Nutrition Garden: दूषित और केमिकल युक्त सब्जियों से बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय, रहेंगे स्वस्थ और तंदुरुस्त

Nutrition Garden: दूषित और केमिकल युक्त सब्जियों से बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय, रहेंगे स्वस्थ और तंदुरुस्त

बाजार में मिलने वाली सब्जियों में मिलावट और हानिकारक रसायनों का उपयोग आम हो गया है. केमिकल युक्त और दूषित सब्जियां न केवल हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि गंभीर बीमारियां लाती हैं. इनसे बचाव के लिए थोड़ी से मेहनत करके घर में खुद इन्हें उगाना सबसे सुरक्षित तरीका है. अगर आपके पास थोड़ी सी भी खाली जगह है, तो वहां पर एक पोषण वाटिका गार्डन (न्यूट्रिशन गार्डन)  विकसित कर सकते हैं. इससे आपको ताजी और पोषण वाली सब्जियां मिलेंगी.

पहले गांवों में घर के पास छोटी किचन गार्डन या पोषण वाटिका होती थी, जिससे ताजी सब्जियां मिलती थीं.  पहले गांवों में घर के पास छोटी किचन गार्डन या पोषण वाटिका होती थी, जिससे ताजी सब्जियां मिलती थीं.
जेपी स‍िंह
  • नई दिल्ली,
  • Sep 22, 2024,
  • Updated Sep 22, 2024, 7:03 PM IST

ताजे और सुरक्षित फल-सब्जियों की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है. शहरी और ग्रामीण दोनों उपभोक्ता मिलावटी और हानिकारक रसायनों से रंगी हुई सब्जियों की शिकायतें करते हैं. पहले गांवों में हर घर के पास एक छोटी सी किचन गार्डन या पोषण वाटिका होती थी, जहां परिवार अपनी जरूरत के लिए ताजी सब्जियां उगाते थे. लेकिन, अब यह परंपरा समाप्त हो रही है. उत्तर भारत के अधिकतर किसान धान, गेहूं, गन्ना और मक्का जैसी मुख्य फसलों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे सब्जी उत्पादन कम हो गया है.

किसान भी अब बाजार से सब्जियां खरीदने पर मजबूर हैं और बाजार में मिलने वाली सब्जियों की गुणवत्ता अक्सर संदिग्ध होती है. इन्हें आकर्षक दिखाने के लिए कई बार हानिकारक रसायनों का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही सब्जियों की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं, जिससे ताजी और सुरक्षित सब्जियां पाना और कठिन हो गया है. यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि पारंपरिक खेती के प्रति हमारी उदासीनता को भी दर्शाती है. पहले के समय में ग्रामीण परिवार छोटे बगीचों में जैविक खेती करते थे, जिससे उन्हें ताजी और प्राकृतिक सब्जियां मिलती थीं. अब बाजार की दूषित और महंगी सब्जियों के प्रचलन के बीच किचन गार्डन की पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित करने की जरूरत है.

क्यों जरूरी हैं हेल्दी फल-सब्जियां?

भारत में जहां एक ओर अनाज का बंपर उत्पादन हो रहा है, वहीं दूसरी ओर कुपोषण की समस्या गंभीर बनी हुई है. इसका समाधान कृषि शोध संस्थानों द्वारा विकसित "किचन गार्डन पोषण वाटिका" के माध्यम से किया जा सकता है. किचन गार्डन से न सिर्फ ताजी और पौष्टिक सब्जियां मिल सकती हैं, बल्कि यह परिवार के स्वास्थ्य में सुधार लाने का बेहतरीन तरीका है. जैविक खेती से बिना रसायनों के प्रयोग के स्वस्थ और सुरक्षित सब्जियां उगाई जा सकती हैं.

किसान अगर मुख्य फसलों के साथ-साथ सब्जियों की खेती पर भी ध्यान दें, तो उन्हें आर्थिक लाभ के साथ ही ताजी और गुणवत्ता वाली सब्जियां भी मिलेंगी. अगर जमीन उपलब्ध नहीं है तो छत पर गमलों में पोषण वाटिका बनाना एक बेहतर विकल्प है. इससे शहरी क्षेत्रों में भी ताजी सब्जियों की खेती संभव हो जाती है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार हर व्यक्ति को प्रतिदिन 300 ग्राम सब्जियों का सेवन करना चाहिए. छत पर उगाई गई सब्जियां इस जरूरत को पूरा करने में सहायक साबित हो सकती हैं.

