कृषि शिक्षा में नई पहल, नौणी यूनिवर्सिटी और महिंद्रा समिट के बीच हुआ महत्वपूर्ण समझौता

कृषि शिक्षा में नई पहल, नौणी यूनिवर्सिटी और महिंद्रा समिट के बीच हुआ महत्वपूर्ण समझौता

नौणी विश्वविद्यालय और महिंद्रा समिट एग्री साइंसेज के बीच हुआ समझौता अब बागवानी, वानिकी और कृषि अनुसंधान को देगा नई दिशा. इस साझेदारी से छात्रों को इंटर्नशिप, प्रशिक्षण और पीएच.डी. शोध में मिलेगा लाभ.

कृषि में खुलेंगे नए अवसरकृषि में खुलेंगे नए अवसर
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 20, 2025,
  • Updated Jul 20, 2025, 11:42 AM IST

डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने महिंद्रा समिट एग्री साइंसेज लिमिटेड के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता (MoU) किया है. इस समझौते का मुख्य उद्देश्य बागवानी, वानिकी और कृषि से संबंधित क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान, ज्ञान का आदान-प्रदान और अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देना है. इससे विद्यार्थियों और किसानों दोनों को लाभ मिलेगा.

कौन-कौन रहे मौजूद

यह समझौता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल और महिंद्रा समिट एग्री साइंसेज लिमिटेड के सीईओ संदीप गदरे के बीच खत्म हुआ. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान, अन्य अधिकारीगण और महिंद्रा समिट के प्रतिनिधि सागर दरोच (डीजीएम, उत्तर एवं पूर्व भारत) और ललित कालिया (एसोसिएट फील्ड बायोलॉजिस्ट) उपस्थित रहे.

विद्यार्थियों को मिलेगा अनुभव

इस साझेदारी के तहत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शोधार्थियों को इंटर्नशिप और प्रशिक्षण के माध्यम से एग्रीबिजनेस क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव मिलेगा. इससे उन्हें भविष्य में नौकरी के बेहतर अवसर प्राप्त होंगे.

संयुक्त शोध और संगोष्ठियों का आयोजन

इस समझौते के तहत दोनों संस्थान मिलकर संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं, कार्यशालाएं, संगोष्ठियां और सम्मेलन आयोजित करेंगे. छात्र चयनित विषयों पर पीएच.डी. शोध कार्य भी कर सकेंगे, जिसमें महिंद्रा समिट वित्तीय सहायता प्रदान करेगी.

उद्योग और शिक्षा के बीच बेहतर तालमेल

विश्वविद्यालय, महिंद्रा समिट के विशेषज्ञों को अतिथि संकाय के रूप में आमंत्रित करेगा. साथ ही, कंपनी द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरणों और उत्पादों का परीक्षण भी विश्वविद्यालय में किया जाएगा. इससे शोध और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा.

CSR और नवाचार को मिलेगा बढ़ावा

महिंद्रा समिट अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत तकनीकी विशेषज्ञता और संसाधन उपलब्ध कराएगी. यह सहयोग संयुक्त रूप से विकसित शोध परिणामों और नवाचारों के व्यवसायीकरण को भी गति देगा. यह समझौता तीन वर्षों के लिए वैध रहेगा और दोनों संस्थानों की आपसी सहमति से इसे आगे बढ़ाया जा सकता है.

कुलपति का बयान

इस अवसर पर कुलपति प्रो. चंदेल ने कहा, “यह सहयोग अकादमिक और औद्योगिक जगत के बीच की दूरी को कम करेगा. हम मिलकर किसानों की समस्याओं के व्यावहारिक समाधान तैयार करेंगे और विद्यार्थियों को उद्योग-उन्मुख शिक्षा प्रदान करेंगे.” यह समझौता न केवल शिक्षा और उद्योग के बीच एक मजबूत सेतु बनाएगा, बल्कि देश की कृषि और बागवानी प्रणाली को भी और अधिक विज्ञान आधारित और नवोन्मेषी बनाएगा. इससे किसान, विद्यार्थी और शोधकर्ता, सभी को लाभ होगा.

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