इन बड़े राज्यों में चीनी की पेराई कम होने से उत्पादन में गिरावट, अब रेट बढ़ने के आसार

इन बड़े राज्यों में चीनी की पेराई कम होने से उत्पादन में गिरावट, अब रेट बढ़ने के आसार

एनएफसीएसएफ के आंकड़ों के अनुसार, भारत के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक महाराष्ट्र में उत्पादन चालू सीजन में 15 मार्च तक घटकर 78 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 100 लाख टन था. सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश में उत्पादन भी 88 लाख टन से घटकर 81 लाख टन रह गया, जबकि कर्नाटक का उत्पादन 49 लाख टन से घटकर 39 लाख टन रह गया.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 18, 2025,
  • Updated Mar 18, 2025, 7:27 PM IST

अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (AISTA) ने कहा कि भारत ने 30 सितंबर तक निर्यात के लिए मिलों को आवंटित 10 लाख टन कोटा में से 11 मार्च तक 1.5 लाख टन चीनी का निर्यात किया है. उद्योग सूत्रों ने कहा कि हालांकि निर्यात के कम स्तर के लिए चीनी की उच्च घरेलू कीमतों को जिम्मेदार ठहराया गया है, लेकिन वास्तविक निर्यात कोटा से कम हो सकता है क्योंकि स्थिति में जल्दी किसी तरह के सुधार की संभावना नहीं है.

एआईएसटीए ने एक बयान में कहा, "मुंबई के डॉ. अमीन कंट्रोलर्स से मिले ताजा आंकड़ों के अनुसार, चालू चीनी सीजन 2024-25 में 11 मार्च तक चीनी मिलों से बंदरगाहों तक चीनी का डिस्पैच और चीनी निर्यात की स्थिति 150,834 टन है."

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इसमें से 81,307 टन सफेद/रिफाइंड और कच्ची चीनी मिलों और व्यापारी निर्यातकों के जरिये पहले ही निर्यात की जा चुकी है, जबकि 69,527 टन चीनी लोड होने के इंतजार में है या लोड होने की प्रक्रिया में है. निर्यात का 79 प्रतिशत से अधिक हिस्सा श्रीलंका, अफगानिस्तान, जिबूती और यूएई को पहुंचा है.

चीनी पेराई बंद होने वाली है

इस बीच, एक अन्य चीनी उद्योग संस्था, नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (NFCSF) ने कहा कि 1 अक्टूबर, 2024 और 15 मार्च, 2025 के बीच चीनी उत्पादन 16.13 प्रतिशत घटकर 23.71 मीट्रिक टन रह गया है, जिससे सरकार की निर्यात नीति के लिए चुनौतियां पैदा हो गई हैं. उद्योग संस्था ने चीनी उत्पादन में “अस्पष्टता” पर चिंता व्यक्त की क्योंकि 2024-25 गन्ना पेराई सत्र (अक्टूबर-सितंबर) शुरू में अनुमानित उत्पादन से काफी कम उत्पादन के साथ अपने अंत के करीब है.

एनएफसीएसएफ ने कहा, "उद्योग के एक वर्ग ने केंद्र को 330 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान व्यक्ति किया है. इसके आधार पर सरकार ने अपनी नीतियां बनानी शुरू कर दी हैं." इसने आगे कहा कि प्रारंभिक उत्पादन अनुमान के आधार पर जनवरी 2025 में 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति देने के बाद, देश को आपूर्ति मांग में असंतुलन का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वास्तविक उत्पादन के आंकड़े कम हो रहे हैं.

इन राज्यों में गिरा उत्पादन

एनएफसीएसएफ के आंकड़ों के अनुसार, भारत के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक महाराष्ट्र में उत्पादन चालू सीजन में 15 मार्च तक घटकर 78 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 100 लाख टन था. सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश में उत्पादन भी 88 लाख टन से घटकर 81 लाख टन रह गया, जबकि कर्नाटक का उत्पादन 49 लाख टन से घटकर 39 लाख टन रह गया. भारत के चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक की संयुक्त हिस्सेदारी 80-85 प्रतिशत है.

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एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि अधिकांश राज्यों में पेराई सत्र मार्च के अंत तक समाप्त हो जाएगा, जबकि उत्तर प्रदेश में मिलें अप्रैल के मध्य तक चलेंगी. विशेष रूप से महाराष्ट्र में पेराई अवधि कम होने पर चिंता जताते हुए, जहां पेराई 140-150 दिनों के मुकाबले केवल 83 दिनों तक चली, पाटिल ने कहा कि राज्य में मिलें इस साल भारी वित्तीय संकट में हैं.

 

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