महाराष्ट्र में 5 हजार छोटे किसानों को मक्का की खेती से जोड़ेगी Kellanova, Varaha के साथ शुरु किया प्रोग्राम

महाराष्ट्र में 5 हजार छोटे किसानों को मक्का की खेती से जोड़ेगी Kellanova, Varaha के साथ शुरु किया प्रोग्राम

केलानोवा ने वराहा के साथ मिलकर महाराष्ट्र में पांच साल का रीजेनेरेटिव कॉर्न प्रोग्राम शुरू किया है. इसमें 5,000 किसानों और 12,500 एकड़ जमीन को जोड़ा जाएगा. इसका उद्देश्य टिकाऊ खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाना और करीब 1 लाख टन CO2 उत्सर्जन को कम करना है.

Kellanova Regenrative Corn Farming ProgramKellanova Regenrative Corn Farming Program
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 06, 2025,
  • Updated Dec 06, 2025, 2:20 PM IST

ग्लोबल स्नैक्स कंपनी केलानोवा (Kellanova) ने महाराष्ट्र में पांच साल का रीजेनेरेटिव कॉर्न प्रोग्राम शुरू करने की घोषणा की है. इस पहल के लिए केलानोवा ने एशिया की प्रमुख कार्बन रिमूवल प्रोजेक्ट डेवलपर कंपनी वराहा (Varaha) के साथ साझेदारी की है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य मक्का की खेती को पर्यावरण के अनुकूल बनाते हुए किसानों की आमदनी बढ़ाना और कार्बन उत्सर्जन को कम करना है. कंपनी के बयान के मुताबिक, इस परियोजना के तहत अगले पांच वर्षों में महाराष्ट्र के करीब 5,000 छोटे किसानों को जोड़ा जाएगा और लगभग 12,500 एकड़ मक्का भूमि को टिकाऊ खेती के तहत लाया जाएगा.

प्राेग्राम में जुड़ेंगे कई स्‍टेकहोल्‍डर

यह कार्यक्रम मल्टी-स्टेकहोल्डर मॉडल पर आधारित होगा, जिसमें किसान, किसान उत्पादक संगठन, स्थानीय एनजीओ और वैज्ञानिक संस्थान मिलकर काम करेंगे. इसका मकसद केवल खेती का तरीका बदलना ही नहीं, बल्कि पूरे कृषि तंत्र को जलवायु के अनुरूप ढालना है.

आधुनिक और टिकाऊ खेती तकनीकों को मिलेगा बढ़ावा

इस पहल के जरिए किसानों को ऐसी आधुनिक और टिकाऊ खेती की तकनीकों की ओर बढ़ाया जाएगा, जिससे मिट्टी की सेहत सुधरेगी, रासायनिक खादों का इस्तेमाल घटेगा और फसल की पैदावार बेहतर होगी. कंपनी का दावा है कि इन प्रयासों से करीब एक लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन को कम या अवशोषित किया जा सकेगा. इससे केलानोवा की सप्लाई चेन का कार्बन फुटप्रिंट भी घटेगा.

केलानोवा के अध‍िकारी ने कही ये बात

केलानोवा के एएमईए सप्लाई चेन के वाइस प्रेसिडेंट शॉन केनेडी ने कहा कि यह कार्यक्रम साबित करता है कि जलवायु के लिए जरूरी कदम और किसानों की समृद्धि एक साथ संभव है. उन्होंने यह भी कहा कि आज के उपभोक्ता यह जानना चाहते हैं कि जो भोजन वे खाते हैं, वह जिम्मेदार तरीके से तैयार किया गया है और यह पहल इसी दिशा में एक मजबूत उदाहरण पेश करती है.

क‍िसानों की आजीविका पर दिखेगा ठोस असर: मधुर जैन

वहीं वराहा के को-फाउंडर और सीईओ मधुर जैन ने कहा कि इस परियोजना में मजबूत वैज्ञानिक आधार, आधुनिक डिजिटल टूल्स और किसानों के साथ गहरे स्तर पर जुड़ाव को एक साथ जोड़ा गया है. उनका कहना है कि इससे जलवायु और किसानों की आजीविका दोनों पर ठोस और मापने योग्य असर देखने को मिलेगा. (पीटीआई)

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