
आज के समय में सेहतमंद खानपान की बात हो और किनोआ का जिक्र न हो, ऐसा तो संभव ही नहीं है. इसे आज सुपरफूड कहा जाता है, लेकिन किनोआ काफी पुराना अनाज है. यह हजारों साल पुराना खाद्य पदार्थ है जिसकी खेती प्राचीन काल में दक्षिण अमेरिका की इंका सभ्यता की ओर से की जाती थी. इतिहासकारों की मानें तो आज के पेरू, बोलीविया और इक्वाडोर जैसे देशों में इसे करीब 5,000 से 7,000 साल पहले उगाया जाता था. इंका सभ्यता के लोग इसे 'मदर ऑफ ऑल ग्रेन्स' मानते थे. भारत में किनोआ का इतिहास बहुत पुराना नहीं है लेकिन इसका सफर काफी दिलचस्प है.किनोआ दिखने में भले ही छोटे दानों वाला अनाज लगे, लेकिन पोषण के मामले में यह किसी खजाने से कम नहीं है. खास बात यह है कि यह अनाज आपकी गट हेल्थ पाचन तंत्र के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है.
भारत में किनोआ की चलन 1990 के दशक के अंत और 2000 के शुरुआती वर्षों में माना जाता है. शुरुआत में यह सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित था और हेल्थ फूड या इंपोर्टेड सुपरफूड के रूप में जाना जाता था. उस समय ज्यादातर किनोआ पेरू और बोलीविया से आयात किया जाता था, जिसकी कीमत काफी ज्यादा होती थी. भारत में किनोआ की व्यवस्थित खेती पर काम 2010 के बाद शुरू हुआ. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और कुछ कृषि विश्वविद्यालयों ने किनोआ को भारतीय जलवायु के अनुकूल बनाने के लिए ट्रायल शुरू किए. राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में इसके सफल प्रयोग किए गए.
हमारी गट हेल्थ सीधे तौर पर पाचन, इम्युनिटी और यहां तक कि मेंटल हेल्थ से भी जुड़ी होती है. किनोआ में भरपूर मात्रा में डाइटरी फाइबर पाया जाता है, जो आंतों को साफ रखने में मदद करता है. फाइबर कब्ज की समस्या को दूर करता है और अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है, जिससे पाचन प्रक्रिया बेहतर होती है. इसके अलावा किनोआ एक प्रीबायोटिक फूड की तरह काम करता है. इसका मतलब यह है कि यह गट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को पोषण देता है, जिससे पेट संबंधी समस्याएं जैसे गैस, एसिडिटी और ब्लोटिंग कम हो सकती हैं.
किनोआ की एक बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से ग्लूटन फ्री होता है. जिन लोगों को ग्लूटन से एलर्जी या सीलिएक डिजीज की समस्या होती है, उनके लिए किनोआ सुरक्षित और हेल्दी विकल्प है. हल्का होने की वजह से यह आसानी से पच जाता है और पेट पर ज्यादा भार नहीं डालता. अक्सर अनाजों में प्रोटीन की मात्रा सीमित होती है, लेकिन किनोआ इस मामले में अलग है. यह एक कम्प्लीट प्रोटीन माना जाता है, जिसमें शरीर के लिए जरूरी सभी नौ अमीनो एसिड मौजूद होते हैं. यही वजह है कि शाकाहारी लोगों के लिए किनोआ प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत है.
किनोआ का लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स इसे डायबिटीज मरीजों के लिए भी उपयोगी बनाता है. यह ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ाता है, जिससे अचानक शुगर स्पाइक का खतरा कम होता है. फाइबर और प्रोटीन की अच्छी मात्रा पेट को लंबे समय तक भरा रखती है, जिससे वजन कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है. किनोआ को अपनी रोजमर्रा की डाइट में शामिल करना बेहद आसान है. आप इसे चावल की तरह पका सकते हैं, सलाद में मिला सकते हैं, खिचड़ी, उपमा या पुलाव बना सकते हैं. सुबह के नाश्ते में किनोआ दलिया या स्मूदी बाउल के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है.
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