केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के उपलक्ष में आज मुंबई में 'सहकार से समृद्धि' थीम पर नेफेड द्वारा इंडिया टुडे के साथ मिलकर आयोजित राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन का शुभारंभ किया. इस अवसर पर शिवराज सिंह ने कहा कि सहकारिता भारत की मिट्टी और इसकी जड़ों में वर्षों से बसी हुई है. हजारों साल पहले भारत के ऋषियों ने उद्घोष किया था- ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु' सभी प्राणियों में एक ही चेतना है. विश्व के कल्याण का भाव ही सहकारिता है.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि किसान का महत्व कभी समाप्त नहीं हो सकता, कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. जीडीपी में कृषि क्षेत्र की भागीदारी 18 प्रतिशत है. वहीं, आधी आबादी कृषि पर निर्भर है. मैं किसान हूं, खेत में ट्रैक्टर भी चलाता हूं. कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसान कल्याण के लिए कार्य ही जीवन का उद्देश्य है. प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 11 वर्षों में देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है. खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
किसानों की समृद्धि और कृषि क्षेत्र की उन्नति के लिए जो रोडमैप बनाया गया, उसमें प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाना, लागत घटाना, उत्पादन के ठीक दाम देना, फसल नुकसान की स्थिति में उचित मुआवजा, कृषि का विविधीकरण और उर्वरकों में सीमित उपयोग के साथ आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित रखना शामिल है. शिवराज सिंह ने कहा कि हमें देश की परिस्थितियों के अनुसार कृषि क्षेत्र में उन्नति के मार्ग तय करने होंगे. भारत में ज्यादातर किसान छोटी जोत वाले हैं, इसलिए हमारी नीतियों का केंद्र ही किसान हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि तीन चीजें जो प्रधानमंत्री के नेतृत्व में तय हुई. उसमें देश की आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, किसानों की आय बढ़ाना और देशवासियों को पोषणयुक्त आहार उपलब्ध करवाना शामिल है. किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिले, इसके लिए सरकार पूरी कोशिश कर रही है. किसानों द्वारा पंजीकरण के बाद तुअर, मसूर, उड़द की पूरी खरीद की जाएगी. उन्होंने बताया कि दलहन-तिलहन साथ ही सोयाबीन में भी सरकार द्वारा रिकॉर्ड स्तर पर खरीद हुई है.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों तक शोध की सही जानकारी पहुंचाने के लिए व्यापक कोशिश की गई है. प्रधानमंत्री के विजन ‘लैब टू लैंड’ के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ चलाया गया है. वैज्ञानिकों की 2170 टीमों ने गांवों में जाकर किसानों से संवाद किया, उन्हें कृषि की अलग-अलग तकनीकों और शोध की जानकारी दी. साथ ही, उनकी व्यावहारिक समस्याएं भी सुनी गई है, ताकि उस अनुरूप आगे के शोध की दिशा तय की जा सके. किसानों को घटिया कीटनाशक और खराब बीज दिए जाने का विषय भी सामने आया, इस संबंध में अमानक बीज और कीटनाशक बनाने और बेचने वालों के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है. कड़ा कानूनी प्रावधान किया जाएगा और ऐसे कृत्य में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को भी छोड़ा नहीं जाएगा.
उन्होंने कहा कि टमाटर, आलू, प्याज के संबंध में किसान हित में फैसला लिया गया है कि किसान इन फसलों को, जहां ज्यादा दाम मिल रहे हैं, वहां बेचना चाहे तो सरकार इसका परिवहन खर्च उठाएगी. भंडारण व्यवस्था के लिए भी वित्तीय सहायता देने की कोशिश की जाएगी. ये कदम किसानों को उचित दाम दिलाने में मददगार होगा, साथ ही उपभोक्ताओं को भी संतुलित कीमत पर उत्पाद मिलेगा.
कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि उन्नति के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. दिल्ली के कृषि भवन में बैठकर कृषि नीति नहीं बन सकती. इसके लिए खेतों में जाना होगा. कृषि मंत्री के रूप में सप्ताह में दो दिन मैं किसानों के बीच खेतों में रहूंगा. खेत की माटी में बैठे बिना सही अर्थों में कृषि का कल्याण संभव नहीं है. 24 जून को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों और अन्य संस्थाओं के साथ वर्चुअली व्यापक मंथन होगा.
तिलहन उत्पादन बढ़ाना भी राष्ट्रीय कर्तव्य है. सोयाबीन उत्पादन बढ़ाने के लिए तत्परता से प्रयास किए जा रहे हैं. 26 जून को इंदौर में सोयाबीन उत्पादन को लेकर अहम बैठक की जाएगी. वहीं, वर्तमान बजट में ‘कपास मिशन’ की घोषणा के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि 27 जून को इस संबंध में गुजरात में बैठक की जाएगी. आगे गन्ने की खेती के लिए विशेष बैठक यूपी में की जाएगी. साथ ही समस्याओं के अनुरूप समाधान खोजने की कोशिश, कारगर कार्यान्वयन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
शिवराज सिंह ने कहा कि नेफेड और एफपीओ सहित संस्थाएं बेहतर काम कर रही हैं, लेकिन अभी भी अनंत संभावनाएं बाकी हैं, उन्होंने नेफेड को खरीदी करते समय प्याज उत्पादक किसानों के हितों का ध्यान रखने और बिचौलियों के प्रभाव को खत्म करने की बात कही. उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया का फूड बास्केट बनाने के लिए पूरे प्रयास करने होंगे. छोटी जोत के बावजूद हम ऐसा करके रहेंगे. एकीकृत खेती के लिए फार्म मॉडल तैयार किए जा रहे हैं. छोटी जोत में भी किसान को कैसे लाभ हो, इस पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है. किसानों के मान, सम्मान और शान में कमी नहीं आने देंगे. उन्होंने अपील की कि हम सभी मिलकर कृषि को विकसित करने में योगदान करें.
सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने प्रगतिशील किसानों और अन्य लोगों को सम्मानित भी किया. शुभारंभ अवसर पर महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे, नेफेड के अध्यक्ष जेठा भाई अहीर, इफको अध्यक्ष दिलीप संघानी, कृभको के अध्यक्ष चंद्रभान सिंह पटेल, एनसीसीएफ के अध्यक्ष विशाल सिंह, गुजरात राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष अजय पटेल, नेफेड के एमडी दीपक अग्रवाल सहित कई गणमान्यजन उपस्थित रहे.