नितिन गडकरी की नई पहल, ट्रैक्टर और मशीनों में डीज़ल की जगह आइसोब्यूटानॉल

नितिन गडकरी की नई पहल, ट्रैक्टर और मशीनों में डीज़ल की जगह आइसोब्यूटानॉल

भारत के सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की पहल आइसोब्यूटेनॉल जैसे स्वच्छ और टिकाऊ ईंधन को बढ़ावा दे रही है. जानें कि कैसे यह जैव ईंधन ट्रैक्टरों और निर्माण उपकरणों में डीज़ल की जगह ले सकता है और देश की डीज़ल पर निर्भरता को कम कर सकता है.

Nitin GadkariNitin Gadkari
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 22, 2025,
  • Updated Jun 22, 2025, 4:42 PM IST

भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अब ट्रैक्टर और निर्माण उपकरणों में स्वच्छ ईंधनों के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं. उन्होंने हाल ही में उद्योग विशेषज्ञों के साथ एक बैठक की जिसमें आइसोब्यूटानॉल को डीज़ल का विकल्प बनाने पर चर्चा हुई. गडकरी ने बताया कि आइसोब्यूटानॉल को डीज़ल के साथ 10% तक मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है, और भविष्य में यह डीज़ल को पूरी तरह से भी बदल सकता है.

आइसोब्यूटानॉल क्या है?

आइसोब्यूटानॉल एक बायोफ्यूल है जिसे एथेनॉल से किण्वन की प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है. यह ऊर्जा में एथेनॉल से अधिक है और कम जंग लगाने वाला है, जिससे इसे डीज़ल के साथ मिलाना आसान होता है. गडकरी ने कहा कि उन्होंने उद्योग से पूछा है कि क्या डीज़ल इंजन आइसोब्यूटानॉल पर पूरी तरह चल सकते हैं, जिससे यह डीज़ल का प्रभावी विकल्प बन सके.

स्वच्छ ईंधनों की बढ़ती मांग

निर्माण क्षेत्र में स्वच्छ ईंधनों की मांग तेजी से बढ़ रही है. उदाहरण के लिए, JCB इंडिया ने हाइड्रोजन से चलने वाली मशीन विकसित की है, जबकि SANY इंडिया और Schwing Stetter इलेक्ट्रिक उपकरणों पर काम कर रहे हैं. साथ ही, जर्मनी की ZF Group जैसी बड़ी कंपनियां भी विभिन्न प्रकार के ईंधनों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं. ये सभी प्रयास भारत में डीज़ल पर निर्भरता कम करने की दिशा में कदम हैं.

भारत में डीज़ल खपत की बढ़ोतरी

भारत में डीज़ल का उपयोग कुल कच्चे तेल की खपत का लगभग 40% है. रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में डीज़ल खपत में 2% की बढ़ोतरी हुई है और 2025-26 में यह वृद्धि 3% रहने की उम्मीद है. मंत्री गडकरी ने बताया कि देश की डीज़ल पर निर्भरता बहुत अधिक है, इसलिए हमें इसके विकल्प तलाशने होंगे ताकि आयात कम किया जा सके और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा सके.

निर्माण उपकरण क्षेत्र में ईंधन विकल्प

भारत निर्माण उपकरणों का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है. 2024-25 में इस उद्योग की वृद्धि 3% रही, जिसमें घरेलू बिक्री 2.7% और निर्यात 10% बढ़ा. गडकरी ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र के लोगों के साथ निरंतर संवाद में है ताकि वे नए और स्वच्छ ईंधनों को अपनाएं. इस प्रयास से डीज़ल पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा.

ट्रैक्टर और हार्वेस्टर में भी बदलाव की तैयारी

ट्रैक्टर और हार्वेस्टर भी अभी डीज़ल पर चलते हैं. गडकरी ने बताया कि वे इन उपकरणों में एथेनॉल और आइसोब्यूटानॉल को शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ कंपनियां और स्टार्टअप इस दिशा में पहले से प्रयोग कर रहे हैं और सरकार भी ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित कर रही है ताकि किसान स्वच्छ और सस्ते ईंधन का उपयोग कर सकें.

इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर का विकास और चुनौतियाँ

विश्व स्तर पर इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर बन रहे हैं, लेकिन भारत में अभी ये मुख्य सरकारी सब्सिडी योजनाओं जैसे FAME और PM-eDrive का हिस्सा नहीं हैं. भारतीय स्टार्टअप खेती और कचरा प्रबंधन के लिए इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर पर काम कर रहे हैं, लेकिन व्यापक उपयोग के लिए अभी और प्रयासों की जरूरत है.

भारत के 2030 तक के बायोफ्यूल लक्ष्य

भारत सरकार ने 2030 तक के लिए बायोफ्यूल के लक्ष्य तय किए हैं. इसमें पेट्रोल में 20% एथेनॉल और डीज़ल में 5% बायोडीज़ल मिलाने का लक्ष्य शामिल है. इससे प्रदूषण में कमी आएगी, fossil fuel आयात घटेगा और किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी.

देश की आवश्यकताओं के अनुसार ईंधन विकल्प

गडकरी ने यह भी बताया कि हर देश की अपनी संसाधन उपलब्धता और लागत के अनुसार ईंधन विकल्पों का चुनाव होता है. जहां कुछ देशों को सस्ते fossil fuels मिलते हैं, वहां विकल्पों की जरूरत कम होती है, लेकिन भारत के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है. इसलिए भारत को कई विकल्पों को अपनाकर ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी.

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