पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ीं, दिल्ली-NCR की हवा पर मंडरा रहा प्रदूषण का खतरा

पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ीं, दिल्ली-NCR की हवा पर मंडरा रहा प्रदूषण का खतरा

पिछले 7 दिनों में पंजाब में 1,900 से ज्यादा पराली जलाने के मामले दर्ज हुए. किसान गेहूं की बुवाई की जल्दी में हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक धान-गेहूं की फसल का रोटेशन नहीं टूटेगा, प्रदूषण की समस्या बनी रहेगी.

यूपी बना पराली का नया हॉटस्पॉटयूपी बना पराली का नया हॉटस्पॉट
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 06, 2025,
  • Updated Nov 06, 2025, 10:52 AM IST

पंजाब के धान किसान गेहूं की फसल बोने के लिए कटाई के बाद पराली निपटाने की जल्दी में हैं. पिछले 7 दिनों में फसल की पराली जलाने की 1,906 घटनाएं हुई हैं, जबकि 15 सितंबर से 28 अक्टूबर के बीच 933 मामले सामने आए थे. अब जब पंजाब इस सीजन में अब तक पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाओं के साथ सबसे आगे है (28 अक्टूबर तक यह उत्तर प्रदेश से पीछे था), तो डर है कि दिल्ली-NCR में हवा का प्रदूषण और खराब हो सकता है.

एक अधिकारी ने 'बिजनेसलाइन' को बताया, "इस साल रिपोर्ट किए गए बासमती और गैर-बासमती दोनों तरह के लगभग 32.5 लाख हेक्टेयर (lh) में से 31 अक्टूबर तक केवल 58 प्रतिशत धान के रकबे की कटाई हुई थी. किसान नवंबर के मध्य से पहले गेहूं की बुवाई पूरी करने की कोशिश करेंगे ताकि फसल को दाना भरने के लिए पर्याप्त समय मिल सके. इससे पहले कि कोई लू की लहर दानों का आकार छोटा कर दे." पिछले साल, लगभग 35 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था.

छह राज्यों में पराली की घटनाएं कम

हालांकि इस साल निगरानी वाले सभी छह राज्यों में घटनाओं की संख्या पिछले साल की तुलना में कम है, लेकिन यह ज्यादातर धान की कटाई के समय के कारण है. फिर भी, जब तक यह धान-गेहूं की रोटेशनल खेती का सिलसिला नहीं टूटता, तब तक पराली जलाना चिंता का विषय बना रहेगा. एक पूर्व कृषि आयुक्त ने कहा.

डेटा से पता चलता है कि प्रमुख धान उगाने वाले राज्यों में, आंध्र प्रदेश में 31 अक्टूबर तक 15 प्रतिशत धान के रकबे में कटाई पूरी हो गई थी, जबकि छत्तीसगढ़ में यह 70 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 100 प्रतिशत, हरियाणा में 60 प्रतिशत, झारखंड में 20 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 30 प्रतिशत, ओडिशा में 15 प्रतिशत, तमिलनाडु में 51 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 36 प्रतिशत थी.

पिछले साल इतनी जली थी पराली

दूसरी ओर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 15 सितंबर से 4 नवंबर के बीच पराली जलाने की घटनाएं इस साल 49 प्रतिशत कम होकर 5,481 रहीं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 10,693 थीं. दूसरी खरीफ फसलों में, दालों के तहत लगभग 60 प्रतिशत एरिया में कटाई हो चुकी है जिसमें मोठ (हरी मूंग परिवार की फसल) 100 प्रतिशत, मूंग (हरी मूंग) 91 प्रतिशत, उड़द (काली दाल) और कुलथी (एक देसी किस्म) 56 प्रतिशत शामिल हैं.

देश भर के किसानों ने 59 प्रतिशत से ज्यादा एरिया में पोषक और मोटे अनाज की कटाई पूरी कर ली है जिसमें बाजरा 86.53 प्रतिशत, ज्वार 67.54 प्रतिशत, और मक्का 46.91 प्रतिशत शामिल हैं.

तिलहन कैटेगरी में, अब तक 56 प्रतिशत फसल एरिया की कटाई हो चुकी है, जिसमें मूंगफली में 29 प्रतिशत, सोयाबीन में 16 प्रतिशत, तिल में लगभग 50 प्रतिशत, और सूरजमुखी में 20 प्रतिशत से ज्यादा शामिल है.

MORE NEWS

Read more!