Maharshtra Grape: महाराष्‍ट्र के अंगूर किसानों के सामने दोहरी मुसीबत, बेमौसमी बारिश बनी आफत 

Maharshtra Grape: महाराष्‍ट्र के अंगूर किसानों के सामने दोहरी मुसीबत, बेमौसमी बारिश बनी आफत 

बेमौसम बारिश की वजह से राज्‍य के मुख्य उत्पादक इलाकों में अंगूर की खेती खराब हो गई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार एक्सपोर्ट डेटा के मुताबिक, राज्य ने अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच सिर्फ 6,309 टन किशमिश एक्सपोर्ट की, जो मौसम की वजह से फसल को हुए नुकसान का असर दिखाता है. सबसे ज्‍यादा नुकसान नासिक और सांगली में हुआ है. ये दोनों ही महाराष्‍ट्र के मुख्य अंगूर और किशमिश उत्पादक जिले हैं. 

क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Dec 25, 2025,
  • Updated Dec 25, 2025, 1:10 PM IST

अभी तक चीन से आने वाली किशमिश की वजह से महाराष्‍ट्र के किसान और निर्यातक परेशान थे लेकिन अब एक और नई चुनौती उनके सामने आ गई है. राज्‍य में इस बार बेमौसमी बारिश से यूं तो कई किसान परेशान हैं लेकिन इस मौसम ने अंगूर के किसानों को दोहरी मुसीबत में डाल दिया है. बेमौसमी बारिश की वजह से महाराष्‍ट्र से किशमिश का निर्यात प्रभावित होने की पूरी आशंका है. बताया जा रहा है कि बेमौसमी बारिश राज्‍य से होने वाले किशमिश एक्सपोर्ट पर असर पड़ा है. 

अंगूर की खेती हुई खराब 

बेमौसम बारिश की वजह से राज्‍य के मुख्य उत्पादक इलाकों में अंगूर की खेती खराब हो गई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार एक्सपोर्ट डेटा के मुताबिक, राज्य ने अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच सिर्फ 6,309 टन किशमिश एक्सपोर्ट की, जो मौसम की वजह से फसल को हुए नुकसान का असर दिखाता है. सबसे ज्‍यादा नुकसान नासिक और सांगली में हुआ है. ये दोनों ही महाराष्‍ट्र के मुख्य अंगूर और किशमिश उत्पादक जिले हैं. 

कटाई में हुई देरी 

इन इलाकों के किसानों और प्रोसेसर्स ने बताया कि मॉनसून के दौरान भारी बारिश के बाद कटाई में देरी हुई और फलों की क्वालिटी खराब हो गई. इसके बाद सितंबर और अक्टूबर में भी जोरदार बारिश हुई, जो अंगूर के पकने और सूखने का अहम समय होता है. कम मात्रा के बावजूद, महाराष्‍ट्र ने मोरक्को, रोमानिया, रूस, सऊदी अरब, वियतनाम, इंडोनेशिया और श्रीलंका जैसे कई अंतरराष्‍ट्रीय बाजारों में किशमिश भेजना जारी रखा. एक्सपोर्टर्स ने कहा कि खराब मौसम की वजह से एक्सपोर्ट-ग्रेड किशमिश की उपलब्धता कम हो गई. इससे कई यूनिट्स को अपनी क्षमता से कम पर काम करना पड़ा. 

सितंबर-अक्‍टूबर में भी बारिश 

सितंबर और अक्टूबर महीने अंगूर पकने और सूखने के लिए बहुत जरूरी होते हैं. इसी दौरान हुई बेमौसमी बारिश ने कटाई में देरी कर दी और फल की क्वालिटी चौपट हो गई. अब किसानों और व्यापारियों की सारी उम्‍मीदें घरेलू बाजारों पर ही टिकी हुई हैं. निर्यातकों का मानना है कि कम सप्लाई और स्थिर डिमांड के बाद भी अगर घरेलू बाजार में मांग बनी रही तो फिर आने वाले ताजे अंगूर और किशमिश की कीमतें बढ़ सकती हैं. उम्मीद है कि इससे एक्सपोर्ट में हुए नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो जाएगी. 

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