
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कांटी इलाके में सरकार की एक खास जमीन है, जिसे राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र कहा जाता है. इस जमीन पर सरकार किसानों के लिए बीज तैयार करती है. यह जमीन खेती के काम आती है और यह पूरी तरह सरकार की होती है. लेकिन एक बहुत बड़ी गलती सामने आई. इस सरकारी जमीन के 44 डिसमिल हिस्से को एक निजी व्यक्ति के नाम दर्ज कर दिया गया. यह काम नियमों के खिलाफ था.
कांटी के अंचलाधिकारी ने दिसंबर 2023 में आए एक निचली अदालत के आदेश को गलत तरीके से समझ लिया. नियम यह कहते हैं कि अगर सरकारी जमीन से जुड़ा कोई फैसला आता है, तो पहले कानूनी राय ली जाती है और फिर ऊपरी अदालत में अपील की जाती है. लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ. बिना अपील किए सीधे सरकारी कृषि भूमि को निजी व्यक्ति के नाम दर्ज कर दिया गया. यही सबसे बड़ी गलती थी.
इस गंभीर मामले को देखते हुए अपर समाहर्ता, मुजफ्फरपुर से जांच कराई गई. जांच रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि अंचलाधिकारी ने विभाग के नियमों का पालन नहीं किया और सरकारी जमीन को गलत तरीके से निजी नाम पर चढ़ा दिया. इस रिपोर्ट के बाद जिलाधिकारी ने यह बात पटना में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को बताई.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने इस मामले को बहुत गंभीर बताया. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि
उनका कहना है कि सरकारी भूमि जनता की संपत्ति है और इसकी रक्षा सरकार की जिम्मेदारी है.
इस जमीन से जुड़े पुराने मामले के खिलाफ अब पटना हाईकोर्ट में प्रथम अपील दायर कर दी गई है. यह अपील प्रथम अपील वाद संख्या 195/2025 के रूप में दर्ज है. अभी यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है, यानी कोर्ट इसे ध्यान से देख रही है और आगे फैसला करेगी.
सरकार और अदालत मिलकर यह सुनिश्चित कर रही हैं कि किसानों और जनता की जमीन सुरक्षित रहे. यही वजह है कि यह मामला पूरे प्रशासन के लिए बहुत अहम माना जा रहा है.
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