महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके में किसानों की खुदकुशी के मामले बढ़े हैं. इसके पीछे बाढ़ को कारण बताया जा रहा है. हाल के दिनों में भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ ने किसानों को तबाह कर दिया है. क्षेत्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बाढ़ के कारण फसलें नष्ट होने के बाद मराठवाड़ा क्षेत्र में कम से कम चार किसानों ने आत्महत्या कर ली. मृतक कथित तौर पर खेती के लिए लिए गए कर्ज को चुकाने को लेकर परेशान थे.
सोलापुर जिले के वैराग तालुक के दहिताने के 45 वर्षीय किसान लक्ष्मण गवसने ने अपनी फसल पूरी तरह नष्ट हो जाने के बाद आत्महत्या कर ली. गवसने के पास डेढ़ एकड़ का खेत है और उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं.
गवसने ने एक नोट छोड़ा जिसमें सरकार से अपने परिवार और बच्चों की शिक्षा का ध्यान रखने की अपील की गई थी. उन्होंने नोट में लिखा था, "मैं बाढ़ की स्थिति के कारण आत्महत्या कर रहा हूं."
सोलापुर के बार्शी तालुक के कारी गांव के 39 वर्षीय किसान शरद गामधीर ने अपने साढ़े तीन एकड़ खेत के पूरी तरह डूब जाने के बाद फांसी लगा ली. उन्होंने अमरूद और नींबू की खेती की थी, जो पूरी तरह से नष्ट हो गए. उन्होंने 9 लाख रुपये का कर्ज लिया था. उनके परिवार में पत्नी और 9 और 5 साल के दो बच्चे हैं.
धाराशिव जिले के भूम तालुक के मत्रेवाड़ी गांव में, 42 वर्षीय किसान लक्ष्मण पवार ने बहुत अधिक बारिश और बाढ़ के कारण अपने एक हेक्टेयर खेत की फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाने के बाद आत्महत्या कर ली. बाढ़ में उनके मवेशी भी मारे गए. उन्होंने ट्रैक्टर के लिए कर्ज लिया था और कर्ज चुकाने को लेकर चिंतित थे. उनके परिवार में उनकी मां, पत्नी और तीन बच्चे हैं.
बीड जिले के कैज तालुक के बोरगांव में, 62 वर्षीय किसान रमेश गव्हाने ने अपने खेत से गुजर रहे बिजली के तार से फंसकर अपनी जान दे दी. 'द वीक' की एक रिपोर्ट के अनुसार, उनके पास आठ एकड़ जमीन है और उनकी सोयाबीन की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई. बाढ़ ने फसल को बहा दिया. उनके परिवार में उनकी पत्नी, चार बच्चे और उनके परिवार हैं. स्थानीय प्रशासन इसे बिजली का झटका लगने से हुई दुर्घटना बता रहा है, लेकिन गव्हाने का परिवार इस बात पर जोर दे रहा है कि यह आत्महत्या थी.
महाराष्ट्र के कई जिलों में इस बार बाढ़ की मार देखी जा रही है जिससे फसलें नष्ट हुई हैं. कपास, सोयाबीन और तुअर जैसी फसलों का भारी नुकसान है. कुछ फसलें तो कटने वाली थीं, लेकिन बाढ़ ने सबकुछ लील लिया है. इस दुख में किसान अपनी जान तक दे रहे हैं.