Kisan Tak Summit 2025: 'किसान तक' लखनऊ में आलू अधिवेशन आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम को पूरी तरह से आलू पर आधारित रखा गया, क्योंकि 30 मई को विश्व आलू दिवस भी है. इस खास दिवस पर 'किसान तक' के आलू अधिवेशन में खेती-किसानी के दिग्गज शामिल हुए. इसमें किसान से लेकर कृषि अधिकारी और कृषि विशेषज्ञ ने शिरकत की और आलू की खेती, उत्पादों और प्रोसेसिंग पर जानकारी साझा की. अधिवेशन का चौथे सत्र में आलू से उन्नति! सही तकनीक, सही उपज – ऐसे हों मालामाल! पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया. पैनल में ICAR-CPRI, मेरठ के हेड डॉ. राजेश कुमार सिंह, सीपीआरआई मेरठ की प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. बबीता चौधरी, आलू प्रोसेसिंग क्षेत्र की निजी कंपनी हाईफन फूट्स के बीज प्रभाग के प्रमुख समीप कुमार दास और पद्मश्री से सम्मानित किसान रामशरण वर्मा शामिल हुए. आज तक डिजिटल के एडिटर अनुज खरे ने सेशन का संचालन किया. सभी एक्सपर्ट्स ने किसानों को आलू उत्पादन से उन्नति करने, उत्पादन-प्रोसेसिंग में सही तकनीक और अच्छी उपज लेने से जुड़ी जानकारी दी.
यह सत्र मुख्तौर पर तकनीक पर आधारित है. इसमें सीपीआरआई मेरठ के हेड डॉ. राजेश कुमार सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है और यहां 36 प्रतिशत के करीब उत्पादन है. उत्तर प्रदेश में पश्चिमी यूपी बीज के लिए आगरा से कानपुर टेबल पोटेटो के लिए जाना जाता है. वहीं, पूर्वी यूपी लखनऊ से पूर्व की ओर बाराबंकी तरफ आलू प्रोसेसिंग के लिए उगने वाले आलू की खेती की संभावनाएं है. लेकिन, यहां जोत का आकार छोटा है. ऐसे में जब तक यहां निजी क्षेत्र की प्रोसेसिंग कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा नहीं देती, तब तक इसका विस्तार संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि आलू के क्षेत्र में अब अन्य कई नई संभावनाए है. अब आलू से इथेनॉल बनाने पर बात हो रही है.
वहीं, सीपीआरआई मेरठ की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बबीता चौधरी ने कहा कि हम खेत में पुराना बीज लगाते हैं तो उत्पादन में दिक्कत आएगी, लेकिन उन्नत किस्में लगाते हैं तो उत्पादन बढ़ेगा. इस दौरान उन्होंने सीपीआरआई द्वारा प्रोसेसिंग के लिए बनाई कई किस्मों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अब बायो इथेनॉल की बात हो रही है, इसमें भी सीपीआरआई में शुरू हो गया है. उन्होंने कहा कि यूपी आलू प्रोसेसिंग के क्षेत्र में उभर रहा है. इसमें कई बड़ी कंपनियां जैसे हाईफन फूड्स और मकेन आदि बढ़िया भूमिका निभा रही है.
बबीता चौधरी ने कहा कि सीपीआरआई ने कुफरी जमुनिया किस्म विकसित की है जो 90 दिनों में तैयार होती है. यह अंदर और बाहर दोनों ओर से पर्पल कलर का है. चिप्स के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का भविष्य उज्ज्वल है और भारत को देखें तो यह इस मामले में अमेरिका से पीछे नहीं है. कलर्ड पोटैटो की वैरायटी पर हम काम कर रहे हैं. हम लाल रतन वैरायटी पर भी काम कर रहे हैं जो लाल रंग की है.
हाइफन फूड्स के बीज प्रभाग के प्रमुख समीप दास ने कहा कि आलू के क्षेत्र में बहुत सारी चीजें हुई हैं, इसमें सीपीआरआई ने बड़ी भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि हाइफन फूड्स अहमदाबाद बेस्ड कंपनी है, जिसने फ्रेंच फाइज से शुरूआत की और आज हम 4 लाख टन तक आलू खरीद रहे हैं और 10 लाख टन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. समीप ने यूपी के किसानों को जोड़ने के बारे में कहा कि कंपनी अभी मुख्य रूप से गुजरात में काम कर रही है और वह केवल बीज उत्पादन का काम मुख्य रूप से देखते हैं. हालांकि, यूपी में कुछ जिलों में बीज को लेकर अच्छा काम हो रहा है.
उन्होंने कहा कि यूपी में कंपनी ने ऑपरेशन शुरू कर दिया है. यूपी में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग शुरू कर दी गई है और एमपी में भी इसे शुरू किया गया है. इस दौरान उन्होंने आलू की खेती से जुड़ी तकनीकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हाइफन फूड्स से जुड़ने के लिए किसान हमारी वेबसाइट के जरिए जुड़ सकते हैं. कंपनी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक है. समीप ने कहा कि पहले हमारे यहां से एक्सपोर्ट किए गए आलू की क्वालिटी अच्छी नहीं होती थी, लेकिन पिछले पांच-सात साल से इसमें बड़ा बदलाव आया है.
केले की खेती के लिए मशहूर यूपी के किसान रामशरण वर्मा लंबे समय से आलू की खेती में भी कमाल कर रहे हैं. उन्होंने आलू की खेती को लेकर कई बड़ी बातें बताईं. उन्होंने कहा कि सही ढंग से अगर खेती की जाए तो किसी भी किसान को नुकसान नहीं होगा. उन्होंने खुद के बारे में बताया कि उन्हें 30 साल से किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है.
आलू अधिवेशन के मुख्य स्पॉन्सर
'आलू अधिवेशन' का आधिकारिक स्पॉन्सर उत्तर प्रदेश सरकार है जबकि प्रेजेंटिंग पार्टनर यूपीसीएआर, नॉलेज पार्टनर उत्तर प्रदेश सरकार और सीपीआरआई और एसोसिएट पार्टनर हाईफार्म है. 'किसान तक' इंडिया टुडे ग्रुप (आजतक) का डिजिटल कृषि प्लेटफॉर्म है जो ऑनलाइन पोर्टल के साथ यूट्यूब पर भी प्रसारित होता है.
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