भारतीय संस्कृति में गाय के गोबर का महत्व बहुत अधिक है. पूजा-पाठ से लेकर हर छोटी-बड़ी धार्मिक चीजों में गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी गाय के गोबर का उपयोग विभिन्न चीजों में किया जाता है. चाहे घर की साफ-सफाई करनी हो या पौधों के लिए खाद की जरूरत हो, इन सभी कार्यों में गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है. गाय का गोबर कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होता है, जिसमें आंशिक रूप से पचने वाले पौधे सामग्री, सेलूलोज़, हेमिकेल्यूलोज़, लिग्निन और अन्य कार्बनिक यौगिक शामिल हैं. गाय के गोबर में आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो पौधों की वृद्धि के लिए फायदेमंद होते हैं, जैसे नाइट्रोजन (एन), फास्फोरस (पी), और पोटेशियम (के).
ये पोषक तत्व गायों के आहार के आधार पर अलग-अलग मात्रा में मौजूद होते हैं. इसके अलावा गाय के गोबर का उपयोग पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए भी किया जा रहा है. बढ़ते प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए लोग अपने घरों में गाय के गोबर से बनी चीजें रखने लगे हैं. जिसके चलते लोग अब गाय के गोबर से बने उत्पादों को रोजगार देना पसंद कर रहे हैं. इस प्रकार के रोजगार में कम लागत में अधिक लाभ की संभावना अधिक होती है.
गाय के गोबर का उपयोग रसोई गैस से लेकर देशी खाद और जैव उर्वरक बनाने में भी किया जा रहा है. गाय के गोबर से पेंट, कागज, बैग, ईंटें और यहां तक कि दंत मंजन यानी दातों को साफ करने वाला पाउडर भी बनाया जा रहा है. एक अकेली गाय प्राकृतिक खेती की लागत को आधा कर देती है. अगर आप भी गाय पालते हैं तो उसके दूध के साथ गोबर और गोमूत्र बेचकर भी अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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शास्त्रों में गाय के गोबर को सोना कहा गया है. यह न सिर्फ वास्तु के हिसाब से शुभ है बल्कि गाय के गोबर का उपयोग कीड़ों को भगाने के लिए भी किया जाता है. ऐसे में गाय के गोबर का उपयोग अब घरों को सुंदर बनाने के साथ-साथ उन्हें कीड़ों से बचाने के लिए भी किया जाता है.
भारत में गोबर के महत्व को समझते हुए गाय के गोबर से मजबूत कागज और कैरी बैग भी अब बनाए जा रहे हैं. जी हाँ यह काम जयपुर में स्थित कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट के प्रयासों का नतीजा है. यहां गोबर से कागज और कैरी बैग बनाए जाते हैं. इस संस्थान में गाय के गोबर से कागज बनाने की विधि सिखाई जाती है.
पहले के समय में लोग गाय के गोबर का उपयोग घर और वातावरण को शुद्ध करने के लिए करते थे. गाय के गोबर को कपूर तथा अन्य प्रकार की लकड़ियों के साथ मिलाकर जलाया जाता था ताकि वातावरण शुद्ध हो सके. वहीं आज के समय में लोग अपने घरों में अगरबत्ती जलाकर घर को शुद्ध करते हैं. जिसके कारण अगरबत्ती की मांग हमेशा बनी रहती है.