-महीने (MoM) आधार पर, फरवरी में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थालियों की लागत में 5 प्रतिशत की गिरावट आई. यह गिरावट प्रमुख सब्जियों की कम कीमतों के कारण हुई. बाजार में ताजा आवक के कारण प्याज, आलू और टमाटर की कीमतों में क्रमशः गिरावट आई. फरवरी में ब्रॉयलर चिकन की कीमत में भी करीब 5 प्रतिशत की गिरावट आई, क्योंकि दक्षिणी भारत में बर्ड फ्लू की चिंताओं के बीच मांग कमजोर पड़ गई.