हिंगोली में खुलेगा हल्दी रिसर्च सेंटर, महाराष्ट्र सरकार ने दी 800 करोड़ रुपये की मंजूरी

हिंगोली में खुलेगा हल्दी रिसर्च सेंटर, महाराष्ट्र सरकार ने दी 800 करोड़ रुपये की मंजूरी

हल्दी का उपयोग दैनिक जीवन के साथ-साथ औषधि बनाने में भी किया जाता है. हिंगोली हल्दी की उच्च गुणवत्ता के कारण देश-दुनिया में इसकी भारी मांग है. इस फसल को कम मात्रा में खाद की आवश्यकता होती है और पानी की खपत भी कम होती है. यह एक नकदी फसल है जो प्राकृतिक आपदाओं को झेल सकती है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं.

हल्दी अनुसंधान केंद्रहल्दी अनुसंधान केंद्र
ज्ञानेश्वर उंडाल
  • Hingoli,
  • Jul 25, 2024,
  • Updated Jul 25, 2024, 4:57 PM IST

देश का पहला हल्दी अनुसंधान केंद्र हिंगोली के बासमत इलाके में बनने जा रहा है. इस अनुसंधान केंद्र का नाम बालासाहेब ठाकरे कृषि अनुसंधान केंद्र रखा गया है. महाराष्ट्र सरकार ने इस परियोजना के लिए 800 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अगले तीन साल में इस परियोजना को पूरा करने की जानकारी दी है.

हल्दी का उपयोग दैनिक जीवन के साथ-साथ औषधि बनाने में भी किया जाता है. हिंगोली हल्दी की उच्च गुणवत्ता के कारण देश-दुनिया में इसकी भारी मांग है. इस फसल को कम मात्रा में खाद की आवश्यकता होती है और पानी की खपत भी कम होती है. यह एक नकदी फसल है जो प्राकृतिक आपदाओं को झेल सकती है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने इस केंद्र को सरकारी योजनाओं का लाभ देने का निर्देश भी दिया है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने वसमत हल्दी को जीआई रैंक मिलने पर बधाई दी है.

केंद्र में होगी ये सुविधाएं

इस अनुसंधान केंद्र में किसानों के लिए गुणवत्तापूर्ण टिशू कल्चर पौधों के लिए प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी. जिसके माध्यम से किसानों को हल्दी लगाने के लिए गुणवत्तापूर्ण पौधे कम समय में और कम कीमत पर उपलब्ध हो सकेंगे. इसके साथ ही प्रसंस्करण केंद्र और विकिरण केंद्र भी उपलब्ध कराया जा रहा है. इससे हल्दी उत्पादन की सेल्फ लाइफ बढ़ाने में मदद मिलेगी. एक कुल भंडारण भी बनाया जाएगा जहां किसानों की फसल कम से कम दो से तीन साल तक सुरक्षित रहेगी.

हल्दी रिसर्च सेंटर

 

इन तकनीकों से होगा लेस

इस तकनीक का उपयोग करने के लिए कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के माध्यम से एक प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी, जहां किसानों को हल्दी के बीज, खाद, पानी और हल्दी के लिए आवश्यक कृषि उपकरण, मशीनीकरण, बॉयलर और पॉलिशर उपकरण, करक्यूमिन उपलब्ध कराए जाएंगे. साथ ही, परीक्षण केंद्र, हल्दी निर्यात केंद्र, प्रबंधन, मृदा-जल निगरानी केंद्र आदि के लिए किसानों को अनुदान दिया जाएगा.

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देश में हल्दी की खपत

देश में करीब 50 लाख टन हल्दी की खपत है, जिसका आधा उत्पादन महाराष्ट्र में होता है. यह देश की एकमात्र विश्वस्तरीय परियोजना है. हल्दी केंद्र के जरिए जहां स्थानीय किसानों की हल्दी का निर्यात किया जाएगा, वहीं बेरोजगारों को रोजगार मिलने में मदद मिलेगी.

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