क्या आप जानते हैं किस भेड़ की ऊन से बनती है दुनिया की सबसे महंगी शॉल, हैरान कर देगी कीमत

क्या आप जानते हैं किस भेड़ की ऊन से बनती है दुनिया की सबसे महंगी शॉल, हैरान कर देगी कीमत

दुनिया के सबसे महंगे और कीमती पश्मीना शॉल की पूरी कहानी जानें. यह शॉल किस खास बकरी की नस्ल के ऊन से बनता है, इसकी कीमत लाखों में क्यों होती है, और असली पश्मीना की पहचान कैसे करें.

क्यों है यह शॉल दुनिया में सबसे महंगा?क्यों है यह शॉल दुनिया में सबसे महंगा?
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Dec 11, 2025,
  • Updated Dec 11, 2025, 12:58 PM IST

दुनिया का सबसे महंगा और खास शॉल एक ऐसी भेड़ के ऊन से बनता है, जिसकी नस्ल और इसकी कीमत दोनों ही लोगों को हैरान कर देती हैं. दिखने में बेहद हल्का, छूने में रुई जैसा मुलायम और ठंड से बचाने में बेमिसाल होता है. इसीलिए पश्मीना शॉल दुनिया भर में मशहूर है. लेकिन आखिर कौन-सी बकरी का ऊन इसे इतना खास बनाता है और क्यों इसकी कीमत लाखों तक पहुंच जाती है? आइए, जानते हैं इस अनोखे और कीमती शॉल के पीछे की पूरी कहानी.

पश्मीना एक बहुत ही मुलायम, हल्का और गरम शॉल होता है. यह कोई सामान्य ऊन नहीं होता, बल्कि यह एक खास तरह की कश्मीरी बकरी चांगथांगी बकरी से मिलता है. ये बकरियां लद्दाख और हिमालय के बहुत ठंडे इलाकों में रहती हैं, जहां सर्दियों में तापमान -30°C तक चला जाता है. इतनी ठंड में उनके शरीर पर एक बहुत मुलायम और आसान सा अंदरूनी ऊन बनता है, जिसे पश्मीना कहते हैं.

पश्मीना इतना महंगा क्यों होता है?

पश्मीना दुनिया का सबसे महंगा शॉल माना जाता है. इसके तीन बड़े कारण हैं-

1. बहुत कम ऊन मिलता है

एक बकरी से साल में सिर्फ 80–150 ग्राम ऊन मिलता है. एक शॉल बनाने के लिए कई बकरियों का ऊन चाहिए होता है. इसलिए यह ऊन बहुत कम और कीमती होता है.

2. पूरा काम हाथ से होता है

  • असली पश्मीना बनाने में मशीनें नहीं लगतीं.
  • कातना, बुनना, रंग करना-सब कुछ कारीगर हाथ से करते हैं.
  • एक अच्छी शॉल को बनाने में 3-4 महीने लग जाते हैं.

3. ऊन बहुत ही महीन होता है

पश्मीना की मोटाई सिर्फ 12-16 माइक्रॉन होती है, यानी यह इंसान के बाल से भी पतला होता है. इसे संभालना और बुनना बहुत मुश्किल काम है.

कैसे पहचानें असली पश्मीना?

बाजार में नकली शॉल भी बिकते हैं, इसलिए असली पहचानना जरूरी है.

1. रिंग टेस्ट

असली पश्मीना इतना पतला होता है कि पूरी शॉल एक अंगूठी के अंदर से निकल जाती है.

2. गर्माहट से पहचान

  • असली पश्मीना हाथ पर रखते ही हल्की गर्मी देता है.
  • नकली शॉल में यह महसूस नहीं होता.

3. बनावट से पहचान

  • असली पश्मीना की सतह थोड़ी अनियमित दिखती है, क्योंकि यह हाथ से बनता है.
  • नकली शॉल बहुत चमकदार और एकदम परफेक्ट दिखते हैं.

4. कीमत

  • असली पश्मीना की कीमत 15–20 हजार से शुरू होती है और लाखों तक जाती है.
  • अगर कोई कहे 2–3 हजार में असली है-तो वह नकली है.

पश्मीना इतना खास क्यों माना जाता है?

  • बहुत हल्का, लेकिन बहुत गरम
  • स्किन-फ्रेंडली और मुलायम
  • कई सालों तक चलता है
  • पूरी तरह प्राकृतिक
  • कारीगरों की महीनों की मेहनत
  • कश्मीर की संस्कृति और कला की पहचान
  • पश्मीना सिर्फ एक शॉल नहीं, बल्कि एक विरासत है. यह प्रकृति, मेहनत और कला का सुंदर मिलन है.

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