स्वस्थ रहने के लिए न्यूट्रिशन गार्डन

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार घर के पिछले हिस्से में जहां पर्याप्त धूप आती हो, पोषण वाटिका (Nutrition Garden) के लिए सबसे अच्छा स्थान होता है. बड़े पेड़ों की छाया से सब्जियों की पैदावार प्रभावित न हो, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए. छाया वाली जगहों में कम्पोस्ट गड्ढे बनाकर जैविक खाद तैयार की जा सकती है. अगर पर्याप्त जगह हो तो उत्तर दिशा में पपीता, नींबू, अंगूर और केले जैसे पौधे लगाए जा सकते हैं. 200 से 250 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में एक औसत परिवार की सब्जी जरूरतो को पूरा करने के लिए सात क्यारियों वाली न्यूट्रिशन गार्डन आसानी से तैयार की जा सकती है.

पोषण वाटिका में उगाएं हेल्दी सब्जियां और फल

न्यूट्रिशन गार्डन की क्यारी योजना

क्यारी संख्या 1: नवंबर से मार्च के बीच पत्तागोभी और लेट्यूस, सह-फसल के रूप में ग्वार और फ्रेंच बीन्स. मार्च से अक्टूबर तक इसी प्रकार की फसलें लगाई जा सकती हैं.
क्यारी संख्या 2: सितंबर से फरवरी तक गांठ गोभी और लोबिया उगाएं मार्च से अगस्त तक लोबिया की खेती.
क्यारी संख्या 3: जुलाई से नवंबर तक फूलगोभी, मूली और प्याज. दिसंबर से जून तक प्याज की खेती.
क्यारी संख्या 4: नवंबर से मार्च तक आलू की खेती, मार्च से जून तक लोबिया और जुलाई से अक्टूबर तक अगेती फूलगोभी की खेती.
क्यारी संख्या 5: जुलाई से मार्च तक लौकी, बैंगन और पालक उगाएं, मार्च से जून तक भिंडी और चौलाई साग उगाएं.
क्यारी संख्या 6: अगस्त से अप्रैल तक लौकी, बैंगन और पालक उगाएं, मई से जुलाई तक गोल बैंगन, पालक, भिंडी और चौलाई साग की खेती.
क्यारी संख्या 7: सितंबर से मार्च तक मिर्च और सहफसल के रूप में सगिया मिर्च. जून से अगस्त तक भिंडी उगा सकते हैं. 

इन सब्जियों की बुवाई का समय जलवायु और मौसम की विशेषताओं के अनुसार बदल सकता है. मेड़ों पर गाजर, मूली और शलजम जैसी कंद वाली फसलों की खेती करनी चाहिए. इसके अलावा, मेड़ों पर सहजन (ड्रमस्टिक) को एक पंक्ति में लगाना चाहिए, केले के पांच पौधे एक पंक्ति में, पपीते के पांच पौधे एक पंक्ति में, करोंदे के दो पौधे एक पंक्ति में, करी पत्ते का एक पौधा एक पंक्ति में और एस्पेरेगस के दो पौधे छोटी पंक्तियों में लगाए जा सकते हैं. इस प्रकार, सालभर न्यूट्रिशन गार्डन से पौष्टिक तत्व प्राप्त होते रहेंगे.

न्यूट्रिशन गार्डन के लिए जरूरी सुझाव

•    जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें.
•    प्रकाश प्रपंच (लाइट ट्रैप) का प्रयोग करें.
•    नीम युक्त कीटनाशकों के उपयोग को प्रोत्साहित करें.
•    स्टीकी ट्रैप का भी प्रयोग करें, जिससे हानिकारक कीटों से फसल की सुरक्षा हो सके.
•   न्यूट्रिशन गार्डन की कोई भी क्यारी खाली न रखें.
•    टमाटर, मटर, सेम, परवल आदि को सहारा दें ताकि ये फसलें कम जगह घेरें.
•    बेल/लतादार सब्जियों जैसे लौकी, तोरई, करेला और टिंडा को बाड़ के सहारे उगाएं.
•    जल्दी तैयार होने वाली सब्जियों को देर से तैयार होने वाली सब्जियों के बीच कतारों में लगाएं, जिससे अधिकतम उपयोग हो सके.

न्यूट्रिशन गार्डन के कई फायदे

घर के पास पड़ी खाली भूमि का समुचित उपयोग हो जाता है. हर समय ताजी, स्वादिष्ट और विषमुक्त सब्जियां प्राप्त होती हैं. पोषण वाटिका में सब्जियां उगाने से घरेलू बजट में अच्छी बचत होती है. घर के बेकार पानी और कचरे का सदुपयोग किया जा सकता है. बच्चों में अच्छी आदतों का विकास होता है और वे श्रमजीवी बनते हैं. न्यूट्रिशन गार्डन की देखभाल से आंखों को आनंद और संतोष मिलता है और खाली समय का सदुपयोग होता है. इस प्रकार पोषण वाटिका न केवल स्वास्थ्यवर्धक भोजन प्रदान करती है, बल्कि पर्यावरण और आर्थिक रूप से भी लाभकारी होती है.

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