
भारत और न्यूजीलैंड के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में सेब आयात को लेकर भारत के सेब उत्पादक किसान चिंता में है. ऐसे में वाणिज्य मंत्रालय ने बयान जारी कर किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए बयान जारी किया है. सरकार ने संतुलित और चरणबद्ध रास्ता अपनाया है. वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, इस समझौते के तहत न्यूजीलैंड से सेब आयात पर रियायती शुल्क की सुविधा सीमित कोटा और कड़े सुरक्षा प्रावधानों के साथ दी गई है, ताकि घरेलू सेब उत्पादकों के हितों पर कोई असर न पड़े.
FTA के तहत तय कोटे के भीतर न्यूजीलैंड से आने वाले सेब पर 25 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगेगी. हालांकि, कोटे से अधिक आयात होने पर पहले से लागू 50 प्रतिशत शुल्क ही वसूला जाएगा और किसी तरह की रियायत नहीं मिलेगी. सरकार का कहना है कि यह व्यवस्था घरेलू बाजार को सस्ते आयात से बचाने के लिए की गई है.
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कोटा भारत के मौजूदा आयात स्तरों के अनुरूप रखा गया है और इसे छह वर्षों में धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा. पहले वर्ष में 32,500 टन से शुरू होकर छठे वर्ष तक यह सीमा 45,000 टन तक पहुंचेगी. इससे बाजार पर अचानक दबाव नहीं बनेगा और किसानों को समायोजन का समय मिलेगा. सेब आयात पर न्यूनतम आयात मूल्य यानी MIP को भी एक अहम सुरक्षा कवच के रूप में शामिल किया गया है. जहां अन्य देशों से आयातित सेब के लिए MIP 50 रुपये प्रति किलो है.
वहीं न्यूजीलैंड से FTA के तहत आने वाले सेब के लिए इसे 1.25 अमेरिकी डॉलर प्रति किलो यानी करीब 112 रुपये रखा गया है. रियायती शुल्क के बाद इन सेबों की न्यूनतम कीमत भारतीय बाजार में करीब 140 रुपये प्रति किलो होगी. इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल प्रीमियम सेब ही आयात हों और घरेलू कीमतों पर दबाव न पड़े.
इसके अलावा, रियायती आयात को 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक की सीमित अवधि में ही अनुमति दी जाएगी. यह समय जानबूझकर घरेलू सेब के पीक सीजन से बाहर रखा गया है, ताकि भारतीय किसानों की फसल बिक्री प्रभावित न हो.
FTA को एप्पल एक्शन प्लान और एग्रीकल्चर प्रोडक्टिविटी पार्टनरशिप से भी जोड़ा गया है. इसके तहत भारत में सेब उत्पादन के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए जाएंगे, जहां आधुनिक बागवानी तकनीक, कीट व रोग प्रबंधन, बेहतर पोस्ट हार्वेस्ट हैंडलिंग और जलवायु अनुकूल खेती पर काम होगा. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के तहत एक संयुक्त कृषि उत्पादकता परिषद इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगी.
सरकार का कहना है कि भारत 2024-25 में करीब 5.58 लाख टन आयात के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सेब आयातक है. ऐसे में यह समझौता आयात विविधीकरण के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय तकनीक का लाभ उठाकर देश में सेब उत्पादन और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक संतुलित कदम है. हालांकि, कुछ किसान संगठनों ने शुल्क में दी गई रियायतों को लेकर चिंता जताई है, जिस पर सरकार का कहना है कि सभी सुरक्षा प्रावधान पूरी तरह लागू रहेंगे. (पीटीआई)